top header advertisement
Home - राष्ट्रीय << नेताजी के खजाने का ज्यादातर हिस्सा है गायब

नेताजी के खजाने का ज्यादातर हिस्सा है गायब


नेताजी के तुलादान के बाद नेताजी के पास 80 किलो सोने की ज्वेलरी थी, इसमे से ज्यादातर का आजतक कोई अता-पता नही है। 9 अक्टूबर 1978 को पहली बार भारतीय अफसरों ने एक अटैची खोली थी। इसमें जली हालत में महिलाओं की सोने की ज्वैलरी के 14 पैकेट थे। इनमें 11 किलो सोने की ज्वैलरी मिली थी। माना जा रहा है कि ये अटैची नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 18 अगस्त, 1945 को अंतिम उड़ान में उनके साथ थी। नरेंद्र मोदी ने 23 जनवरी को नेताजी से जुड़ी से 100 फाइलों को डिक्लासिफाई किया था।
 इसी में से एक फाइल नंबर- 25/4/NGO-Vol 3 में नेताजी के खजाने को लेकर डिटेल है। कॉर्ड के मुताबिक, नेताजी करीब 80 किलो सोने की ज्वैलरी लेकर सफर कर रहे थे। 1945 में इनकी कीमत करीब 1 करोड़ रुपए थी। प्लेन क्रैश में नेताजी का सामान बुरी तरह जल गया। उसका कुछ ही हिस्सा बचा था। जिसे जापान भेज दिया गया। 1952 में इसे जापान से नई दिल्ली लाया गया। इसमें उस वक्त केवल 11 किलो ज्वैलरी का हिस्सा मिला था। डिक्लासिफाइड फाइल्स में पहली बार आईएनए के खजाने की फोटोज सामने आई हैं। ह्यू तोये नामक हिस्टॉरियन के मुताबिक, बोस चाहते थे कि उनकी आजाद हिंद सरकार को जापानी सोल्जर्स की कम से कम मदद लेनी पड़े। इसके चलते उन्होंने जापानियों द्वारा जीती गई ब्रिटिश कॉलोनीज में रह रहे 20 लाख भारतीयों की मदद ली। महिलाओं ने आईएनए को अपनी ज्वैलरी दान कर दी। 21 अगस्त, 1944 को रंगून में पब्लिकली पैसा इकट्ठा करने के प्रोग्राम में हीराबेन बेतानी नामक महिला ने अपने 13 नेकलेस दान कर दिए। इनकी कीमत उस समय 1.5 लाख थी। कहा जाता है कि बोस पब्लिक द्वारा दान की गई 80 किलो सोने की ज्वैलरी (कीमत करीब 1 करोड़ रु) को लेकर प्लेन में बैठे थे।

Leave a reply