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मुनि प्रज्ञासागरजी महाराज हुआ भव्य मंगल प्रवेश



उज्जैन। तपोभूमि प्रणेता मुनि प्रज्ञासागरजी महाराज ने उज्जैन पहुंचने के साथ ही चंदाप्रभु जिनालय भेरूगढ़ में आदिनाथ भगवान की प्रतिमा को वेदीजी पर विराजित किया। तत्पश्चात वहां से नयापुरा होते हुए फव्वारा चैक पहुंचे। फव्वारा चैक से भव्य चल समारोह के रूप में जुलूस निकला। जो कुंभ के पहले जैन कुंभ की पेशवाई की भांति निकला।
सर्वप्रथम बैलगाड़ी पर बैठकर शहनाई वादक शहनाई बजा रहे थे। बैण्ड बाजे, समाज की महिलाएं लाल और केसरिया रंग की साड़ी पहनकर सर पर कलश लेकर चल रही थीं। 12 घोड़े धर्मध्वजा लेकर चल रहे थे। पीछे बैण्ड के पीछे छोटे-छोटे बच्चे भारतीय वेशभूषा धारण किये चल रहे थे। जिसमें कोई साधु के भेष में सिंहस्थ का अहसास करा रहा था तो कोई हाथी, बैल, रानी राजा, सुभाषचंद्र बौस, महात्मा गांधी छोटे-छोटे नन्हें बच्चे 3 से 5 साल के बच्चे रास्ते भर मुनिश्री के साथ चले। फव्वारा चैक पर भव्य मंच बनाया गया था। जहां से मुनिश्री ने संपूर्ण समाज को आशीर्वाद दिया। तत्पश्चात जुलूस प्रारंभ हुआ। जो दौलतगंज, मालीपुरा, माधव काॅलेज, फ्रीगंज ब्रिज, टाॅवर होता हुआ फ्रीगंज दिगंबर जैन पंचायती मंदिर पहुंचा। महाराजश्री की अगवानी के लिए संपूर्ण जैन समाज एवं अन्य कई समाजों एवं संस्थाओं ने रास्ते भर मंच बना रखे थे। सभी मंचों से गुरूदेव के जयकारे लग रहे थे कहीं फूल बरस रहे थे तो कहीं गुरूदेव के पाद प्रक्षालन कर रहे थे। मालीपुरा के मालियों ने भी गुरूदेव पर फूलों की बारिश की। सड़कें फूलों से पट गई। मुनिश्री फ्रीगंज पहुंचे जिन मंदिर के दर्शन किये तत्पश्चात मुनिश्री ने वहां पर आशीर्वचन देते हुए कहा कि उज्जैन की इसपावन नगरी में आने वाले समय में महाकुंभ होने वाला है। उस महाकुंभ में लगभग 5 करोड़ लोग उज्जैन पहुंच रहे हैं। जो क्षिप्रा में स्नान कर मोक्ष की कामना करेंगे। सनातन धर्म में उल्लेख है कि गंगा पाप नाशिनी है उसी प्रकार क्षिप्रा मोक्षदायिनी है। उज्जैन का इतिहास अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण इतिहास है। इतिहास में उल्लेख है कि यहां पर अमृत की बूंदे गिरी थी इसलिए सिंहस्थ होता है वहीं जैन धर्म में उल्लेख है कि यहां पर अभयघोष मुनिराज निर्वाण को प्राप्त हुए थे एवं महावीर स्वामी ने क्षिप्रा के चक्रतीर्थ श्मशान पर तप किया था। आज मुझे महावीर स्वामी की इस तपस्थली में महावीर तपोभूमि बनवाने का सौभाग्य मिला जिसमें संपूर्ण समाज ने मेरा साथ दिया है। महावीर के नाम को जीवंत किया है। आज हिंदुस्तान में कहीं भी जाता हूं तो मुझे महावीर की तपोभूमि प्रणेता के नाम से जाना जाता है। उन्हीं महावीर स्वामी का महामस्तकाभिषेक 7 फरवरी को मेरे सानिध्य में होने जा रहा है। जिसमें देशभर से हजारों धर्मानुलंबी यहां पहुंच रहे हैं। मेरा आप लोगों से अनुरोध है कि चाहे सिंहस्थ हो चाहे जैन महावीर महामस्तकाभिषेक हो उज्जैन के रहवासियों को अपने सभी अतिथियों को पलकों पर बैठाकर भारतीय परंपरा को निर्वाह करना होगा। जिसमें उल्लेख है कि अतिथि देवोभवः सिंहस्थ में भी आप लोग अपने अतिथियों को संपूर्ण सुख व्यवस्थाएं दें जिससे उज्जैन कानाम पूरे विश्व में अच्छे लोगों में गिना जाए। मुनिश्री के पाद प्रक्षालन चाकसु से आए अतिथियों ने किया। चाकसु में जिन लोगों ने भी चातुर्मास कराया था उनके साथ पंचायती दिगंबरजैन मंदिर के अध्यक्ष नरेन्द्र बड़जात्या, नरेन्द्र डोसी, कैलाश दादा, पंड्याजी आदि लोगों ने किया। प्रज्ञा पुष्प मंच द्वारा नृत्य के माध्यम से मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। छोटे-छोटे बच्चों ने वेशभूषाओं में मंच पर चलकर अपनी प्रस्तुति दी। दिगंबर जैन मंदिरों के संपूर्ण अध्यक्ष एवं ट्रस्टियों द्वारा महाराजश्री को विनयांजलि के रूप में श्रीफल भेंट किया गया। तपोभूमि के ट्रस्टीगणों ने भी महाराजश्री को श्रीफल भेंट किया। पंचायती दिगंबर जैन मंदिर से गुरूदेव दोपहर में विहार कर महावीर तपोभूमि पहुंचे। जहां बाहर से आए अतिथियों एवं गुरूदेव के साथ संपूर्ण समय पैदल विहार करने वालेलोगों और बच्चों का सम्मान किया गया। साथ ही साथ नवीन जैन गाजियाबाद वालों का भी सम्मान किया गया। पदमप्रभु चालीसा गुरूदेव की आरती आदि कार्यक्रम महावीर तपोभूमि में हुए। तपोभूमि में विशेष रूप से अशोक जैन चायवाला, महेश जैन, राजेन्द्र लुहाडि़या, पवन बोहरा, सुनील जैन ट्रांसपोर्ट, धर्मेन्द्र सेठी, सुशील लुहाडि़या, सुशी गोधा, संजय जैन बरैया, संजय गंगवाल, नितीन डोसी, सुधीर चांदवाड़, दीपक जैन, विशाल जैन, रेखा लुहाडि़या, बिनी बिलाला, प्रज्ञा कलामंच के अध्यक्ष चंदा बिलाला, सचिव ज्योति जैन, सारिका जैन, धर्मेन्द्र सेठी, देवेन्द्र जैन सहित संपूर्ण दिगंबर जैन मंदिरों के अध्यक्ष एवं ट्रस्टी उपस्थित थे।

 

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