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सस्ते कच्चे तेल का फायदा उठाने में पिछड़ा भारत



नई दिल्ली। कच्चे तेल की गिरावट का दौर कब खत्म होगा, इसको लेकर कयासों का दौर जारी है। भारत जिन बाजारों से कच्चा तेल खरीदता है वहां इसकी कीमत बुधवार को 28 डॉलर प्रति बैरल थी और कई लोग इसके 20 डॉलर तक गिरने का अनुमान लगा रहे हैं। पिछले एक वर्ष में कच्चे तेल की कीमत आधी रह गई है।

इसके बावजूद जानकारों का कहना है कि सरकार सस्ते क्रूड का फायदा उठाने में नाकाम रही है। सस्ते क्रूड का फायदा आम जनता को नहीं देकर उत्पाद शुल्क बढ़ा कर खजाना भरने के सरकार के कदम की भी आलोचना हो रही है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इसके लिए सरकार को निशाने पर लिया है।

जनता को नहीं मिला पूरा फायदा

वित्त मंत्रालय के पूर्व सलाहकार व प्रमुख अर्थशास्त्री राजीव कुमार का कहना है कि क्रूड की अंतरराष्ट्रीय कीमत में भारी गिरावट का हम बेहतर फायदा उठा सकते थे। अभी अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत ही नाजुक है। मांग की जबरदस्त कमी है। न तो उपभोक्ताओं की तरफ से मांग आ रही है और न ही उद्योग जगत की तरफ से।

सरकार सस्ते क्रूड का फायदा आम जनता को देकर मांग में बढ़ोतरी कर सकती थी। लेकिन उसने पुरानी आर्थिक नीति की परंपरा पर ही आगे बढ़ना मुनासिब समझा है। सस्ते क्रूड का 90 फीसद फायदा सरकार खुद ही उठा रही है।

पूर्व वित्त मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम ने अपनी वेबसाइट पर लिखे आलेख के जरिए दावा किया है कि चालू वित्त वर्ष में सस्ते क्रूड से भारत को 2,33,000 करोड़ रुपये का फायदा भारतीय अर्थव्यवस्था को होना चाहिए था। लेकिन उत्पाद शुल्क में कई बार वृद्धि कर केंद्र सरकार ने इसमें से 1,40,000 करोड़ रुपये का फायदा स्वयं उठाया है।

रणनीतिक भंडार बनाने में देरी

देश में तैयार हो रहे तीन रणनीतिक भंडारों का काम पूर्ण नहीं होने की वजह से भी भारत सस्ते क्रूड का फायदा उठाने में पिछड़ गया है। देश में कच्चे तेल के तीन रणनीतिक भंडार विशाखापत्तनम, पाडुर और मंगलुरु में बनाए जा रहे हैं। विशाखापत्तनम का काम तो पूरा है लेकिन अन्य दो स्थानों पर बनाए जा रहे विशालकाय तेल टैंक का काम अगले दो से तीन महीनों में पूरा होगा। लेकिन इसका लाभ तभी मिल पाएगा जब क्रूड की कीमतें निचले स्तर पर बनी रहें।

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