देश को खोखला करता नशे का कारोबार
जगजीत शर्मा
नए वर्ष की शुरुआत में ही गुरदासपुर स्थित एयरबेस को निशाना बनाकर हुआ आतंकी हमला नाकाम रहा और सारे आतंकी मार गिराए गए। इस मामले में गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक, एसपी सलविंदर सिंह के नशा तस्करों से मिले होने का भी संदेह है। भारत-पाकिस्तान की सीमाओं से जुड़े होने के चलते पंजाब के रास्ते नशीले पदार्थों की तस्करी भी खूब होती है। पंजाब से जुड़ी भारत-पाक सीमा पर आए दिन नशीले पदार्थ पाए जाते हैं या तस्कर गिरफ्तार किए जाते हैं। पंजाब ही नहीं, बल्कि बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार के रास्ते काफी मात्रा में नशीले पदार्थ और नशीली दवाएं भारत आती हैं। एक सरकारी रिपोर्ट कहती है कि पिछले तीन सालों में भारत में नशीली दवाओं की तस्करी का प्रतिशत पांच गुना बढ़ा है। पंजाब, असम और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में बड़ी संख्या में लोग नशे के आदी हैं। एक अनुमान के मुताबिक पंजाब के ग्रामीण इलाकों में 67 फीसदी लोग किसी न किसी प्रकार का नशा करते हैं। इनमें शराब, चूरा पोस्त, गांजा, चरस और हेरोइन आदि प्रमुख हैं। नशे के मामले में हरियाणा भी अछूता नहीं है। हरियाणा और पंजाब दोनों इस मामले में भले ही थोड़े बहुत अंतर से आगे-पीछे हों, लेकिन युवाओं में जिस तरह नशे की लत बढ़ती जा रही है, वह चिंताजनक है। पंजाब के युवाओं में जिस तरह नशा प्रेम बढ़ रहा है, वह भी शोचनीय है। कहा जाता है कि पंजाब के 70 फीसदी युवा नशा करने के आदी हैं। इस बात को पंजाब की सुप्रसिद्ध भाजपा नेत्री और पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांता चावला बार-बार उठाती रहती हैं कि पंजाब में नशाखोरी चिंताजनक हालत पहुंच गई है। सरकारों को इस पर तत्काल रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाना चाहिए। सचमुच जिस तरह देश में नशीली दवाओं और नशीले पदार्थों का उपयोग बढ़ता जा रहा है, वह किसी के लिए भी चिंता का कारण हो सकता है। पिछले तीन सालों में 105,173 टन अवैध दवाएं छापामारी के दौरान जब्त की गई हैं या फिर तस्करों के पास से बरामद किए गए हैं। वल्र्ड ड्रग रिपोर्ट 2014 के मुताबिक, भारत दक्षिण पूर्व और दक्षिण पश्चिम एशिया में नशीली दवाओं और पदार्थों का बहुत बड़ा बाजार बन गया है।
भारतीय राष्ट्रीय सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में एक बहुत बड़ी आबादी एक करोड़ सात लाख लोग नशीली दवाओं के आदी हैं। भांग खाने वालों की संख्या भारत में सबसे ज्यादा है। यह भारत के ग्रामीण इलाकों में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। देश में लगभग 90-95 लाख लोग भांग खाते हैं, जबकि अफीम या अफीम मिश्रित नशीले पदार्थ का उपयोग करने वाले लोग भी 20-25 लाख होंगे। एक अनुमान के मुताबिक, मिजोरम में 45-50 हजार लोग नशे के आदी हैं, इनमें से आधे से अधिक लोग नशीले इंजेक्शन का उपयोग करते हैं।
अगर भारत में सबसे ज्यादा नशीली दवाओं के उपयोग की बात की जाए, तो मिजोरम, पंजाब और मणिपुर राज्यों में ऐसे लोग सबसे अधिक पाए जाते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि इन राज्यों की सीमाएं पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश आदि देशों से मिलती हैं और उन रास्तों से बहुतायत में नशीली दवाओं की तस्करी होती है। मिजोरम में पिछले चार सालों में करीब 48,209 टन नशीली दवाइयां जब्त की गई हैं। पंजाब में करीब 39,064 टन नशीली दवाइयां बरामद की गई हैं। अगर पिछले चार सालों में दवा तस्करों के खिलाफ दर्ज किए गए मामलों को देखें, तो पूरे देश में दवा तस्करी के लगभग 64,737 मामले में से 21,549 मामले को साथ पंजाब सबसे आगे रहा है। 9 दिसंबर 2014 को लोकसभा मे पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2011 से 2014 के बीच नशीले पदार्थों की तस्करी के पूरे देश में दर्ज किए गए 16,274 मामलों में उत्तर प्रदेश में 5786 मामले दर्ज किए गए, वहीं पंजाब में 4,308, केरल में 697, पश्चिम बंगाल में 498 और मध्य प्रदेश में 336 मामले दर्ज किए गए। इस दौरान दवा तस्करी के मामले में 64,302 लोगों को गिरफ्तार किया गया जिनमें से अच्छी खासी संख्या विदेशियों की है। इनमें भी नेपालियों की संख्या सबसे ज्यादा है।
ये आंकड़े इस बात के संकेत हैं कि सीमावर्ती राज्यों में पिछले कुछ सालों से नशीले पदार्थों की तस्करी के साथ-साथ नशेडिय़ों की संख्या में इजाफा हो रहा है। नशीले पदार्थों का ज्यादातर का कारोबार अफगानिस्तान और उसके आसपास के इलाकों से संचालित किया जाता है। इसमें थाईलैंड, म्यांमार, पाकिस्तान, ईरान, बांग्लादेश में सक्रिय तस्करों की बहुत बड़ी भूमिका है। गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह जैसे लोग भारत में इन नशा कारोबारियों को प्रश्रय देते हैं। सीमापार से आने वाले नशा व्यापारियों को चंद रुपये में बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल और पाकिस्तान सीमा पर तैनात कुछ लोग सुरक्षित मार्ग मुहैया कराते हैं। चंद रुपये के लिए अपना ईमान बेच देने वाले यह कतई नहीं सोचते हैं कि ये नशीले पदार्थ हमारे देश के नौनिहालों का भविष्य बरबाद कर रहे हैं। देश में आने वाले हजारों टन नशीले पदार्थों और दवाओं को लाने वाले तस्कर सीमा पर तैनात कुछ अधिकारियों को बाकायदा रिश्वत देते हैं। सीमावर्ती राज्यों में नशीले पदार्थ के व्यापारियों का जाल इतना मजबूत होता है कि उसे भेद पाना आसान नहीं है। ये पैसे के बल पर पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश से अबाध रूप से नकली करंसी, नशीली दवाइयों और हथियारों के साथ आते हैं और स्थानीय व्यापारियों को तस्करी करके लाया गया सामान सौंपकर सुरक्षित वापस लौट जाते हैं। कहा जाता है कि यदि किसी देश को गुलाम बनाना हो, तो उस देश की युवा पीढ़ी को नशेड़ी बना दो। नशे की आदी और ज्ञान-विज्ञान से दूर युवाओं को गुलाम बनाने में बहुत अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। दुनिया के कई देशों का इतिहास इस बात का प्रमाण है, जहां शासकों ने अपनी प्रजा के विद्रोह को दबाने के लिए पूरी कौम को ही नशेड़ी बना दिया, ताकि वे आजादी की बात सोच ही न सकें। नशीले पदार्थों के कारोबारियों पर अंकुश लगाकर और इनके नेटवर्क को छिन्न-भिन्न करके नई पीढ़ी को इस बुरी लत से मुक्त कराया जा सकता है।
(लेखक दैनिक न्यू ब्राइट स्टार में समूह संपादक हैं।)