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देश के 11 राज्यों में भुकंप के झटके, मणिपुर में 6 लोगों की मौत


नई दिल्ली. नॉर्थ ईस्ट में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। सोमवार तड़के आए भूकंप की रिक्टर स्केल पर इंटेन्सिटी 6.7 थी। मणिपुर, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, वेस्ट बंगाल, झारखंड, बिहार और सिक्कम जैसे राज्यों में असर पड़ा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मणिपुर में अब तक छह लोगों की मौत हुई है, 100 से ज्यादा जख्मी हैं।

 

कहां-कहां आया भूकंप...

- भूकंप सोमवार तड़के 4 बजकर 37 मिनट पर आया। सेंटर म्यांमार-इंडिया बॉर्डर बताया जा रहा है।

- सेंटर इंफाल से 33 किमी दूर टेमलॉन्ग में जमीन से 17 किमी की गहराई में था।

 

अपडेट्स-

- न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मरने वालों की संख्या 6 हो गई है।

- एनडीआरएफ के डीजी जाएंगे मणिपुर। अभी 90 रेस्क्यू मेंबर पहुंच रहे हैं इम्फाल।

- गुवाहाटी से इम्फाल के लिए दो टीमें रवाना हो गई हैं। 12 टीमें स्टैंडबाई पर रखी गई हैं।

- मणिपुर की राजधानी में मरने वालों की संख्या दो हो गई है।

- दिल्ली से मणिपुर भेजी जाएगी एनडीआरएफ की टीमें।

- नरेंद्र मोदी ने असम, मणिपुर के मुख्यमंत्री से की बात।

भूकंप के कारण मणिपुर में एक शख्स की मौत हो गई है।

- केंद्रीय मंत्री एन. सीतारमण ने किया ट्वीट। @nsitharaman- Felt my room shake, in Siliguri government guest house! Hope everyone is ok. #tremor.

- त्रिपुरा के गवर्नर तथागत रॉय ने ट्वीट किया, ''Agartala seemingly OK after quake of Richter 6.7,epicentre near Imphal,not too far from here. Raj Bhavan shook,though,and we woke up''

 

असम में ही हैं राजनाथ-निर्मला

- भूकंप के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा- राजनाथ जी असम में ही हैं। उनसे भूकंप के हालात पर बात हुई। वे नजर रख रहे हैं।

- सिलीगुड़ी के गवर्नमेंट गेस्ट हाउस में थी। भूकंप आया तो मेरा कमरा बुरी तरह हिल गया।

 

पिछले महीने ही आए थे झटके

- बिहार और झारखंड के कई जिलों में 15 दिसंबर की सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।

- डर से लोग सड़कों पर निकल आए थे। रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 4.2 थी। करीब पांच सेकेंड तक धरती कांपती रही।

- हालांकि इससे कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ था।

 

क्यों आता है भूकंप?

- पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूम रही हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है।

- बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं।

- नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है। डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।

 

दो दिन पहले दिल्ली-एनसीआर में हिली थी धरती

दो दिन पहले दिल्ली- एनसीआर में भी भूकंप के झटके मसहूस किए गए थे। जिसकी इन्टेसिटी रिक्टर स्केल पर 5.8 आंकी गई थी।

 

इस तरह से तबाही लाता है भूकंप

रिक्टर स्केल

असर

0 से 1.9

सिर्फ सीस्मोग्राफ से ही पता चलता है।

2 से 2.9

हल्का कंपन।

3 से 3.9

कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर।

4 से 4.9

खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं।

5 से 5.9

फर्नीचर हिल सकता है।

6 से 6.9

इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है।

7 से 7.9

इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं।

8 से 8.9

इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं।

9 और उससे ज्यादा

पूरी तबाही। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी। समंदर नजदीक हो तो सुनामी।

भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है।

 

700 साल पुरानी फॉल्ट लाइन में है एशिया का बड़ा हिस्सा

- अर्थक्वेक ट्रैक एजेंसी के मुताबिक, हिमालयन बेल्ट की फॉल्ट लाइन के कारण एशियाई इलाके में ज्यादा भूकंप आ रहे हैं। इसी बेल्ट में हिंदुकुश रीजन भी आता है। इस साल अप्रैल-मई में नेपाल में आए भूकंप के कारण करीब 8 हजार लोगों की मौत हुई थी।

- हिमालय कुछ सेंटीमीटर के हिसाब से उत्तर में खिसक रहा है। हिमालयन फॉल्ट लाइन पर भारत सरकार की मदद से अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक स्टडी की थी। यह स्टडी यूएस जर्नल लिथोस्फीयर और जेजीआर में छपी थी।

- इस स्टडी को लीड कर चुके जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवान्स्ड साइंटिफिक रिसर्च के सी.पी. राजेंद्रन के मुताबिक, हिमालय 700 साल पुरानी फॉल्ट लाइन पर मौजूद है। यह फॉल्ट लाइन ऐसे मुहाने पर पहुंच चुकी है, जिसकी वजह से कभी भी वहां ऐसा बड़ा भूकंप आ सकता है, जो पिछले 500 साल में नहीं देखा गया हो।

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