सिंहस्थ: ग्रीन उज्जैन-ग्रीन सिंहस्थ के लिए बगीचों को सवांरे
डाॅ. चन्दर सोनाने
उज्जैन में 22 अप्रैल से 21 मई के दौरान आस्था और विष्वास का महापर्व सिंहस्थ का आयोजन होने जा रहा है। इस अवधि में करीब 5 करोड़ श्रद्धालुओं के उज्जैन आने की संभावना राज्य षासन द्वारा व्यक्त की जा रही हैं। सिंहस्थ के संदर्भ में एक नारा ‘ग्रीन उज्जैन-ग्रीन सिंहस्थ‘ का राज्य षासन द्वारा दिया गया हैं। किंतु उज्जैन के रहवासियों और बाहर से आने वाले लोगों के लिए यह नारा तभी फलीफूत होगा, जब उज्जैन षहर और सिंहस्थ मेला क्षेत्र हरा भरा स्पश्ट रूप से दिखाई देगा। हाल फिलहाल उज्जैन के लगभग सभी बगीचों की हालत अत्यन्त दयनीय और अपने पुर्नउद्धार की प्रतीक्षा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसके लिए जरूरी है कि उज्जैन के समस्त बगीचों की नियमित रूप से साफ-सफाई हो और प्रतिदिन नियमित रूप से पानी देकर रखरखाव का पुख्ता इंतजाम किया जाए।
उज्जैन षहर में अधिकतर बगीचें नगर निगम के अधिपत्य में हैं। उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित काॅलोनियों में बनाए गए बगीचें प्राधिकरण के नियंत्रण में हैं। इसके अतिरिक्त उज्जैन में अनेक प्राइवेट काॅलोनाइजरों ने वैध-अवैध काॅलोनियां काटी हैं। वहां भी बगीचें बनाए गए ह,ैं जो नाम मात्र के हैं। यह सर्वज्ञात हैं कि अपवाद को छोड़कर उज्जैन षहर का कोई भी बगीचा ऐसा नही हैं, जो उद्यान के मापदण्ड के अनुरूप हों। अब जरूरत इस बात की है कि ग्रीन उज्जैन-ग्रीन सिंहस्थ का नारा सार्थक हो, इसके लिए नगर निगम, उज्जैन विकास प्राधिकरण और प्राइवेट काॅलोनाइजरों की बैठक बुलाकर उन्हें निर्देषित किया जाए कि वें अपने-अपने अधिपत्य के बगीचों की हालत सुधारें। वहां बगीचें के मापदण्ड के अनुरूप उद्यान को विकसित करें। उनकी नियमित देखरेख हांे। समय पर पानी दिया जाए। और रोजाना साफ-सफाई हांे तो निष्चित रूप से सिंहस्थ के लिए दिया गया यह नारा सार्थक सिद्ध होगा ।
संभागायुक्त डाॅ. रवीन्द्र पस्तोर का यह स्पश्ट मानना हैं कि सिंहस्थ में अच्छे काम कभी भी हाथ में लिए जा सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि वें उज्जैन के समस्त बगीचों के लिए पर्याप्त धनराषि भी संबंधित एजेंसियों नगर निगम और विकास प्राधिकरण को उपलब्ध कराएं। प्राइवेट काॅलोनाइजरों से नियमानुसार उनकी काॅलोनी में उद्यान विकसित करने के प्रावधान के तहत वहां उद्यान विकसित किया जाना सुनिष्चित किया जाना चाहिए। कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत से भी अपेक्षा की जा सकती हैं कि वे भी इस दिषा में सार्थक पहल करें।
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( ) दिनांक 01.01.2016