दिल्ली में बीएसएफ का प्लेन क्रैश
नई दिल्ली. दिल्ली में हादसे का शिकार हुआ बीएसएफ का प्लेन ज्यादा नुकसान कर सकता था। लेकिन आसपास के लोगों ने बताया कि पायलट की सूझबूझ की वजह से आम लोगों की जान बच गई। बड़ा हादसा टल गया। दिल्ली के शाहबाद-मोहम्मदपुर इलाके में जहां प्लेन क्रैश हुआ, वहीं पास में पेट्रोल स्टोरेज यूनिट है। रेल लाइन भी पास से ही गुजरती है और गांव भी मौजूद है।
पायलट की सूझ-बूझ से टला बड़ा हादसा
-दिल्ली फायर सर्विस के एक अफसर के मुताबिक, हादसे के लिए पायलट को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
-उसने सही फैसला लिया और कई और जिंदगियों को बचा लिया।
-मौके पर पुलिस, सीआईएसएफ और डिजास्टर मैनेजमेंट की टीम मौजूद हैं। जली हुई हालत में बॉडी रिकवर कर ली गई है।
-फायर अफसर ने बताया कि हादसे में कोई भी जिंदा नहीं बचा।
- हालांकि हादसे के वक्त क्या हुआ इसकी जानकारी लेने के लिए ब्लैक बॉक्स की तलाश जारी है।
(हादसा कैसे हुआ, पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
क्या कहा चश्मदीदों ने
मीना बर्मन (लोकल रेजिडेंट)
-शाहबाद-मोहम्मदपुर में ही रहती हैं। उन्होंने बताया - पायलट ने इस बात की ख्याल रखा कि कम से कम कैजुअल्टी हो।
-यह घनी आबादी वाला इलाका है। रेलवे लाइन की पीछे ही स्कूल है, पास ही पेट्रोल डिपो है। अगर यह हादसा कुछ दूरी पर ही होता तो कई लोगों की जान जा सकती थी।
हर्ष और आतिश (स्टूडेंट्स)
-दोनों शाहबाद-मोहम्मदपुर के स्कूल में पढ़ते हैं। हादसे के बाद वहां साइकिल से गुजर रहे थे।
-इन्होंने बताया कि टीचर से उन्हें यहां प्लेन क्रैश की जानकारी मिली थी।
निर्मला त्रिपाठी (लोकल रेजिडेंट)
-क्रैश साइट से 3 किमी दूर रहने वाली निर्मला त्रिपाठी ने बताया कि वे वहां अपनी बेटी कांता और ससुर के साथ पहुंची थीं।
-हमें इस हादसे में हुए नुकसान का डर था, लेकिन पायलट की सूझ-बूझ से एक बड़ा हादसा टल गया।
-वो प्लेन को आबादी वाले एरिया से दूर ले गया।
सोहनलाल (लोकल रेजिडेंट)
-पायलट का रोल बेहद अहम रहा, जो प्लेन को रेसिडेंशियल एरिया से दूर ले गया।
पोस्टमॉर्टम के लिए भेजी गईं सभी बॉडीज
-क्रैश साइट पर दिल्ली पुलिस के 300 और सीआईएसएफ के 200 जवान मौजूद हैं। सभी 10 शहीदों की बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
-यह चार्टर्ड प्लेन द्वारका के शाहबाद-मोहम्मदपुर में क्रैश हुआ।
पायलट की सूझ-बूझ से टला बड़ा हादसा
-दिल्ली फायर सर्विस के एक अफसर के मुताबिक, हादसे के लिए पायलट को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
-उसने सही फैसला लिया और कई और जिंदगियों को बचा लिया।
-मौके पर पुलिस, सीआईएसएफ और डिजास्टर मैनेजमेंट की टीम मौजूद हैं। जली हुई हालत में बॉडी रिकवर कर ली गई है।
-फायर अफसर ने बताया कि हादसे में कोई भी जिंदा नहीं बचा।
- हालांकि हादसे के वक्त क्या हुआ इसकी जानकारी लेने के लिए ब्लैक बॉक्स की तलाश जारी है।
(हादसा कैसे हुआ, पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
क्या कहा चश्मदीदों ने
मीना बर्मन (लोकल रेजिडेंट)
-शाहबाद-मोहम्मदपुर में ही रहती हैं। उन्होंने बताया - पायलट ने इस बात की ख्याल रखा कि कम से कम कैजुअल्टी हो।
-यह घनी आबादी वाला इलाका है। रेलवे लाइन की पीछे ही स्कूल है, पास ही पेट्रोल डिपो है। अगर यह हादसा कुछ दूरी पर ही होता तो कई लोगों की जान जा सकती थी।
हर्ष और आतिश (स्टूडेंट्स)
-दोनों शाहबाद-मोहम्मदपुर के स्कूल में पढ़ते हैं। हादसे के बाद वहां साइकिल से गुजर रहे थे।
-इन्होंने बताया कि टीचर से उन्हें यहां प्लेन क्रैश की जानकारी मिली थी।
निर्मला त्रिपाठी (लोकल रेजिडेंट)
-क्रैश साइट से 3 किमी दूर रहने वाली निर्मला त्रिपाठी ने बताया कि वे वहां अपनी बेटी कांता और ससुर के साथ पहुंची थीं।
-हमें इस हादसे में हुए नुकसान का डर था, लेकिन पायलट की सूझ-बूझ से एक बड़ा हादसा टल गया।
-वो प्लेन को आबादी वाले एरिया से दूर ले गया।
सोहनलाल (लोकल रेजिडेंट)
-पायलट का रोल बेहद अहम रहा, जो प्लेन को रेसिडेंशियल एरिया से दूर ले गया।
पोस्टमॉर्टम के लिए भेजी गईं सभी बॉडीज
-क्रैश साइट पर दिल्ली पुलिस के 300 और सीआईएसएफ के 200 जवान मौजूद हैं। सभी 10 शहीदों की बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
-यह चार्टर्ड प्लेन द्वारका के शाहबाद-मोहम्मदपुर में क्रैश हुआ।