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इंटरनेशनल कराटे प्लेयर बेच रही है चाय, गरीब छात्रों को देती हैं मुफ्त कोचिंग


भोपाल। राजधानी में चाय बेचने वाली इंटरनेशनल कराटे प्लेयर वंदना सूर्यवंशी ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में अपना लोहा मनवाया। शादी में मिले सोने के गहने गिरवी रखकर चांदी का तमगा जीता और अब गरीब छात्रों को कराटे की मुफ्त कोचिंग भी दे रही हैं।

 

इंटरनेशनल कराटे चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल

साल 2014 में काठमांडू इंटरनेशनल कराटे चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर वंदना ने न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश का भी मान बढ़ाया। वजीफे के तौर उसे कलेक्टर साहब से कुछ मदद मिली , लेकिन वो भी बच्चों के दाखिले में खत्म हो गई। अब तो बस चाय बेचकर गुजारा कर रहीं है।

 

कम वक्त में लिया ब्लैक बेल्ट

बहुत कम वक्त में ही वंदना ने अच्छे खेल का प्रदर्शन कर ब्लैक बेल्ट हासिल कर लिया। पुणे में गोल्ड मेडिल जीत कर अपने हौसले को और भी मजबूत किया।

 

दसवीं फेल वंदना की छोटी उम्र में हुई शादी

पिपरिया के गांव रैनी खेड़ा की रहने वाली वंदना की छोटी उम्र में ही शादी हो गई थी। शादी के बाद पढाई भी छूट गई। दसवीं फेल वंदना अपने पति के साथ भोपाल आ गई। ये सोच के की यहाँ मेहनत मजदूरी करेंगे और अपने बच्चों की परवरिश अच्छे से करेंगे।

 

पुलिस में भर्ती होना चाहती है

वंदना का कहना है की उसने अब तक जो भी पाया उसका पूरा श्रेय वो अपने पति को देती है क्योंकि पति ने ही उसे खेलने के लिए प्रेरित किया। वंदना की ख्वाहिश है की वो पुलिस में भर्ती हो और लोगों की मदद करे खासकर महिलाओं की जिन्हें अक्सर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। 

 

कलेक्टर और एसपी आफिस में बेचती हैं चाय 

अलसुबह से ही वंदना की मेहनत शुरू हो जाती है। सुबह 5 बजे उठते ही वो पहले अपनी प्रेक्टिस करती हैं, बच्चों के लिये उनका टिफिन तैयार कर उन्हें स्कूल भेजती हैं और फिर दुकान के लिए रवाना हो जाती हैं। दिनभर कलेक्टर और SP ऑफिस में चाय बेचने के बाद, रोज़ाना 8:30 वो अपने मोहल्ले के बच्चों को छत पर को कराटे की प्रेक्टिस कराती हैं, फिर जुट जाती है खाना बनाने में।

 

गरीबी से नहीं मानी हार

मुफलिसी में मेहनत और भी मुश्किल हो जाती है लेकिन वंदना ने कभी भी हार नहीं मानी। वंदना के कोच शहीद शेख ने बताया की वंदना उनके पास अपने दोनों बच्चों को कराटे सिखाने के लिए लेकर आई थी, बच्चों को कराटे खेलता देख उनके बचपन की इच्छा भी जाग उठी और उन्होंने मुझसे कराटे सिखाने के लिए कहा। मैंने उन्हें सिखाना शुरू कर दिया और वो बहुत जल्द बहुत अच्छा प्रदर्शन करने लगी । कई नेशनल टूर्नामेंट में वो गोल्ड भी जीत चुकीं हैं। अगर वंदना को थोड़ी मदद मिले तो वो और भी बेहतर प्रदर्शन कर सकतीं हैं। मुझे उम्मीद है की एक दिन वो विश्व विजेता जरूर बनेगी।

 

नाम कमाना चाहती है

वंदना जिन बच्चों को ट्रेनिंग दे रहीं हैं वो बच्चे भी कराटे में अच्छा प्रदर्शन कर रहें हैं। कोच के तौर पर भी वंदना ने अच्छा परफॉर्मेंस दिया है। ये बच्चे भी वंदना दीदी जैसे ही कराटे की दुनिया में नाम कामना चाहते है। सरकार की तरफ से कोई मदद न मिल पाने का मलाल वंदना को जरूर है लेकिन इसके हौसले बुलंद है कि वो एक दिन कामयाब होगी और देश और दुनिया में नाम जरूर कमाएगी।

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