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जमानत मिलने के बाद भी जेल से जाने का तैयार नहीं ये साधू, कहा: यहां अच्छा भजन होता है


ग्वालियर। केंद्रीय जेल में बंद एक साधु ने बुधवार को हठ ठान लिया कि वह जेल में ही रहेंगे। उन्हें बुधवार को जमानत पर रिहा किया जा रहा था, लेकिन जिद पकड़ ली कि वह जेल से बाहर नहीं जाएंगे। उनका कहना था कि यहां मंदिर है, भागवत होती है, सुबह-शाम सब मिलकर भजन करते हैं। ऐसी जगह को तलाश करने के लिए तो वह जगह-जगह भटके थे, अब ऐसी जगह मिल गई है, तो छोड़कर क्यों जाएं? हठ कर रहे साधु को जेल प्रबंधन ने समझाया कि वह नियम और कानून में बंधे हैं, वे चाहें तो भी उन्हें जेल में नहीं रख सकते हैं। करीब 1 घंटे तक चले समझाइश के दौर के बाद साधु जेल से बाहर निकले, लेकिन काफी समय तक जेल गेट पर ही बैठे रहे। इन्हें फिर समझाया गया, तब वह जेल परिसर से रवाना हुए।


मारपीट के पांच मामलों में हुए थे फरार

कोतवाली थाने की पुलिस ने छह महीने पहले कल्लू उर्फ कमल शर्मा उर्फ बाबा कमलदास को 28 साल पुराने मारपीट के मामले में गिरफ्तार किया था। मारपीट का मामला दर्ज होने के बाद कमलदास फरार हो गए थे। तब से ही पुलिस इन्हें तलाश कर रही थी इसके बाद इनके खिलाफ स्थायी वारंट जारी हुआ। कोतवाली थाने की पुलिस इन्हें तलाश करते-करते छह महीने पहले धौलपुर के त्यागी आश्रम पहुंची और वहां से गिरफ्तार कर लाई। तब से ही कमलदास केंद्रीय जेल में हैं। मंगलवार को इनके जमानत आदेश कर दिए गए थे, बुधवार की सुबह इन्हें जेल से जमानत रिहा करने की प्रक्रिया शुरू हुई तो इनके पास भी सूचना भेज दी गई कि वह जेल से बाहर जाने की तैयारी कर लें। जैसे-तैसे कमलदास जेल से जाने को तैयार हो गए। जेल अफसरों ने उन्हें यहां से जाने का किराया दिया। बाबा कमलदास का कहना था कि वह अब पहले धौलपुर के त्यागी आश्रम जाएंगे और इसके बाद कांगड़ा।


खाने में कुछ नहीं, पीने में सिर्फ चाय

जेल अफसरों ने कमलदास की एक खासियत भी बताई कि उन्होंने जेल में रहने के दौरान कभी खाना नहीं खाया। वह सिर्फ चाय पीते थे। शुरू में उन्हें भोजन में खिचड़ी खिलाने की कोशिश की गई थी, लेकिन उन्होंने वमिट कर दिया। इसके बाद जेल प्रबंधन ने उनके कहे अनुसार चाय पिलाना शुरू कर दी। बाबा कमलदास का कहना है कि वह तो कई वर्ष पहले खाना बंद चुके हैं और चाय के सहारे ही जीवन चल रहा है।

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