सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वीरेंद्र सिंह को बनाया यूपी का नया लोकायुक्त
लखनऊ. तय समय सीमा के अंदर लोकायुक्त के नाम पर कोई फैसला नहीं होने
पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी का नया लोकायुक्त अपॉइंट कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के
रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह यूपी के नए लोकायुक्त बनाए गए हैं। सिलेक्शन कमिटी के
मेंबरों के बीच कोई नाम फाइनल नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र
सिंह के नाम पर मुहर लगा दी है।
दो दिन से हो रही थी मीटिंग
- सुप्रीम कोर्ट के कड़े
रुख के बाद यूपी में लोकायुक्त के अपॉइंटमेंट को लेकर बुधवार को हुई पहले दौर की मीटिंग
बेनतीजा रही।
- ऐसे में अब दोपहर करीब 12:30 बजे दोबारा से मीटिंग बुलाई गई थी।
- इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने लोकायुक्त के लिए 5 नामों की लिस्ट यूपी सरकार से मांगी।
यूपी सरकार की ओर से कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल कोर्ट में मौजूद थे।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- "हमें कानून का पालन कराना आता है। आप हमें 5 नामों
की लिस्ट दीजिए। हम अपॉइंट करते हैं यूपी का नया लोकायुक्त।"
मंगलवार को क्या हुआ था?
- इसके पहले मंगलवार को
शाम 5 बजे सिलेक्शन कमिटी की मीटिंग शुरू हुई थी और ये देर रात 11 बजे तक चली थी।
- इस दौरान सीएम अखिलेश
यादव, अपोजिशन लीडर स्वामी प्रसाद मौर्या और चीफ जस्टिस हाईकोर्ट डी. वाई. चंद्रचूड़
लोकायुक्त के नाम को लेकर चर्चा करते रहे।
-इस मीटिंग में लोकायुक्त
के नाम पर कोई फैसला नहीं हो पाया। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को लोकायुक्त के अपॉइंटमेंट
के लिए आज शाम तक का अल्टीमेटम दिया था।
-बुधवार को कैबिनेट मीटिंग
भी बुलाई गई थी, लेकिन लोकायुक्त पर सिलेक्शन कमिटी की मीटिंग के लिए कैबिनेट मीटिंग
को कैंसिल कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या
कहा?
- सुप्रीम कोर्ट ने ये ऑर्डर एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए दिया था।
- इसमें कोर्ट ने कहा- "24 अप्रैल 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने के अंदर यूपी
में नए लोकायुक्त के अपॉइंटमेंट का ऑर्डर दिया था। यूपी सरकार ने अब तक ये ऑर्डर फॉलो
क्यों नहीं किया? यूपी के चीफ सेक्रेटरी कोर्ट में हाजिर होकर ये बताएं कि आखिर लोकायुक्त
का अपॉइंटमेंट क्यों नहीं हुआ?"
सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड
पर किया अपॉइंटमेंट?
- सुप्रीम कोर्ट ने लोकायुक्त का अपॉइंटमेंट कॉन्सटिट्यूशन के आर्टिकल 142 के मुताबिक
किया है।
- इसके तहत अगर किसी राज्य में किसी खास मु्द्दे या अपॉइंटमेंट पर सिलेक्शन कमिटी के
मेंबरों में एक राय नहीं बनती है, तो अपने स्पेशल राइट का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम
कोर्ट उस मुद्दे पर फैसला कर सकती है।
- सुप्रीम कोर्ट की ओर से लिया गया ऐसा कोई भी फैसला संसद में पास किसी कानून की तरह
ही माना जाएगा।
जस्टिस वीरेंद्र सिंह का
प्रोफाइल
-जस्टिस वीरेंद्र सिंह
लोकायुक्त बनने से पहले यूपी उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष थे। उनका यहां कार्यकाल 3 जनवरी
2016 तक था।
- जस्टिस वीरेंद्र सिंह का जन्म 4 जनवरी 1949 को हुआ था।
- इलाहाबाद हाईकोर्ट में इनकी ज्वॉइनिंग 13 अप्रैल, 2009 को हुई थी।
- 13 अप्रैल, 2011 तक वे इलाहाबाद हाईकोर्ट में रहे।
- जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने मेरठ यूनिवर्सिटी से 1972 में लॉ में ग्रैजुएशन किया।
- साल 1977 में पीसीएस (जे) में अपॉइंट हुए और 1989 में हायर ज्यूडिशियल सर्विस के
लिए प्रमोट हुए।
- 2005 में डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज के रूप में प्रमोट हुए।
- 13 अप्रैल 2009 में हाईकोर्ट में एडिशनल जज बने।
- 24 दिसंबर 2010 को इन्होंने पर्मानेंट जज की शपथ ली थी।
विवादों में है लोकायुक्त
चयन
-यूपी में लोकायुक्त अपॉइंटमेंट प्रॉसेस लंबे वक्त से विवादों में रहा। सुप्रीम कोर्ट
की ओर से निर्धारित वक्त के बावजूद नए लोकायुक्त का अपॉइंटमेंट नहीं हो पाया था।
- सरकार ने लोकायुक्त के लिए रिटायर्ड जस्टिस रवींद्र सिंह के नाम को लेकर जबरदस्त
पैरवी की, लेकिन हर बार गवर्नर हाउस से मामला उलझा रहा।
- इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने भी जस्टिस रवींद्र सिंह के नाम पर एतराज जताया
था। गवर्नर ने एक-दो बार नहीं, बल्कि चार बार जस्टिस रवींद्र सिंह के नाम की फाइल को
लौटाया।
- इसके बाद बीते 27 अगस्त को असेंबली में सरकार ने लोकायुक्त चयन से जुड़े नियम में
बदलाव का बिल पास करा लिया। संशोधन के जरिए सिलेक्शन कमिटी से चीफ जस्टिस को ही बाहर
कर दिया गया।