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संघीय ढांचे को मजबूत करेगा उद्योग विकास और विनियमन संशोधन विधेयक : सीतारमण


नई दिल्ली। वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार राज्यों के साथ अधिकार साझा करने, संघीय ढांचे और राज्यों को सशक्त बनाने की सोच के साथ काम कर रही है। इसी उद्देश्य से उद्योग विकास और विनियमन संशोधन विधेयक 2015 लाया गया है। जिसमें पीने योग्य अल्कोहल के विषय को राज्य के अधिकार क्षेत्र के दायरे में करने का प्रावधान किया गया है। सदन ने चर्चा के बाद विधेयक को पारित कर दिया। सदन में उस समय कांग्रेस और तृणमूल सदस्य मौजूद नहीं थे। दोनों दलों ने विवादास्पद बयान देने वाले भाजपा के एक सदस्य पर कार्रवाई की मांग को लेकर सदन से वाकआउट किया है। चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 1997 के एक फैसले के आलोक में उद्योग विकास और विनियमन अधिनियम 1951 में संशोधन करने की जरूरत पड़ी। उन्होंने कहा कि इस बारे में बिहार डिस्टिलरीज बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि पीने योग्य अल्कोहल समेत सभी विनिर्मित अल्कोहल राज्य के दायरे के विषय हैं। इस बारे में 1998 में विधि आयोग की रिपोर्ट आई और इसके बाद एक अन्य मामले का निपटारा 2008 में हुआ। सीतारमण ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली हमारी सरकार राज्यों के साथ अधिकारों को साझा करने की सोच के साथ काम कर रही है। हम सरकार राज्यों के साथ अधिकार साझा करने, संघीय ढांचे और राज्यों को सशक्त बनाने के विचार के साथ काम कर रहे हैं। और यह विधेयक इसी दिशा में एक और पहल है। चर्चा के दौरान एक सदस्य के संसद की सर्वोच्चता का विषय उठाए जाने पर सीतारमण ने कहा कि इसे न्यायपालिका की सर्वोच्चता के रूप में देखने के बजाए, इस रूप में देखें कि सदस्य यहां विधेयक या कानून का खाका बनाते हैं, उस पर विचार करते हैं, उसे पारित करते हैं या नामंजूर करते हैं। इस तरह से लोगों के विचारों का महत्त्व स्पष्ट होता है। उन्होंने कहा कि हम सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करते हैं। पेट्रोल के साथ अल्कोहल मिलाने के एक सदस्य के सुझाव के बारे में वाणिज्य मंत्री ने कहा कि इस दिशा में सरकार काम कर रही है। हमारा पूरा प्रयास है कि इसके साथ ही किसानों को उचित दाम मिले क्योंकि यह गन्ना उद्योग से जुड़ा विषय भी है। चर्चा की शुरुआत करते हुए बीजद के वगत सथपति ने कहा कि बिहार में एक पार्टी को चुनाव में काफी उम्मीदें थीं लेकिन वे पूरी नहीं हो सकीं। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने शराब पर प्रतिबंध लगाने की मंशा की घोषणा की है। ऐसे में लगता है कि केंद्र सरकार यह विधेयक लेकर आई है जिसके बारे में बिहार डिस्टिलीज बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था। तेदेपा के पी रवींद्र बाबू ने कहा कि ऐसा क्यों होता है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में संसद कोई कानून बनाने की पहल करती है। हम स्वत: संज्ञान लेते हुए कानून क्यों नहीं बनाते। संसद सर्वोच्च है, लोकसभा सर्वोच्च है क्योंकि यह जनता की आवाज की अभिव्यक्ति करता है। भाजपा के जगदम्बिका पाल ने कहा कि देश के संघीय ढांचे को मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम कदम है जिसमें पीने योग्य अल्कोहल को राज्यों के अधिकार क्षेत्र में लाया गया है। 

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