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कैदियों को रिहा करने की राज्यों की शक्ति पर फैसला आज


राज्यों के पास किसी कैदी की जेल की सजा कम करने का अधिकार है या नहीं इस संवैधानिक सवाल पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है। तमिलनाडु सरकार द्वारा राजीव गांधी हत्या मामले के आरोपियों को रिहा करने के फैसले से यह मुद्दा उठ खड़ा हुआ था।

मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ बुधवार को फैसला सुनाएगी। सनसनीखेज मामले के कैद भुगत रहे सात दोषियों को रिहा करने के राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगाने वाली छोटी पीठ ने सवाल पैदा कर दिया था। संविधान पीठ उस सवाल पर अधिकार पूर्वक विचार करेगी।

संविधान पीठ के अन्य न्यायाधीशों में जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला, जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष, जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और जस्टिस यूयू ललित शामिल हैं। केंद्र सरकार की ओर से सलिसिटर जनरल रणजीत कुमार ने पैरवी की। वी श्रीधरन उर्फ मुरुगन एवं तमिलनाडु सरकार की तरफ से क्रमशः राम जेठमलानी और राकेश द्विवेदी ने पक्ष रखा। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद 12 अगस्त को अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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