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सिंहस्थः चैरासी महादेव मंदिरों की मरम्मत और साफ-सफाई जरूरी


डाॅ. चन्दर सोनाने
        उज्जैन के चैरासी महादेव मंदिरों का श्रद्धालुओं में विशेष महत्व और आकर्षण हैं। श्रद्धालु हर वर्ष विशेषकर सावन मास और अधिकमास में चैरासी महादेव मंदिरों का दर्शन व पूजन श्रद्धापूर्वक करते हैं। वर्तमान में 84 महादेव मंदिरों की आवश्यक मरम्मत, रंगरोगन और साफ-सफाई जरूरी हैं।
        उज्जैन के प्रसिद्ध इन चैरासी महादेव मंदिरों में से कुछ मंदिरों में जहां दरारे आ गई हैं, वहीं कुुछ मंदिरों के ऊपर पेड़ पौधे ही उग आए हैं। इन मंदिरों में से 62/84 नंबर के रूपेश्वर महादेव मंदिर के शिखर पर तो पेड़ ही उग आया हैं। वहीं कुछ में पौधे उग आए हैं। इन्हें जड़ सहित निकालना बहुत जरूरी हैं, अन्यथा कुछ समय बाद यह पौधे पेड़ बनकर मंदिर को ही ध्वस्त कर देंगे।
        इन चैरासी महादेव मंदिरों में से अनेक के ओटलेे नष्ट हो रहे हैं तो, कुछ मंदिरों पर स्थानीय लोगो ने अतिक्रमण कर लिए हैं। इसलिए जरूरी हैं कि सभी चैरासी मंदिरों का सीमांकन किया जाए तथा प्रत्येक मंदिर की बाउंड्री वाॅल बना दी जाए, ताकि वहां किसी के द्वारा भी अतिक्रमण नहीं किया जा सके।
        इन सभी मंदिरों में साफ सफाई की स्थिति भी चिंताजनक हैं। इसके लिए प्रत्येक मंदिर के पूजारी को नियमित रूप से साफ-सफाई करवाने के लिए हिदायत दी जाना अत्यंत आवश्यक हैं। सिंहस्थ में लाखों श्रद्धालु उज्जैन आएंगे और उस दौरान वे 84 महादेव मंदिरों के दर्शन का भी लाभ लेना चाहेंगे। अतः इन सभी मंदिरों की साफ-सफाई के भी पुख्ता इंतजाम करना आवश्यक हैं।
        सभी चैरासी मंदिरों की मरम्मत के बाद सभी का एक समान आकर्षक रंगरोगन भी किया जाना जरूरी हैं। प्रत्येक मंदिर की नाम पट्टिका को उस मंदिर के चित्र एवं क्रमांक के साथ उपयुक्त स्थल पर लगाया जाना श्रद्धालुओं के लिए मददगार होगा। नामपट्टिका में उस ईलाके अथवा मोहल्ले का भी उल्लेख किया जाना श्रद्धालुओं के लिए सुविधाजनक रहेगा। वर्तमान में यह सब सुविधाएं श्रद्धालुओं को नही मिल रही हैं।
        समस्त चैरासी मंदिरों में से अधिकांश मंदिरों में पहुच मार्ग कच्चे तथा ठीक नही हैं। इसलिए समस्त मंदिरों के पहुच मार्गो को मुख्य मुख्य मार्गो से जोड़ते हुए पक्का किया
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जाना भी आवश्यक हैं।
       कुछ मंदिरों की मरम्मत होती देखी जा रही हैं, किंतु वहाँ पर महादेव मंदिर की जलाधारी को गर्भगृह का स्वरूप देकर बनाने की बजाय उसे ओटले के समान ऊंचाई पर निर्माण किया जा रहा हैं। ऐसे मंदिरों में जहा फर्श का काम किया जा रहा हैं वहां पर्याप्त खुदाई करने के बाद इस प्रकार से फर्श लगाया जाना चाहिए कि जलाधारी के नीचे तक टाईल्स रहे जबकि बिना निरीक्षण के कारण हो यह रहा है कि वर्तमान में बिना खुदाई किए ही निर्माण सामग्री डालकर टाईल्स लगाई जा रही है। इस कारण जलाधारी व टाईल्स की ऊंचाई समान हो रही हैं, जबकि जलाधारी उपर व टाईल्स नीचे होनी चाहिए। अन्यथा टाईल्स की गंदगी व गंदा पानी भी जलाधारी पर आने की संभावना हैं। इससें मंदिर भी अपवित्र होने की संभावना हैं ओर श्रद्धालुओं की भावनाएं भी प्रभावित हो सकती हैं। इसलिए विशेषज्ञ इंजीनियर के मार्गदर्शन में ही मरम्मत कार्य किया जाना अत्यन्त आवश्यक हैं, ताकि मंदिर की पवित्रता बनी रहें।
       सिंहस्थ 2004 में भी चैरासी महादेव मंदिरों की मरम्मत का कार्य किया गया था, किंतु समस्त मंदिरों की मरम्मत करने की बजाय कुछ ही मंदिरों की मरम्मत की गई थी एवं कुछ को छोड़ दिया गया था। इस बार सिंहस्थ 2016 को ध्यान में रखते हुए समस्त चैरासी महादेव मंदिरों की आवश्यक मरम्मत व रंगरोगन किया  जाना आवश्यक हैं, ताकि कोई भी मंदिर जरूरी मरम्मत से छुटने नही पाए। साथ ही मंदिर के अंदर तथा परिसर में भी प्र्याप्त साफ-सफाई होना आवष्यक हैं।

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