सिंहस्थः नगर के मंदिरों की मरम्मत और साफ-सफाई जरूरी
डाॅ. चन्दर सोनाने
आस्था और विश्वास का महापर्व सिंहसथ उज्जैन में 22 अप्रैल से 21 मई 2016 के दौरान आयोजित होने जा रहा हैं। इस महापर्व पर करीब 5 करोड़ श्रद्धालुओं के उज्जैन आने की संभावना व्यक्त की जा रही हैं। लाखों श्रद्धालु जब उज्जैन आएंगे तो वे पतीत पावन शिप्रा नदी में डुबकी लगाने के साथ-साथ उज्जैन के विभिन्न मंदिरों का भी दर्शन लाभ लेना चाहेंगे। इसके लिए जरूरी हैं कि नगर के सुप्रसिद्ध मंदिरों के अतिरिक्त अन्य मंदिरों की भी आवश्यक मरम्मत , रंगरोगन और साफ सफाई की जाये।
सामान्यतः यह देखा जाता हैं कि प्रसिद्ध मंदिरों यथा महाकालेश्वर मंदिर, हरसिद्धि मंदिर , चिंतामण गणेश मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, शनि मंदिर, कालभैरव मंदिर आदि की और तो प्रशासन का ध्यान चले जाता हैं और वहां पर माकुल व्यवस्था भी हो जाती हैं किंतु उज्जैन शहर, आसपास के क्षेत्र में कई मंदिर, दर्शनिय एवं पर्यटन स्थल ऐसे हैं जहां पर श्रद्धालुगण अपनी आस्था के पुष्प चढ़ाने सामान्यतः जाते हैं। इन प्रमुख मंदिरों में से सिद्धवट , गोपालमंदिर, नगरकोट की रानी का मंदिर, चैबीस खंबा माता मंदिर, गढ़कालिका मंदिर, पीर मत्स्येन्द्रनाथ मंदिर, श्री रामजनार्दन मंदिर, श्री चित्रगुप्त धर्मराज मंदिर, भर्तृहरि गुफा, कालियादेह महल(सूर्य मंदिर) ,विक्रांत भैरव मंदिर, गेबी हनुमान मंदिर, श्री राम मंदिर, योगमाया मंदिर, अनंतनारायण का मंदिर, रंजीत हनुमान का मंदिर आदि हैं इसके साथ ही पर्यटन एवं दर्शनीय स्थलों में वेद्यशाला, सांदीपनि आश्रम, वैश्या टेकरी, कुम्हार टेकरी, विष्णु चतुष्टीका, वीर दुर्गादास की छत्री, तिलकेश्वर महादेव मंदिर, कालिदास अकादमी आदि प्रसिद्ध स्थल हैं जहां श्रद्धालु जाना चाहेंगे।
उक्त मंदिरों में से अनेक मंदिर ऐसे भी हैं, जहां कुएं बावड़ी भी हैं। इनकी हालत जीर्णशीर्ण हैं। उदाहरण के लिए चिंतामण गणेश मंदिर की बावड़ी, मछामन गणेश मंदिर की बावड़ी, नगरकोट की रानी का मंदिर की बावड़ी, हरसिद्धि मंदिर की बावड़ी, आदी अत्यन्त ही जीर्णशीर्ण हालत में हैं। ये बावडियां अपनी शिल्पकृति के कारण अपने समय में विख्यात रही हैं। इनकी मरम्मत और साफ-साई कर दी जाये तो ये आज भी दर्शनीय बन सकती हैं। वर्तमान में इन बावडियों में हार-फूल कचरा आदि डाला जाकर उसे निरंतर प्रदूषित होने के लिए बेसहारा छोड़ दिया गया हैं। इन्हें मुक्तिदाता की दरकार हैं।
नगर के मंदिरों की पहुंच मार्ग भी बदहाल स्थिति में हैं। इन पहुंच मार्गो की मरम्मत भी अत्यन्त आवश्यक हैं। वर्तमान में कुछ मंदिरों की मरम्मत की जिम्मेदारी उज्जैन विकास प्राधिकरण को सौंपी गई हैं। किंतु समस्त मंदिरों को मरम्मत, रंगरोगन, साफ-सफाई की अत्यंत आवश्यकता हैं। संभागायुक्त डाॅ. रवीन्द्र पस्तोर व कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत से अपेक्षा हैं कि वे इस और भी ध्यान देंगे।
आस्था और विश्वास का महापर्व सिंहसथ उज्जैन में 22 अप्रैल से 21 मई 2016 के दौरान आयोजित होने जा रहा हैं। इस महापर्व पर करीब 5 करोड़ श्रद्धालुओं के उज्जैन आने की संभावना व्यक्त की जा रही हैं। लाखों श्रद्धालु जब उज्जैन आएंगे तो वे पतीत पावन शिप्रा नदी में डुबकी लगाने के साथ-साथ उज्जैन के विभिन्न मंदिरों का भी दर्शन लाभ लेना चाहेंगे। इसके लिए जरूरी हैं कि नगर के सुप्रसिद्ध मंदिरों के अतिरिक्त अन्य मंदिरों की भी आवश्यक मरम्मत , रंगरोगन और साफ सफाई की जाये।
सामान्यतः यह देखा जाता हैं कि प्रसिद्ध मंदिरों यथा महाकालेश्वर मंदिर, हरसिद्धि मंदिर , चिंतामण गणेश मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, शनि मंदिर, कालभैरव मंदिर आदि की और तो प्रशासन का ध्यान चले जाता हैं और वहां पर माकुल व्यवस्था भी हो जाती हैं किंतु उज्जैन शहर, आसपास के क्षेत्र में कई मंदिर, दर्शनिय एवं पर्यटन स्थल ऐसे हैं जहां पर श्रद्धालुगण अपनी आस्था के पुष्प चढ़ाने सामान्यतः जाते हैं। इन प्रमुख मंदिरों में से सिद्धवट , गोपालमंदिर, नगरकोट की रानी का मंदिर, चैबीस खंबा माता मंदिर, गढ़कालिका मंदिर, पीर मत्स्येन्द्रनाथ मंदिर, श्री रामजनार्दन मंदिर, श्री चित्रगुप्त धर्मराज मंदिर, भर्तृहरि गुफा, कालियादेह महल(सूर्य मंदिर) ,विक्रांत भैरव मंदिर, गेबी हनुमान मंदिर, श्री राम मंदिर, योगमाया मंदिर, अनंतनारायण का मंदिर, रंजीत हनुमान का मंदिर आदि हैं इसके साथ ही पर्यटन एवं दर्शनीय स्थलों में वेद्यशाला, सांदीपनि आश्रम, वैश्या टेकरी, कुम्हार टेकरी, विष्णु चतुष्टीका, वीर दुर्गादास की छत्री, तिलकेश्वर महादेव मंदिर, कालिदास अकादमी आदि प्रसिद्ध स्थल हैं जहां श्रद्धालु जाना चाहेंगे।
उक्त मंदिरों में से अनेक मंदिर ऐसे भी हैं, जहां कुएं बावड़ी भी हैं। इनकी हालत जीर्णशीर्ण हैं। उदाहरण के लिए चिंतामण गणेश मंदिर की बावड़ी, मछामन गणेश मंदिर की बावड़ी, नगरकोट की रानी का मंदिर की बावड़ी, हरसिद्धि मंदिर की बावड़ी, आदी अत्यन्त ही जीर्णशीर्ण हालत में हैं। ये बावडियां अपनी शिल्पकृति के कारण अपने समय में विख्यात रही हैं। इनकी मरम्मत और साफ-साई कर दी जाये तो ये आज भी दर्शनीय बन सकती हैं। वर्तमान में इन बावडियों में हार-फूल कचरा आदि डाला जाकर उसे निरंतर प्रदूषित होने के लिए बेसहारा छोड़ दिया गया हैं। इन्हें मुक्तिदाता की दरकार हैं।
नगर के मंदिरों की पहुंच मार्ग भी बदहाल स्थिति में हैं। इन पहुंच मार्गो की मरम्मत भी अत्यन्त आवश्यक हैं। वर्तमान में कुछ मंदिरों की मरम्मत की जिम्मेदारी उज्जैन विकास प्राधिकरण को सौंपी गई हैं। किंतु समस्त मंदिरों को मरम्मत, रंगरोगन, साफ-सफाई की अत्यंत आवश्यकता हैं। संभागायुक्त डाॅ. रवीन्द्र पस्तोर व कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत से अपेक्षा हैं कि वे इस और भी ध्यान देंगे।