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विश्व विकास व स्थिरता का स्तंभ बन सकता है भारत


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को वैश्विक विकास और स्थिरता के स्तंभ के रूप में पेश किया है। उन्होंने कहा कि आर्थिक सुधारों ने भारत की विकास दर को 7.5 फीसद पर पहुंचा दिया है। भारतीय अर्थव्यवस्था की यह रफ्तार आने वाले वर्षों में और तेज होती जाएगी।

मोदी जी-20 के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने यहां आए हैं। विकसित और प्रमुख उभरते देशों के इस संगठन ने असमान ग्लोबल विकास की चुनौतियों के समाधान के लिए सभी तरह के नीतिगत कदम उठाने का वादा किया है।

मुद्राकोष में सुधार की जरूरत पर जोर

जी-20 सम्मेलन से पहले ब्रिक्स देशों के नेताओं ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अध्यक्षता में अनौपचारिक शिखर बैठक की। इसमें न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) की स्थापना और आरक्षित कोष के गठन संबंधी प्रगति की समीक्षा की गई। बैठक के बाद इन नेताओं की ओर से साझा बयान सामने आया।

इसमें अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) में सुधार की जरूरत पर जोर देते हुए कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में सुधार करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। मुद्राकोष में भरोसा व उसका प्रभाव बढ़ाने के लिए जरूरी है कि इसमें वे सभी सुधार हों, जो 2010 में तय किए गए थे।

आईएमएफ के निर्णयों और मताधिकार में विकासशील व प्रमुख उभरते देशों का कोटा बढ़ाना जरूरी है। ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।

भारत की ये होंगी प्राथमिकताएं

चीन दिसंबर में जी-20 की अध्यक्षता का दायित्व संभालेगा और अगले वर्ष एक फरवरी को भारत ब्रिक्स का अध्यक्ष बन जाएगा। मोदी ने कहा कि उस वक्त इसका ध्येय वाक्य बिल्डिंग रिस्पॉन्सिव, इंक्लूसिव एंड कलेक्टिव सॉल्यूशंस यानी संक्षेप में ब्रिक्स होगा।

इस सिलसिले में मोदी ने कहा कि एक समय था ब्रिक्स के औचित्य व इसकी क्षमताओं के बारे में सवाल उठाए जाते थे। हमने अपने कामों के जरिये ऐसे समय में इसे महत्व दिलाया, जब दुनिया बड़ी चुनौतियों से दो-चार थी। उन्होंने आगामी अध्यक्ष देश के नाते भारत की प्राथमिकताएं गिनाईं।

कहा कि जी-20 के मुद्दों के प्रति साझा रुख अपनाना चाहिए। ब्रिक्स का एनडीबी मुद्रा भंडार व्यवस्था व आपसी आर्थिक सहयोग की प्रतिबद्धता का सुबूत है। पचास अरब डॉलर के ब्रिक्स बैंक को विश्व बैंक के प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जा रहा है।

महिलाओं पर घटे टैक्स का बोझ

भारत समेत जी-20 देशों ने अपील की है कि औरतों के लिए कार्यस्थल पर भेदभाव खत्म करने के लिए तत्काल प्रभाव से कदम उठाए जाने चाहिए। इसके अलावा महिलाओं पर टैक्स का बोझ कम किया जाए, ताकि वे समावेशी आर्थिक विकास के मकसद से उनका योगदान बढ़ाया जा सके।

कम हो रेमिटेंस की लागत

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि जी-20 देशों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पैसे ट्रांसफर करने के लिए कोई सस्ती व्यवस्था करने की खातिर कोई अंतिम समयसीमा तय करनी चाहिए। विकासशील देशों में उनके परदेसी कामगारों की ओर से अपने घर भेजी जाने वाली रकम परिवार वालों के लिए आय का प्रमुख स्त्रोत है।

इसे स्वदेश भेजने पर कामगारों को भारी रेमिटेंस शुल्क चुकाने पड़ते हैं। इसलिए रेमिटेंस लागत जल्द से जल्द घटनी चाहिए। इससे विदेश में कार्यरत भारतीयों को राहत मिलेगी।

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