संघ मुखपत्र का दावा, JNU 'राष्ट्र विरोधी' ताकतों का अड्डा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र 'पांचजन्य' ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) को राष्ट्र विरोधियों के एक बड़े तबके का गढ़ बताते हुए कहा है कि उनका मकसद देश को विघटित करना है।
पत्रिका के आमुख आलेख में जेएनयू छात्र संघों के नक्सल समर्थक होने का दावा करते हुए कहा गया है कि उन्होंने 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 75 सीआरपीएफ जवानों की हत्या का खुलेआम जश्न मनाया था। और यह सब जेएनयू प्रशासन की नाक के नीचे हुआ था। पत्रिका के एक अन्य आलेख के मुताबिक जेएनयू एक ऐसा संस्थान है, जहां राष्ट्रवाद को अपराध माना जाता है।
वहां भारतीय संस्कृति को विकृत रूप में पेश करना आम बात है। जम्मू-कश्मीर से सेना वापसी का समर्थन किया जाता है। वे कई अन्य राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के पक्षधर हैं। आलेख के लेखक ने जेएनयू में पढ़ाई करने का दावा करते हुए लिखा है- 'मैंने जेएनयू प्रोफेसरों को हमेशा ही राष्ट्र विरोधी संगठनों के कार्यक्रमों में राष्ट्रीय एकता तथा संस्कृति की उपेक्षा के तौर-तरीकों पर बात करते सुना है.. तभी मैंने महसूस किया कि जेएनयू राष्ट्र विरोधी समूहों का गढ़ है, जिसका एकमात्र उद्देश्य देश को विघटित करना है।'
पत्रिका के आमुख आलेख में जेएनयू छात्र संघों के नक्सल समर्थक होने का दावा करते हुए कहा गया है कि उन्होंने 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 75 सीआरपीएफ जवानों की हत्या का खुलेआम जश्न मनाया था। और यह सब जेएनयू प्रशासन की नाक के नीचे हुआ था। पत्रिका के एक अन्य आलेख के मुताबिक जेएनयू एक ऐसा संस्थान है, जहां राष्ट्रवाद को अपराध माना जाता है।
वहां भारतीय संस्कृति को विकृत रूप में पेश करना आम बात है। जम्मू-कश्मीर से सेना वापसी का समर्थन किया जाता है। वे कई अन्य राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के पक्षधर हैं। आलेख के लेखक ने जेएनयू में पढ़ाई करने का दावा करते हुए लिखा है- 'मैंने जेएनयू प्रोफेसरों को हमेशा ही राष्ट्र विरोधी संगठनों के कार्यक्रमों में राष्ट्रीय एकता तथा संस्कृति की उपेक्षा के तौर-तरीकों पर बात करते सुना है.. तभी मैंने महसूस किया कि जेएनयू राष्ट्र विरोधी समूहों का गढ़ है, जिसका एकमात्र उद्देश्य देश को विघटित करना है।'