सिंहस्थ: पुराने घाटों की मरम्मत और साफ-सफाई जरूरी
डाॅ. चन्दर सोनाने
संभागायुक्त डाॅ. रवीन्द्र पस्तोर ने हाल ही में सिंहस्थ में आने वाले करीब 5 करोड़ श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए शिप्रा तट के समस्त घाटों की गाद हटाने और साफ- सफाई करने के निर्देश दिए हैं। उनके निर्देश का क्रियान्वयन भी शुरू हो गया हैं। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि पुराने घाटों की मरम्मत भी की जाये, क्योंकि पुराने घाट सिंहस्थ सन् 2004 और सन् 1992 में बने होने के कारण उनकी मरम्मत की आवश्यकताघाटों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं।
यह खुशी की बात हैं कि इस वर्ष सिंहस्थ के मद्देनजर करीब 8 किलोमीटर लंबे नए घाट बनाए जा रहे हैं। इनमें से अधिकतर का काम पूरा हो गया हैं तथा शेष निर्माणाधीन हैं। यहाँ अब पुराने घाटों की और देखना जरूरी हो गया हैं। शिप्रा में छोटी रपट के दोनों और गाद भरी हुई स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं। रामघाट व दत्त अखाडें के बीच की रपट के पास दत्त अखाड़ा घाट की और अत्यधिक गाद एकट्ठी हो गई हैं। इसी प्रकार भूखी माता के सामने, मंगलनाथ और सिद्धवट के घाटों पर भी गाद एवं गंदगी स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। इसलिए जरूरी हैं कि त्रिवेणी से लेकर सिद्धवट तक समस्त पुराने घाटों की साफ-सफाई की जाये। ऐसा न हो कि संभागायुक्त के निर्देश पर कुछ ही घाटों की साफ-सफाई करने के बाद यह काम अधूरा छोड़ दिया जाये। शिप्रा तट पर जितने भी घाट
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बनाए गए हैं, उन सब की साफ-सफाई करना निहायत ही जरूरी हैं। यह देखना भी आवश्यक हैं कि घाट पर बने गाद और गंदगी को पाईप से धोकर वापस शिप्रा में न बहाया जाये। अभी यही हो रहा हैं। अतः यहाँ यह भी ध्यान रखना जरूरी हैं कि समस्त घाटों पर जमी गंदगी को वहां से पूरी तरह हटाया जाये। पूर्ण रूप से सभी घाटों की सफाई हो जाने के बाद सिंहस्थ तक नियमित रूप से साफ- सफाई हो यह भी जरूरी हैं।
सन् 1992 और सन् 2004 के सिंहस्थ के समय बनाए गए घाटों की मरम्मत करना निहायती जरूरी हैं।कुछ घाट तो इसके भी पहले के बने हुए हैं। इन पर भी जल संसाधन, नगर निगम तथा अन्य विभागों के अधिकारियों को गौर करना आवश्यक हैं।
संभागायुक्त डाॅ. रवीन्द्र पस्तोर का श्रद्धालुओं के लिए राज्य शासन द्वारा दी जा रही सुविधाओं पर सजग निगाहें रहीं हैं , इसके लिए उन्हें साधुवाद ! विभागीय अधिकारियों को
भी चाहिए कि कमीश्नर के द्वारा दिए गए निर्देर्शो की मंशा को समझे और सिंहस्थ में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सेवा करने का उन्हें पुण्य प्राप्त हो रहा हैं , उसे प्राप्त करने के लिए सजग होकर कार्य करें।
संभागायुक्त डाॅ. रवीन्द्र पस्तोर ने हाल ही में सिंहस्थ में आने वाले करीब 5 करोड़ श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए शिप्रा तट के समस्त घाटों की गाद हटाने और साफ- सफाई करने के निर्देश दिए हैं। उनके निर्देश का क्रियान्वयन भी शुरू हो गया हैं। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि पुराने घाटों की मरम्मत भी की जाये, क्योंकि पुराने घाट सिंहस्थ सन् 2004 और सन् 1992 में बने होने के कारण उनकी मरम्मत की आवश्यकताघाटों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं।
यह खुशी की बात हैं कि इस वर्ष सिंहस्थ के मद्देनजर करीब 8 किलोमीटर लंबे नए घाट बनाए जा रहे हैं। इनमें से अधिकतर का काम पूरा हो गया हैं तथा शेष निर्माणाधीन हैं। यहाँ अब पुराने घाटों की और देखना जरूरी हो गया हैं। शिप्रा में छोटी रपट के दोनों और गाद भरी हुई स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं। रामघाट व दत्त अखाडें के बीच की रपट के पास दत्त अखाड़ा घाट की और अत्यधिक गाद एकट्ठी हो गई हैं। इसी प्रकार भूखी माता के सामने, मंगलनाथ और सिद्धवट के घाटों पर भी गाद एवं गंदगी स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। इसलिए जरूरी हैं कि त्रिवेणी से लेकर सिद्धवट तक समस्त पुराने घाटों की साफ-सफाई की जाये। ऐसा न हो कि संभागायुक्त के निर्देश पर कुछ ही घाटों की साफ-सफाई करने के बाद यह काम अधूरा छोड़ दिया जाये। शिप्रा तट पर जितने भी घाट
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बनाए गए हैं, उन सब की साफ-सफाई करना निहायत ही जरूरी हैं। यह देखना भी आवश्यक हैं कि घाट पर बने गाद और गंदगी को पाईप से धोकर वापस शिप्रा में न बहाया जाये। अभी यही हो रहा हैं। अतः यहाँ यह भी ध्यान रखना जरूरी हैं कि समस्त घाटों पर जमी गंदगी को वहां से पूरी तरह हटाया जाये। पूर्ण रूप से सभी घाटों की सफाई हो जाने के बाद सिंहस्थ तक नियमित रूप से साफ- सफाई हो यह भी जरूरी हैं।
सन् 1992 और सन् 2004 के सिंहस्थ के समय बनाए गए घाटों की मरम्मत करना निहायती जरूरी हैं।कुछ घाट तो इसके भी पहले के बने हुए हैं। इन पर भी जल संसाधन, नगर निगम तथा अन्य विभागों के अधिकारियों को गौर करना आवश्यक हैं।
संभागायुक्त डाॅ. रवीन्द्र पस्तोर का श्रद्धालुओं के लिए राज्य शासन द्वारा दी जा रही सुविधाओं पर सजग निगाहें रहीं हैं , इसके लिए उन्हें साधुवाद ! विभागीय अधिकारियों को
भी चाहिए कि कमीश्नर के द्वारा दिए गए निर्देर्शो की मंशा को समझे और सिंहस्थ में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सेवा करने का उन्हें पुण्य प्राप्त हो रहा हैं , उसे प्राप्त करने के लिए सजग होकर कार्य करें।