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सिंहस्थ: गत सिंहस्थ की कमियों से सीख लेना जरूरी


डाॅ. चन्दर सोनाने
                 गत सिंहस्थ के आयोजन में व्यवहारिक रूप से जो कमियाँ महसूस की गई, उन कमियों को जिला प्रशासन द्वारा प्रकाशित प्रशासकीय प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया हैं। इस प्रशासकीय प्रतिवेदन में गत सिंहस्थ की प्रमुख रूप से 15 कमियों को स्वीकार करते हुए उजागर किया गया हैं। इन कमियों को प्रकट करने के साथ ही प्रशासकीय प्रतिवेदन में यह भी स्पष्ट रूप से लिखा गया हैं कि आगामी सिंहस्थ में इन कमियों को दूर कर लिया जाए। इन प्रमुख कमियों पर दृष्टि डाले तों आश्चर्यजनक रूप से यह ज्ञात होता हैं कि गत सिंहस्थ की कमियों से जितनी सीख लेने की जरूरत थी, उतनी सीख जिला प्रषासन द्वारा अभी तक नही ली जा सकी हैं । अभी भी समय है, यदि इन महत्वपूर्ण कमियों पर ध्यान दिया जाये तो इन्हें दूर किया जा सकता हैं। जरूरत है सिर्फ दृढ़ इच्छा शक्ति की।
                 प्रशासकीय प्रतिवेदन में बिन्दुवार स्वीकार की गई 15 कमियाँ इस प्रकार हैंः-
सिंहस्थ 2004 कमियों पर एक नजर
1.    सीवर लाईन प्लान का भैरवगढ़ , मंगलनाथ क्षेत्र में काम न करना।
2.    रेलवे यात्रियों की संख्या के मान से टिकट वितरण की पर्याप्त व्यवस्था न होना।
3.    सेटेलाईट टाउनों का स्नान क्षेत्र से दूर होना।
4.    कतिपय साधुओं द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों से असंयमित व्यवहार।
5.    पुलिसकर्मियों द्वारा अत्यावश्यक सेवाओं को अनावश्यक रूप से रोका जाना।
6.    सड़क चैड़ीकरण अभियान देर से शुरू किया जाना।
7.    एक ही एजेंसी को अस्थायी शौचालय निर्माण का कार्य दिया जाना।
8.    व्यावसायिक भूखंडों का स्थान परिवर्तित करना।
9.    सेटेलाईट टाऊनों का कार्ययोजना अनुसार उपयोग न होना।
10.    महत्वपूर्ण स्थायी निर्माण कार्यो का देर से पूर्ण होना।
11.    पंचक्रोशी मार्ग पर छायादार वृक्षों की कमी।
12.    ढा़बा रोड़ से दानीगेट तक के पेशवाई मार्ग का चैडीकरण न किया जाना।
13.    बाहर से पदस्थ प्रशासनिक अधिकारियों के ठहरने हेतु पर्याप्त व्यवस्था न होना।
14.    निःशुल्क विद्युत प्रदाय की खपत सीमा निर्धारित न होना।
15.    मंगलनाथ एवं भैरवगढ़ झोन की जल प्रदाय व्यवस्था का एक ही वाल्व से नियंत्रण।

                 प्रशासनिक प्रतिवेदन में स्वीकार की गई प्रमुख कमियों में से बिन्दु क्रमांक 3 में सेटेलाईट टाउन का स्नान क्षेत्र से दूर होना और बिन्दु क्रमांक 9 में सेटेलाईट


टाउनों का कार्ययोजना के अनुसार  उपयोग न होना हैं। आश्चर्य की बात हैं कि गत सिंहस्थ में जहां सेटेलाईट टाउन बनाए गए थे , उन्हीं स्थानों पर अभी भी छः सेटेलाईट टाउन बनाए जाने का निर्णय जिला प्रशासन द्वारा लिया गया हैं। जबकि, प्रमुख कमियों के रूप में प्रशासकीय प्रतिवेदन में इसे स्वीकार करके यह माना गया था कि सेटेलाइट टाउन स्नान क्षेत्र से दूर हैं एवं सेटेलाइट टाउन का कार्य योजना के अनुसार उपयोग नही हो पाया था। कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत द्वारा “सिंहस्थ महाकुंभ 2016: परिचय, व्यवस्था एवं चुनौतियां“ पुस्तक प्रकाशित की गई हैं। इसी प्रकार पुलिस अधीक्षक श्री एम.एस वर्मा द्वारा प्रकाशित पुस्तिका “सिंहस्थ कुंभ 2016  निर्देशिका“ प्रकाशित की गई हैं। दोनो पुस्तिकाओं में गत सिंहस्थ के समान ही सेटेलाइट टाउन बनाए जाने की जानकारी दी गई हैं। कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक  दोनों ने ही गत सिंहस्थ की कमियों को दूर करने का प्रयास ही नहीं किया हैं।
                   यहां यह उल्लेखनीय हैं कि संभागायुकत डाॅ. रवीन्द्र पस्तोर ने गत माह सेटेलाइट टाउन की स्थिति का निरीक्षण किया था तथा कलेक्टर और पुलिस अधिक्षक दोनो को सेटेलाईट टाउन दूर होने पर असंतोष प्रकट करते हुए उन्हें स्नान क्षेत्र के निकट करने के निर्देश दिए थे। हाल ही में करीब 1 माह बाद पुनः संभागायुक्त ने जब सेटेलाइट टाउन का निरीक्षण किया और उन्हें पहले के स्थान पर ही पाया तब उन्होने असंतोष प्रकट करते हुए स्पष्ट रूप से निर्देश दिए हैं कि श्रद्धालुओं  को किसी भी स्थिति में डेढ़ कि.मी. से अधिक पैदल नही चलाया जाये एवं स्नान क्षेत्र के पास जगह चिन्हीत कर सेटेलाईट टाउन बनाया जाये। इसके लिए उन्होने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक दोनों को नए स्थान खोजकर चिन्हीत करने तथा उन स्थानों पर सेटेलाइट टाउन बनाने के सख्त निर्देश दिए हैं। अब देखना यह हैं कि संभागायुक्त के निर्देशों का  कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक द्वारा किस प्रकार क्रियान्वयन किया जाता हैं।
               गत सिंहस्थ की प्रमुख कमियों को देखा जाये तो पता चलता हैं कि बिन्दु क्रमांक 1 में सीवर लाईन प्लान का भैरवगढ़ , मंगलनाथ क्षेत्र में काम न करना बताया गया हैं। अभी मेला क्षेत्र में सीवर लाईन प्लान के क्रियान्वयन की शुरूआत ही की गई हैं। यदि अभी से प्लान बनाकर कार्य किया जाएगा तो इस गलती की पुनरावृत्ति नही हो पाएगी। बिन्दु क्रमांक 2 की कमी की पूर्ति भी अभी की जा सकती हैं। आगामी सिंहस्थ में 5 करोड़ श्रद्धालुओं के उज्जैन आने का अनुमान हैं। इस अनुमान को देखते हुए रेल के टिकट वितरण करने की व्यवस्था अभी भी की जा सकती हैं। अभी तक इस पर कोई कार्य भी नही हुआ हैं। और नही इस पर सोच विचार किया गया हैं, ऐसा प्रतीत हो रहा हैं।
              प्रशासकीय प्रतिवेदन में बिन्दु क्रमांक 4 का उल्लेख इसलिए किया गया कि गत सिंहसथ में तत्कालीन कलेक्टर डाॅ. राजेश राजोरा के साथ कुछ साधुओं  द्वारा असंयमित व्यवहार किया गया था। इस स्थिति की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए जरूरी हैं कि उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री के रिक्त पद पर शीघ्र मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान द्वारा नियुक्ति कर दी जानी
चाहिए, ताकि वे साधुओं और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच सामंजस्य बैठा सके। गत सिंहस्थ में पुलिस कर्मियों द्वारा अत्यावश्यक सेवाओं जैसे पेयजल, स्वास्थ्य, विद्युत, दूध, साफ-सफाई तथा अन्य सेवाओं से जुड़े अधिकारी - कर्मचारी आदि को मेला क्षेत्र में जाने से
अनावश्यक रूप से रोका गया था। अनेक पत्रकारों को भी प्रेस पास और वाहन पास होने के बावजूद मेला क्षेत्र में जाने से रोका गया था। इस कमी की पूर्ति के लिए पुलिसकर्मियों को दिए जा रहे प्रशिक्षण में सख्त निर्देश दिए जाने की जरूरत हैं।
              प्रशासकीय प्रतिवेदन में स्वीकार की गई अन्य कमियों पर दृष्टि डाली जाना प्रशासनिक अधिकारियों के लिए आवश्यक हैं। अब सिंहस्थ के लिए जो समय शेष है, उसी समय में जो कार्य किया जाना संभव हो तो वह कार्य जरूर कर लिया जाए जिससे कि गलतियों की पुनरावृत्ति नही हो पाए। इसके लिए गत सिंहस्थ की कमियों से सबक लेना जरूरी हैं। संभागायुक्त डाॅ. रवीन्द्र पस्तोर से अपेक्षा हैं कि उन्होंने जिस प्रकार सेटेलाईट टाउन पर अपना ध्यान केन्द्रीत किया हैं, उसी प्रकार अन्य कमियों पर भी ध्यान देवे, ताकि उन कमियों की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।





 
 

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