सिद्धवट उज्जैन
उज्जैन का सिद्धवट प्रयाग के अक्षयवट,वृन्दावन के वंशीवट तथा नासिक के पंचवट के समान अपनी पवित्रता के लिए प्रसिद्ध हैं। पुण्यसलिला शिप्रा के सिद्धवट घाट पर अन्त्येष्टि-संस्कार सम्पन्न किया जाता हैं। स्कन्द पुराण में इस स्थान को प्रेत-शिला तीर्थ कहा गया हैं। एक मान्यता के अनुसार पार्वती ने यहाँ तपस्या की थी । यह नाथ सम्प्रदाय का भी पूजा स्थान रहा हैं।
सिद्धवट के तट पर शिप्रा में अनेक कछुए पाए जाते हैं। उत्तसिनी के प्राचीन सिक्कों पर नदी के साथ कूर्म भी अंकित पाए गए हैं। अससे भी यह प्रमाणित होता हैं कि यहाँ कछुए अति प्राचीनकाल से ही मिलते रहे होंगे । कहा जाता हैं कि, कभी इस वट को कटवाकर इस पर लोहे के तवो जड़ दिए गए थे , परन्तु यह वृक्ष तवों को फोड़कर पुनः हरा-भरा हो गया।
सिद्धवट के तट पर शिप्रा में अनेक कछुए पाए जाते हैं। उत्तसिनी के प्राचीन सिक्कों पर नदी के साथ कूर्म भी अंकित पाए गए हैं। अससे भी यह प्रमाणित होता हैं कि यहाँ कछुए अति प्राचीनकाल से ही मिलते रहे होंगे । कहा जाता हैं कि, कभी इस वट को कटवाकर इस पर लोहे के तवो जड़ दिए गए थे , परन्तु यह वृक्ष तवों को फोड़कर पुनः हरा-भरा हो गया।