top header advertisement
Home - आपका ब्लॉग << सिंहस्थ: केन्द्रीय समिति, स्थानीय समिति और उप समितियों का गठन शीघ्र जरूरी

सिंहस्थ: केन्द्रीय समिति, स्थानीय समिति और उप समितियों का गठन शीघ्र जरूरी


डाॅ. चन्दर सोनाने
           उज्जैन में 22 अप्रैल से 21 मई 2016 तक सिंहस्थ का आयोजन होने जा रहा हैं। राज्य शासन द्वारा मध्य भारत सिंहस्थ मेला अधिनियम 1955 की धारा (5) की उपधारा (1) के तहत केन्द्रीय समिति का गठन किया जाता हैं। यह समिति सम्पूर्ण सिंहस्थ के आयोजन के लिए प्रमुख नियामक समिति रहती हैं। इसी प्रकार राज्य शासन द्वारा मध्य भारत सिंहस्थ मेला अधिनियम 1955 की धारा (5) की उपधारा (2) के तहत स्थानीय समिति और विभिन्न 16 उप समितियों का गठन किया जाता हैं। किंतु राज्य शासन द्वारा अभी तक न तो केन्द्रीय समिति का गठन किया गया हैं और न ही स्थानीय समिति बनाई गई हैं। स्थानीय समिति के सदस्यों में से ही विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यो के लिए उपसमितियों का गठन किया जाता हैं। यह कार्य भी अभी तक नही हो पाया हैं।
         राज्य शासन द्वारा गत सिंहस्थ 2004 के लिए पूर्व मंत्री श्री शीतला सहाय की अध्यक्षता में 30 जनवरी 2004 को केन्द्रीय समिति का गठन किया गया था। इस महत्वपूर्ण समिति में कुल 78 सदस्यों को शामिल किया गया था।  इसी प्रकार राज्य शासन ने 7 फरवरी 2004 को गत सिंहस्थ 2004 के लिए पूर्व मंत्री श्री बाबुलाल जैन की अध्यक्षता में 330 सदस्यों को शामिल करते हुए स्थानीय समिति का गठन किया था।
         राज्य सरकार द्वारा गत सिंहस्थ में गठित स्थानीय समिति के सदस्यों में से ही 16 उप समितियों का गठन भी किया गया था। इन उप समितियों में वरिष्ठ गणमान्य नागरिक अथवा जनप्रतिनिधियों की अध्यक्षता में उपसमितियां बनाई गई थी। उपसमितियों में विभिन्न  जनप्रतिनिधियों और गणमान्य नागरिको को सदस्य बनाया गया था । इसके साथ ही वरिष्ठ जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ गणमान्य नागरिकों कों विशेष आमंत्रित सदस्य भी बनाया गया था। संबंधित विभागों के अधिकारियों को उन उपसमितियों का सचिव नियुक्त किया गया था। गत सिंहस्थ में बनाई गई 16 उपसमितियों के नाम से ही स्पष्ट होता हैं कि ये उप समितियां कितनी महत्वपूर्ण थी। पूर्व में गठित की गई 16 उपसमितियों के नाम इस प्रकार हैं- पड़ाव भूमि एवं साधु समाज व्यवस्था उपसमिति, घाट उपसमिति, सड़क एवं पुल उपसमिति, शिप्रा शुद्धिकरण एवं पेयजल उपसमिति, साहित्य एवं सांस्कृतिक उपसमिति, जनसहयोग उपसमिति, पंचक्रोशी यात्रा उपसमिति, यातायात उपसमिति, प्रचार एवं प्रेस उपसमिति, सिंहस्थ सेवादल उपसमिति, प्रदर्शनी उपसमिति, शिप्रा स्नान एवं धार्मिक व्यवस्था उपसमिति, रसद एवं खाद्य उपसमिति, सफाई एवं स्वास्थ्य व्यवस्था उपसमिति, मंदिर , धर्मशाला एवं विश्राम गृह उपसमिति,  मुआवजा वितरण उपसमिति।
          सिंहस्थ आयोजन के लिए मात्र छः माह शेष हैं। किंतु अभी तक किसी भी समिति का गठन नही होना राज्य शासन का इस और ध्यान नही होने को परिलक्षित करता हैं। केन्द्रीय समिति  में विभिन्न विभागों के माननीय मंत्रीगण, जनप्रतिनिधि एवं सचिव तथा प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी शामिल रहते हैं। इसके साथ ही इसमें  उज्जैन के कमिश्नर ,कलेक्टर, मेलाधिकारी और पुलिस महानिरीक्षक जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहते हैं। इस महत्वपूर्ण और नीति नियामक तथा साधिकार समिति का गठन अभी तक नही होना राज्य शासन की इस और उदासीनता ही प्रकट करती हैं।
           स्थानीय समिति में समस्त 13 अखाडों के प्रतिनिधि, महत्वपूर्ण साधु-संत, जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक, विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी तथा महत्वपूर्ण विभागों के अधिकारीगण शामिल रहते हैं। यह समिति मुख्य रूप से स्थानीय लोगांे की ही रहने के कारण इस समिति का विशेष महत्वपूर्ण स्थान रहता हैं। यह समिति सिंहस्थ के विभिन्न निर्माण और विकास कार्यो पर सजग निगाह ही नही रखती हैं अपितु अवैधानिक कार्यो पर अंकुश लगाने के महत्वपूर्ण दायित्वों का भी निर्वहन करती हैं। पहले यह माना जा रहा था कि नगर निगम के चुनाव के कारण स्थानीय समिति का गठन अभी तक नही किया जा सका हैं। किंतु नगर निगम के चुनाव हुए भी दो माह से अधिक समय बीत चुका हैं। और अभी तक स्थानीय समिति का भी गठन राज्य सरकार द्वारा नहीं किया गया हैं।
           स्थानीय समिति के सदस्यों में से ही राज्य शासन द्वारा विभिन्न उपसमितियों का गठन भी किया जाता हैं। स्थानीय समिति का गठन अभी तक नही होने के कारण उपसमितियों का गठन भी नहीं हो पाया हैं। यह उपसमितियाँ पूरी तरह से स्थानीय जनप्रतिनिधियों और गणमान्य नागरिकों तथा सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों से मिलकर बनाई जाती हैं। स्थानीय समिति सम्पूर्ण कार्य नही देख पाती हैं, इस कारण से उपसमितियों का गठन किया जाता हैं। सिंहस्थ के सफल आयोजन के लिए इन उपसमितियों का महत्वपूर्ण स्थान रहता हैं।
           उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री श्री कैलाश विजयर्गीय के संगठन की केन्द्रीय राजनीति में जाने के बाद उन्होंने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। उस घटना को भी तीन माह से अधिक समय होने जा रहा हैं। राज्य शासन द्वारा अभी तक प्रभारी मंत्री की नियुक्ति भी नही ं की गई हैं। प्रभारी मंत्री सिंहस्थ निर्माण और विकास कार्यो की न केवल सजग रहकर समीक्षा नियमित रूप से करते हैं, अपितु वे विभिन्न अखाड़ों तथा शासन और प्रशासन के मध्य समन्वय की भी  महती जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं। सिंहस्थ आयोजन के लिए बहुत कम समय बचा हुआ हैं,इसलिए अब तो राज्य शासन को प्रभारी मंत्री की नियुक्ति कर ही देनी चाहिए।
           राज्य शासन के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग तथा कमिश्नर डाॅ. रवीन्द्र पस्तोर और कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत को चाहिए कि शीघ्र केन्द्रीय समिति, स्थानीय समिति तथा उपसमितियों का गठन किया जाये, ताकि सिंहस्थ के विभिन्न निर्माण एवं विकास कार्यो को और गति प्रदान की जा सके, जिसकी आज जरूरत हैं।

Leave a reply