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स्वच्छ भारत अभियान: लक्ष्य बड़े: प्रयास छोटे


डाॅ. चन्दर सोनाने

देश के प्रधानमंत्रंी श्री नरेन्द्र मोदी ने गत वर्ष 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी के जन्मदिन के  अवसर पर स्वच्छ भारत अभियान का जोर शोर से शुभारंभ किया था। खुले में शौच से देश भर को मुक्त कराने के लिए पांच वर्षीय योजना बनाई गई थी। अभियान का लक्ष्य यह तय किया गया था कि 2 अक्टूबर 2019 को यानी महात्मा गांधी की 150 वीं जन्मतिथि तक देश में खुले में शौच करना पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। किन्तु, गत  वर्ष सामान्य विषय को भी एक अभियान का स्वरूप देने में सफल रहे श्री नरेन्द्र मोदी इस वर्ष 2 अक्टूबर को स्वच्छता अभियान को भूल सा गए। न तो उन्होंने झाडू हाथ में उठाई और ना ही इस संबंध में जन जागरूकता के लिए कोई आव्हान किया।
क्या प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बड़े लक्ष्य को पाने के प्रयास को उन्होंने ही ठंडे बस्ते में डाल दिया ? इस वर्ष महात्मा गांधी की जन्मतिथि 2 अक्टूबर के दिन कोई भी कार्यक्रम आयोजित नही करने से तो यही सिद्ध हो रहा हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए लक्ष्य की ही हम बात करंे तो यह पता चलता हैं कि हम लक्ष्य से बहुत पीछे चल रहे हैं। वर्ष 2012 तक देश के करीब 11 करोड ग्रामीण परिवारों के पास शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। उसमें से करीब 1.1 करोड़ परिवारों को सरकार ने शौचालय बनाने में एक वर्ष में मदद की हैं। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अगले चार वर्षो में 9.9 करोड़ परिवारों को शौचालय उपलब्ध कराया जाना हैं। लक्ष्य के अनुसार प्रतिवर्ष कम से कम 2 करोड़ शौचालय बनाए जाना जरूरी हैं। गत एक वर्ष में लक्ष्य की लगभग 50 प्रतिशत प्राप्ति ही हो पाई हैं। अब अगले चार सालांे में करीब दस करोड़ परिवारो को शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य बहुत बड़ा हैं। यहीं गति रही तो लक्ष्य की पूर्ति करना संभव नही हो पाएगा।
यह तय हैं कि स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से देशभर में स्वच्छता का संदेश देने
में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी निःसंदेह गत वर्ष सफल रहे थे। प्रधानमंत्री ने जब स्वच्छता अभियान के लिए झाडू उठाई तो देश के प्रसिद्ध सिनेमा स्टार अमिताभी बच्चन तथा उद्योगपतियों श्री मुकेष अंबानी और श्री अनिल अंबानी ने भी झाडू उठाकर अभियान को सफल बनाया था। देश के सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने भी अभियान में जोर शोर से भाग लिया। इसका परिणाम यह हुआ कि प्रदेशांे के शहरों और ग्रामीण अंचलों में अभियान सफलतापूर्वक पहुंचा। नागरिकों और ग्रामीणों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। किन्तु इस वर्ष 2 अक्टूबर एवं इसके बाद अभी तक ऐसा कुछ नही हुआ।
इस बात को हर कोई स्वीकार करता हैं कि शहर हो या ग्रामीण अंचल, सभी क्षेत्रों में सभी के लिए शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए। समर्थ व्यक्ति जरूर यह योजना जुटा लेता हैं, लेकिन गरीब व्यक्ति को सरकारी मदद की जरूरत होती हैं। ऐसे अभियानों से कार्य में तेजी आती हैं। किन्तु केवल योजना बना देना ही पर्याप्त नहीं होता हैं। उसके क्रियान्वयन के लिए पर्याप्त आवटंन और दिशा निर्देश के साथ दृढ़ संकल्प शक्ति की भी जरूरत होती हैं। आज शहरों की तुलना में ग्रामीण अंचलों में स्थिति बदतर हैं। आज भी प्रत्येक गांव में प्रवेश के समय रास्ते के दोनांे तरफ सुबह शाम खुले में शौंच करते हुए ग्रामीण जन दिख जाएंगे। सभी सरकारी स्कूलों में विशेषकर बालिकाओं के लिए शौचालय एवं मूत्रालय की व्यवस्था करना अत्यन्त आवश्यक हैं। वर्तमान में ग्रामीण अंचलों में स्वच्छता अभियान के अंतर्गत श्रेष्ठ कार्य करने वाली पंचायत को मात्र 5 हजार रूपये की पुरस्कार राशि दी जाती हैं। यह अपर्याप्त हैं। यह प्रोत्साहन राशि प्रत्येक ग्राम में शत प्रतिशत शौचालय बनाने पर कम से कम 50 हजार रूपये दिए जाने की आवश्यकता हैं। ऐसे श्रेष्ठ कार्य करने वाले सरपंचो को 26 जनवरी और 15 अगस्त के अवसर पर समारोह में पुरस्कृत किए जाने की भी जरूरत हैं।
अभी भी छोटे शहरों एवं गांवों में खुले में शौच करना लोगांे की मजबुरी हैं। इसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगरपालिका और नगर निगम क्षेत्रांे में सर्वे कर शत प्रतिशत घरों मेें शौचालय बनाने के लिए प्रोत्साहन देने की जरूरत हैं। इसके लिए पंच और सरपंचो तथा पार्षद एवं नगर पालिका अध्यक्ष और महापौर को विशेष प्रयास करने की महती आवश्यकता हैं। तभी देष खुले में षौच करने की स्थिति से मुक्त हो सकेगा।

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