सिंहस्थ: मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान दिया जाना जरूरी
डाॅ. चन्दर सोनाने
जिला प्रशासन द्वारा सिंहस्थ 2004 के प्रशासकीय प्रतिवेदन में सिंहस्थ के दौरान महसूस की गई प्रमुख 15 कमियों को रेखांकित करते हुए स्वीकार किया गया हैं। इन प्रमुख कमियों में से बिन्दु क्रमांक 1 पर कमी बताई गई हैं “सीवर लाईन प्लान का भैरूगढ़ और मंगलनाथ क्षेत्र में काम नहीं करना।“ इसके साथ ही बिन्दु क्रमांक 7 में भी इस कमी को स्वीकार किया गया हैं कि “एक ही एजेंसी को अस्थाई शौचालय निर्माण का कार्य दिया जाना।“
सिंहस्थ मेला क्षेत्र के समतलीकरण का कार्य जिला प्रशासन द्वारा आरंभ कर दिया गया हैं। अब पूरे मेला क्षेत्र में सीवर लाईन डाली जाएगी। अब समय है इस बात को सोचने का हैं कि सिंहस्थ 2004 की कमियों से सीख ली जाकर उनकी पुनरावर्ती नहीं की जाये। इसके लिए सम्पूर्ण मेला क्षेत्र के सभी छः झोन क्षेत्रों और 22 सेक्टरों में सीवर लाइन डालते समय तकनीकी पहलुओं का विशेष रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए, ताकि गत सिंहस्थ में भैरूगढ़ और मंगलनाथ क्षेत्र में सीवर लाइन के काम नहीं करने जैसी पुनरावर्ती नहीं होने पाए। यह महत्वपूर्ण एवं मूलभूत कार्य हैं। इस पर सर्वोच्च ध्यान देने की जरूरत हैं। इसलिए यह कार्य सिर्फ मजदूरों के भरोसे नहीं छोडते हुए विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में ही यह सम्पूर्ण कार्य किया जाना आवश्यक हैं।
गत सिंहस्थ में जिला प्रशासन द्वारा अस्थाई शौचालयों के निर्माण का कार्य एक ही एजेंसी को देने के कारण मेला शुरू होने तक अस्थाई शौचालय निर्माण का कार्य पूर्ण नहीं हुआ था। इस कारण मेला अवधि में भी अस्थाई शौचालय निर्माण का कार्य करना पड़ा था। इसके लिए तत्कालिन कलेक्टर डाॅ. राजेश राजोरा ने ताबडतोड़ अन्य निर्माण एजेंसियों को कार्य देकर अस्थाई शौचालय निर्माण कार्य करवाया था। उस समय यह कार्य पूर्ण करना एक चुनौती भरा काम हो गया था, जिसे तत्कालिन कलेक्टर ने जैसे -तैसे करवाया था।
गत सिंहस्थ में स्वीकार की गई कमियों को इस सिंहस्थ में कदापि दोहराने की आवश्यकता नहीं हैं। अभी पर्याप्त समय है। इसके लिए एक ही एजेंसी को अस्थाई शौेचालय का निर्माण कार्य देने की बजाय झोन वार कार्य आदेश दिया जाना उचित होगा। वर्तमान में सम्पूर्ण मेला क्षेत्र छः झोन में विभक्त किया गया हैं। इसलिए प्रत्येक झोनवार अस्थाई शौचालय निर्माण और अस्थाई मूत्रालय निर्माण का ठेका दिया जाना उचित होगा।
मेला क्षेत्र में अस्थाई शौचालय निर्माण और अस्थाई मूत्रालय निर्माण तथा सीवर लाइन डालने का काम नगर निगम द्वारा किया जाना हैं। इसके लिए वह अभी सें
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सचेत रह कर इस दिशा में कार्य करें ताकि गत सिंहस्थ की पुनरावर्ती फिर से न हो सके। इस और कलेक्टर और संभागायुक्त को भी ध्यान दिए जाने की आवश्यकता हैं। इस सिंहस्थ में करीब 5 करोड श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए इस और विशेष ध्यान दिया जाकर श्रद्धालुओं को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध किया जाना जरूरी हैं।
यहाँ यह देखा जाना जरूरी हैं कि सिंहस्थ अवधि में लाखों की संख्या में श्रद्धालु उज्जैन आएंगे। आने वाले श्रद्धालुओं में से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र से आएंगे। इसके लिए यह भी जरूरी हैं कि अस्थाई शौचालय और मूत्रालय की संख्या पर्याप्त होना चाहिए। गत सिंहस्थ में करीब 2 करोड़ श्रद्धालु सिंहस्थ में आए थे।उस समय उस संख्या को ध्यान में रखकर व्यवस्थाएं की गई थी। इस सिंहस्थ में करीब 5 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए गत सिंहस्थ से करीब 3 गुना अधिक अस्थाई शौचालय तथा अस्थाई मूत्रालय बनाने की आवश्यकता हैं। यहाँ यह भी जरूरत हैं कि सिंहस्थ मेला क्षेत्र में उपयुक्त जगह पर अस्थाई शौचालय और मूत्रालय के संकेत चिन्ह भी पर्याप्त मात्रा में लगाए जाय।
इस सिंहस्थ में बनाई गई कार्य योजना के अनुसार 45 हजार डगपिट शौचालय और 1000 जीरो डिस्चार्ज बायो टायलेट बनाए गए हैं। यह संख्या पर्याप्त प्रतीत नही हो रही हैं। नासिक में चल रहे कुंभ मेले में इससे अधिक शौचालय बनाए गए हैं। अतः जरूरी हैं कि इस संख्या को दोगुना किया जाये।
इस सिंहस्थ की कार्ययोजना में अस्थाई शौचालय का उल्लेख तो स्पष्ट रूप से किया गया हैं, किन्तु अस्थाई मूत्रालय का कहीं उल्लेख नहीं मिलता हैं। यदि यह तकनीकी त्रुटी है तो ठीक है, अन्यथा ऐसा नहीं हो कि अस्थाई मूत्रालय को कार्य योजना में शामिल ही नही किया जाये। श्रद्धालु को मूलभूत सुविधा देने के लिए जितना जरूरी हैं अस्थाई शौचालय बनाना, उतना ही जरूरी हैं अस्थाई मूत्रालय भी बनाना। संभागायुक्त डाॅ. रवीन्द्र पस्तोर, कलेक्टर कवीन्द्र कियावत और मेला अधिकारी एवं नगर निगम आयुक्त अविनाश लवानिया को श्रद्धालुओं को मूलभूत सुविघाएं उपलब्ध कराने की दिशा में विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत हैं।
जिला प्रशासन द्वारा सिंहस्थ 2004 के प्रशासकीय प्रतिवेदन में सिंहस्थ के दौरान महसूस की गई प्रमुख 15 कमियों को रेखांकित करते हुए स्वीकार किया गया हैं। इन प्रमुख कमियों में से बिन्दु क्रमांक 1 पर कमी बताई गई हैं “सीवर लाईन प्लान का भैरूगढ़ और मंगलनाथ क्षेत्र में काम नहीं करना।“ इसके साथ ही बिन्दु क्रमांक 7 में भी इस कमी को स्वीकार किया गया हैं कि “एक ही एजेंसी को अस्थाई शौचालय निर्माण का कार्य दिया जाना।“
सिंहस्थ मेला क्षेत्र के समतलीकरण का कार्य जिला प्रशासन द्वारा आरंभ कर दिया गया हैं। अब पूरे मेला क्षेत्र में सीवर लाईन डाली जाएगी। अब समय है इस बात को सोचने का हैं कि सिंहस्थ 2004 की कमियों से सीख ली जाकर उनकी पुनरावर्ती नहीं की जाये। इसके लिए सम्पूर्ण मेला क्षेत्र के सभी छः झोन क्षेत्रों और 22 सेक्टरों में सीवर लाइन डालते समय तकनीकी पहलुओं का विशेष रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए, ताकि गत सिंहस्थ में भैरूगढ़ और मंगलनाथ क्षेत्र में सीवर लाइन के काम नहीं करने जैसी पुनरावर्ती नहीं होने पाए। यह महत्वपूर्ण एवं मूलभूत कार्य हैं। इस पर सर्वोच्च ध्यान देने की जरूरत हैं। इसलिए यह कार्य सिर्फ मजदूरों के भरोसे नहीं छोडते हुए विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में ही यह सम्पूर्ण कार्य किया जाना आवश्यक हैं।
गत सिंहस्थ में जिला प्रशासन द्वारा अस्थाई शौचालयों के निर्माण का कार्य एक ही एजेंसी को देने के कारण मेला शुरू होने तक अस्थाई शौचालय निर्माण का कार्य पूर्ण नहीं हुआ था। इस कारण मेला अवधि में भी अस्थाई शौचालय निर्माण का कार्य करना पड़ा था। इसके लिए तत्कालिन कलेक्टर डाॅ. राजेश राजोरा ने ताबडतोड़ अन्य निर्माण एजेंसियों को कार्य देकर अस्थाई शौचालय निर्माण कार्य करवाया था। उस समय यह कार्य पूर्ण करना एक चुनौती भरा काम हो गया था, जिसे तत्कालिन कलेक्टर ने जैसे -तैसे करवाया था।
गत सिंहस्थ में स्वीकार की गई कमियों को इस सिंहस्थ में कदापि दोहराने की आवश्यकता नहीं हैं। अभी पर्याप्त समय है। इसके लिए एक ही एजेंसी को अस्थाई शौेचालय का निर्माण कार्य देने की बजाय झोन वार कार्य आदेश दिया जाना उचित होगा। वर्तमान में सम्पूर्ण मेला क्षेत्र छः झोन में विभक्त किया गया हैं। इसलिए प्रत्येक झोनवार अस्थाई शौचालय निर्माण और अस्थाई मूत्रालय निर्माण का ठेका दिया जाना उचित होगा।
मेला क्षेत्र में अस्थाई शौचालय निर्माण और अस्थाई मूत्रालय निर्माण तथा सीवर लाइन डालने का काम नगर निगम द्वारा किया जाना हैं। इसके लिए वह अभी सें
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सचेत रह कर इस दिशा में कार्य करें ताकि गत सिंहस्थ की पुनरावर्ती फिर से न हो सके। इस और कलेक्टर और संभागायुक्त को भी ध्यान दिए जाने की आवश्यकता हैं। इस सिंहस्थ में करीब 5 करोड श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए इस और विशेष ध्यान दिया जाकर श्रद्धालुओं को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध किया जाना जरूरी हैं।
यहाँ यह देखा जाना जरूरी हैं कि सिंहस्थ अवधि में लाखों की संख्या में श्रद्धालु उज्जैन आएंगे। आने वाले श्रद्धालुओं में से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र से आएंगे। इसके लिए यह भी जरूरी हैं कि अस्थाई शौचालय और मूत्रालय की संख्या पर्याप्त होना चाहिए। गत सिंहस्थ में करीब 2 करोड़ श्रद्धालु सिंहस्थ में आए थे।उस समय उस संख्या को ध्यान में रखकर व्यवस्थाएं की गई थी। इस सिंहस्थ में करीब 5 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए गत सिंहस्थ से करीब 3 गुना अधिक अस्थाई शौचालय तथा अस्थाई मूत्रालय बनाने की आवश्यकता हैं। यहाँ यह भी जरूरत हैं कि सिंहस्थ मेला क्षेत्र में उपयुक्त जगह पर अस्थाई शौचालय और मूत्रालय के संकेत चिन्ह भी पर्याप्त मात्रा में लगाए जाय।
इस सिंहस्थ में बनाई गई कार्य योजना के अनुसार 45 हजार डगपिट शौचालय और 1000 जीरो डिस्चार्ज बायो टायलेट बनाए गए हैं। यह संख्या पर्याप्त प्रतीत नही हो रही हैं। नासिक में चल रहे कुंभ मेले में इससे अधिक शौचालय बनाए गए हैं। अतः जरूरी हैं कि इस संख्या को दोगुना किया जाये।
इस सिंहस्थ की कार्ययोजना में अस्थाई शौचालय का उल्लेख तो स्पष्ट रूप से किया गया हैं, किन्तु अस्थाई मूत्रालय का कहीं उल्लेख नहीं मिलता हैं। यदि यह तकनीकी त्रुटी है तो ठीक है, अन्यथा ऐसा नहीं हो कि अस्थाई मूत्रालय को कार्य योजना में शामिल ही नही किया जाये। श्रद्धालु को मूलभूत सुविधा देने के लिए जितना जरूरी हैं अस्थाई शौचालय बनाना, उतना ही जरूरी हैं अस्थाई मूत्रालय भी बनाना। संभागायुक्त डाॅ. रवीन्द्र पस्तोर, कलेक्टर कवीन्द्र कियावत और मेला अधिकारी एवं नगर निगम आयुक्त अविनाश लवानिया को श्रद्धालुओं को मूलभूत सुविघाएं उपलब्ध कराने की दिशा में विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत हैं।