सिंहस्थ: सेटेलाइट टाउन: समीक्षा की महती आवश्यकता
डाॅ. चन्दर सोनाने
सिंहस्थ 2004 के प्रशासकीय प्रतिवेदन में मुख्य रूप से 15 कमियों को स्वीकार करते हुए सार्वजनिक रूप से उजागर किया गया था। इन कमियों में से 2 कमियाँ सेटेलाइट टाउन से संबंधित थी। ऐसा प्रतीत हो रहा हैं कि इन कमियों से जिला प्रशासन द्वारा कोई सीख नहीं ली जाकर वहीं गलतियां सिंहस्थ 2016 में वापस दोहराई जा रहीं हैं।
कलेक्टर उज्जैन द्वारा सिंहस्थ 2004 के प्रशासकीय प्रतिवेदन के पृष्ठ क्रमांक 118 पर 15 कमियाँ बताई गई हैं। उनमें से बिन्दु क्रमांक 3 “सेटेलाइट टाउन का स्नान क्षेत्र से दूर होना “ को प्रमुख कमी के रूप में स्वीकार किया गया था। गत सिंहस्थ में जिन स्थानों पर सेटेलाइट टाउन बनाए गए थे, उन्हीं स्थानों पर ही इस बार भी सेटेलाइट टाउन बनाए जा रहे हैं। सिहंस्थ में इंदौर मार्ग पर इंजीनियरिंग काॅलेज, देवास रोड़ पर सोयाबीन प्लांट, मक्सी रोड़ पर पंवासा, आगर रोड़ पर स्वराज माजदा ट्रेक्टर शोरूम के पास, उन्हेल रोड़ पर सांइ वेयर हाऊस के सामने और बड़नगर रोड़ पर विपणन संघ गोडाउन के पास यह सेटेलाइट टाउन बनाएं जा रहे हैं।
संभागायुक्त डाॅ. रवीन्द्र पस्तोर और कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत ने हाल ही में सेटेलाइट टाउनों का निरीक्षण किया तथा इस और ध्यान जरूर दिया हैं कि ये सेटेलाइट टाउन स्नान क्षेत्र से दूर हैं। उन्होंने भ्रमण में साथ चल रहे पुलिस अधीक्षक श्री एम. एस. वर्मा से इस संबंध में बात भी की तथा वैकल्पिक स्थल की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए हैं। अब यह देखा जाना हैं कि कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सेटेलाइट टाउनों का स्थान परिवर्तन करते हैं या वर्तमान स्थल पर ही बनाये रखते हैं। अभी भी समय हैं, सभी सेटेलाइट टाउनों का मूल्यांकन कर फिर से उपयुक्त स्थानों पर सेटेलाइट टाउन बनाकर प्रशासकीय प्रतिवेदन की कमी को पूरा किया जा सकता हैं।
सिंहस्थ 2004 के प्रशासकीय प्रतिवेदन में बताई गई 15 कमियों में से बिन्दु क्रमांक 9 भी सेटेलाइट टाउन से संबंधित हैं। इस बिन्दु में कमी बताई गई थी कि “सेटेलाइट टाउन का कार्य योजना के अनुसार उपयोग न होना“। स्पष्ट रूप से इस कमी को स्वीकार करने के बाद होना ये चाहिये था कि, सिहंस्थ 2016 की तैयारी के समय पूर्व की गलतियों को न दोहराते हुए श्रद्धालुओं की सुविधानुसार कार्य योजना में परिवर्तन कर उन्हें उपयोगी बनाया जाना चाहिए। इस कमी की ओर भी अभी तक जिला प्रशासन और पुलिस का ध्यान नहीं गया हैं, यही प्रतीत हो रहा हैं। सेटेलाइट टाउन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बनाए जाते हैं। इसलिए प्रत्येक सेटेलाइट टाउन की उपयोगिता में श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान रखना
सर्वोपरि हैं। अभी गत सिंहस्थ के अनुसार ही इस सिहंस्थ में भी सेटेलाइट टाउनों की कार्य योजना बनाई गई हैं। इस कमी को अभी भी दूर किया जा सकता हैं। जरूरत हैं सेटेलाइट टाउन की कार्य योजना और उपयोगिता की नए सिरे से समीक्षा कर श्रद्धालुओं को और अधिक सुविधा मिल सके, इस प्रकार की योजना बनाई जाए।
कमिश्नर और राज्य शासन के आला अधिकारियों को चाहिए कि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा बनाई गई व्यवस्था को ही लागू करने की बजाय पहले उसकी समीक्षा करें। सिंहस्थ 2004 के प्रशासकीय प्रतिवेदन में बहुत सोच समझकर कमियों की स्वीकार्याेक्ति की गई थी । जरूरत इस बात की हैं कि उन कमियों की पुनरावृत्ति नहीं करते हुए नए सिरे से कार्ययोजना बनाई जाए। सभी छः सेटेलाइट टाउनों के स्थान और उपयोगिता की एक बार फिर समीक्षा करने की महती आवश्यकता हैं।
सिंहस्थ 2004 के प्रशासकीय प्रतिवेदन में मुख्य रूप से 15 कमियों को स्वीकार करते हुए सार्वजनिक रूप से उजागर किया गया था। इन कमियों में से 2 कमियाँ सेटेलाइट टाउन से संबंधित थी। ऐसा प्रतीत हो रहा हैं कि इन कमियों से जिला प्रशासन द्वारा कोई सीख नहीं ली जाकर वहीं गलतियां सिंहस्थ 2016 में वापस दोहराई जा रहीं हैं।
कलेक्टर उज्जैन द्वारा सिंहस्थ 2004 के प्रशासकीय प्रतिवेदन के पृष्ठ क्रमांक 118 पर 15 कमियाँ बताई गई हैं। उनमें से बिन्दु क्रमांक 3 “सेटेलाइट टाउन का स्नान क्षेत्र से दूर होना “ को प्रमुख कमी के रूप में स्वीकार किया गया था। गत सिंहस्थ में जिन स्थानों पर सेटेलाइट टाउन बनाए गए थे, उन्हीं स्थानों पर ही इस बार भी सेटेलाइट टाउन बनाए जा रहे हैं। सिहंस्थ में इंदौर मार्ग पर इंजीनियरिंग काॅलेज, देवास रोड़ पर सोयाबीन प्लांट, मक्सी रोड़ पर पंवासा, आगर रोड़ पर स्वराज माजदा ट्रेक्टर शोरूम के पास, उन्हेल रोड़ पर सांइ वेयर हाऊस के सामने और बड़नगर रोड़ पर विपणन संघ गोडाउन के पास यह सेटेलाइट टाउन बनाएं जा रहे हैं।
संभागायुक्त डाॅ. रवीन्द्र पस्तोर और कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत ने हाल ही में सेटेलाइट टाउनों का निरीक्षण किया तथा इस और ध्यान जरूर दिया हैं कि ये सेटेलाइट टाउन स्नान क्षेत्र से दूर हैं। उन्होंने भ्रमण में साथ चल रहे पुलिस अधीक्षक श्री एम. एस. वर्मा से इस संबंध में बात भी की तथा वैकल्पिक स्थल की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए हैं। अब यह देखा जाना हैं कि कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सेटेलाइट टाउनों का स्थान परिवर्तन करते हैं या वर्तमान स्थल पर ही बनाये रखते हैं। अभी भी समय हैं, सभी सेटेलाइट टाउनों का मूल्यांकन कर फिर से उपयुक्त स्थानों पर सेटेलाइट टाउन बनाकर प्रशासकीय प्रतिवेदन की कमी को पूरा किया जा सकता हैं।
सिंहस्थ 2004 के प्रशासकीय प्रतिवेदन में बताई गई 15 कमियों में से बिन्दु क्रमांक 9 भी सेटेलाइट टाउन से संबंधित हैं। इस बिन्दु में कमी बताई गई थी कि “सेटेलाइट टाउन का कार्य योजना के अनुसार उपयोग न होना“। स्पष्ट रूप से इस कमी को स्वीकार करने के बाद होना ये चाहिये था कि, सिहंस्थ 2016 की तैयारी के समय पूर्व की गलतियों को न दोहराते हुए श्रद्धालुओं की सुविधानुसार कार्य योजना में परिवर्तन कर उन्हें उपयोगी बनाया जाना चाहिए। इस कमी की ओर भी अभी तक जिला प्रशासन और पुलिस का ध्यान नहीं गया हैं, यही प्रतीत हो रहा हैं। सेटेलाइट टाउन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बनाए जाते हैं। इसलिए प्रत्येक सेटेलाइट टाउन की उपयोगिता में श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान रखना
सर्वोपरि हैं। अभी गत सिंहस्थ के अनुसार ही इस सिहंस्थ में भी सेटेलाइट टाउनों की कार्य योजना बनाई गई हैं। इस कमी को अभी भी दूर किया जा सकता हैं। जरूरत हैं सेटेलाइट टाउन की कार्य योजना और उपयोगिता की नए सिरे से समीक्षा कर श्रद्धालुओं को और अधिक सुविधा मिल सके, इस प्रकार की योजना बनाई जाए।
कमिश्नर और राज्य शासन के आला अधिकारियों को चाहिए कि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा बनाई गई व्यवस्था को ही लागू करने की बजाय पहले उसकी समीक्षा करें। सिंहस्थ 2004 के प्रशासकीय प्रतिवेदन में बहुत सोच समझकर कमियों की स्वीकार्याेक्ति की गई थी । जरूरत इस बात की हैं कि उन कमियों की पुनरावृत्ति नहीं करते हुए नए सिरे से कार्ययोजना बनाई जाए। सभी छः सेटेलाइट टाउनों के स्थान और उपयोगिता की एक बार फिर समीक्षा करने की महती आवश्यकता हैं।