बलात्कारियों को भी हो मृत्युदंड
डाॅ. चन्दर सोनाने
हाल ही में विधि आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में आतंकवाद एवं देशद्रोह को छोड़ कर सभी मामलों में फांसी की सजा समाप्त करने की सिफारिश की हैं। वहीए दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपहरण और हत्या के केस में मृत्युदंड को जायज ठहराया हैं। यहाँ यह भी आवश्यक हैं कि बलात्कार और हत्या के प्रकरणों में भी मृत्यु दंड दिया जाना चाहिए।
विधि आयोग के अध्यक्ष एवं दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजित शाह ने अपनी 262 वीं एवं अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंपी हैं। इसमें उन्होंने उक्त दो मामलों को छोडकर सभी मामलांे में फांसी की सजा समाप्त करने की अपनी बात कही हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में जारी एक आदेश में फिरौती के लिए अगवा करने के बढ़ते मामले पर रोक लगाने के लिए सख्त सजा देना जरूरी माना हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 364 । के तहत मृत्युदंड जायज ठहराया हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने पैसे के लालच में साधारण अपराधियों द्वारा या संगठित गतिविधि के तौर पर किए जाने वाले या आंतकी संगठनों द्वारा किए जाने वाले अपहरण या हत्या पर सख्त रवैया अपनाया हैं।
विधि आयोग और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आतंकवाद ए देशद्रोहए अपहरण और हत्या पर मृत्युदंड को जायज ठहराया जा रहा हैं। यहां इस पर गौर करना जरूरी हैं कि अपहरण कर बलात्कार करना और पीडित की नृशंस हत्या करने वाले व्यक्ति को भी मृत्युदंड दिया जाना चाहिए । दिल्ली में तीन साल पहले सन् 2012 में हुए बहुचर्चित श्निर्भयाश् बलात्कार और नृशंस हत्या के प्रयास पर सारा देश उद्वलित हो गया था। ऐसे व्यक्तियों को सरेआम फांसी पर लटकाने की मांग की जा रही थी । जरूरी होने पर न्यायालय के नियमों में परिवर्तन करने की जरूरत भी प्रतिपादित की गई थी । उस समय सारा देश ऐसे बलात्कारियों को फांसी देने की बात पर एक हो गया था। सारे देश में मौन जूलुस भी निकाला गया था। पीडिता के पक्ष में एक सकारात्मक वातावरण निर्मित हो गया था।
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विधि आयोग की सिफारिश को मद्देनजर रखते हुए सरकार को चाहिए कि वे आतंकवाद और देशद्रोह के मामले में मृत्युदंड देने के साथ ही अपहरणए बलात्कार और हत्या
जैसे अपराध को अंजाम देने वाले अपराधियों को भी फांसी की सजा सुनाए। ऐसे प्रकरणों में सख्त रवैया अपनाकर दोषी को फांसी की सजा देने का निर्णय लिया जाए। दोषी को दंड देने के साथ .साथ पीडिता को राहत देने के लिए भी न्याय व्यवस्था में पर्याप्त प्रावधान होना चाहिएए ताकि वह सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सके। इसके लिए न्याय प्रक्रिया में संसोधन भी करना पडे तो करना चाहिए।
सारांश में विधि आयोग के सुझाव और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में किए गए खुलासों के साथ बलात्कार कर हत्या कर देने वाले जघन्य अपराधियों के विरूद्ध भी सख्त रवैया अपनाने की जरूरत हैं। और उन्हें फांसी ही दी जानी चाहिए। इससे अपराधियों में खौफ पैदा होगा तथा ऐसा करने से पहले वे दस बार सोचेंगे। इसके लिए जरूरी हो तो कानून में संसोधन भी करना पडे तो सरकार को करना चाहिए।
हाल ही में विधि आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में आतंकवाद एवं देशद्रोह को छोड़ कर सभी मामलों में फांसी की सजा समाप्त करने की सिफारिश की हैं। वहीए दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपहरण और हत्या के केस में मृत्युदंड को जायज ठहराया हैं। यहाँ यह भी आवश्यक हैं कि बलात्कार और हत्या के प्रकरणों में भी मृत्यु दंड दिया जाना चाहिए।
विधि आयोग के अध्यक्ष एवं दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजित शाह ने अपनी 262 वीं एवं अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंपी हैं। इसमें उन्होंने उक्त दो मामलों को छोडकर सभी मामलांे में फांसी की सजा समाप्त करने की अपनी बात कही हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में जारी एक आदेश में फिरौती के लिए अगवा करने के बढ़ते मामले पर रोक लगाने के लिए सख्त सजा देना जरूरी माना हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 364 । के तहत मृत्युदंड जायज ठहराया हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने पैसे के लालच में साधारण अपराधियों द्वारा या संगठित गतिविधि के तौर पर किए जाने वाले या आंतकी संगठनों द्वारा किए जाने वाले अपहरण या हत्या पर सख्त रवैया अपनाया हैं।
विधि आयोग और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आतंकवाद ए देशद्रोहए अपहरण और हत्या पर मृत्युदंड को जायज ठहराया जा रहा हैं। यहां इस पर गौर करना जरूरी हैं कि अपहरण कर बलात्कार करना और पीडित की नृशंस हत्या करने वाले व्यक्ति को भी मृत्युदंड दिया जाना चाहिए । दिल्ली में तीन साल पहले सन् 2012 में हुए बहुचर्चित श्निर्भयाश् बलात्कार और नृशंस हत्या के प्रयास पर सारा देश उद्वलित हो गया था। ऐसे व्यक्तियों को सरेआम फांसी पर लटकाने की मांग की जा रही थी । जरूरी होने पर न्यायालय के नियमों में परिवर्तन करने की जरूरत भी प्रतिपादित की गई थी । उस समय सारा देश ऐसे बलात्कारियों को फांसी देने की बात पर एक हो गया था। सारे देश में मौन जूलुस भी निकाला गया था। पीडिता के पक्ष में एक सकारात्मक वातावरण निर्मित हो गया था।
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विधि आयोग की सिफारिश को मद्देनजर रखते हुए सरकार को चाहिए कि वे आतंकवाद और देशद्रोह के मामले में मृत्युदंड देने के साथ ही अपहरणए बलात्कार और हत्या
जैसे अपराध को अंजाम देने वाले अपराधियों को भी फांसी की सजा सुनाए। ऐसे प्रकरणों में सख्त रवैया अपनाकर दोषी को फांसी की सजा देने का निर्णय लिया जाए। दोषी को दंड देने के साथ .साथ पीडिता को राहत देने के लिए भी न्याय व्यवस्था में पर्याप्त प्रावधान होना चाहिएए ताकि वह सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सके। इसके लिए न्याय प्रक्रिया में संसोधन भी करना पडे तो करना चाहिए।
सारांश में विधि आयोग के सुझाव और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में किए गए खुलासों के साथ बलात्कार कर हत्या कर देने वाले जघन्य अपराधियों के विरूद्ध भी सख्त रवैया अपनाने की जरूरत हैं। और उन्हें फांसी ही दी जानी चाहिए। इससे अपराधियों में खौफ पैदा होगा तथा ऐसा करने से पहले वे दस बार सोचेंगे। इसके लिए जरूरी हो तो कानून में संसोधन भी करना पडे तो सरकार को करना चाहिए।