सिंहासन बत्तीसी: इंदुमती को नहीं ढूंढ सका नगर निगम, अब दूसरी प्रतिमा लगाएंगे
आखिर नगर निगम को सिंहासन बत्तीसी से गायब छठवीं पुतली इंदुमति की याद आ ही गई। नगर निगम का अमला गायब पुतली को नहीं खोज पाया। अब उसके स्थान पर नई पुतली यानी प्रतिमा स्थापित करने की बात कही जा रही है। पुतली कहां गई, इस संबंध में भी अमले को कोई जानकारी नहीं मिली है।
दैनिक भास्कर ने 4 फरवरी के अंक में सम्राट विक्रमादित्य का सिंहासन बत्तीसी अब इकतीसी, छठवीं पुतली इंदुमती गायब, 4.90 करोड़ में किया था निर्माण, शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद नगर निगम का अमला मौके पर पहुंचा। निगम आयुक्त आशीष पाठक ने बताया कि निगम के अमले ने विक्रमादित्य टीले का निरीक्षण किया है। छठवीं पुतली इंदुमती गायब मिली, उसे दोबारा लगवाया जाएगा। साथ ही परिसर में जो भी कार्य किए जाना है, उनका एस्टीमेट बनवाया जाएगा, ताकि टीले का रखरखाव करवाया जा सके।
बड़ा सवाल : आखिर कहां गायब हो गई इंदुमति की पुतली
महाकाल मंदिर के सामने सम्राट विक्रमादित्य का टीला है। यह सिंहासन बत्तीसी के नाम से देश, दुनिया में ख्यात है। वजह हैं यहां की बत्तीस पुतलियां। इनमें से छठवीं पुतली इंदुमति गायब है। उसके स्थान पर केवल एक बांस और स्टैंड ही रह गया है। सामने पट्टिका नहीं होती तो पता लगाना भी मुश्किल होता कि यहां कोई पुतली भी थी।
बड़ा सवाल यह है कि आखिर छठवीं पुतली कहां चली गईं। गायब हुई तो नगर निगम अमले ने अब तक उसकी रिपोर्ट क्यों नहीं बनाई। निगम ने सिंहस्थ 2016 के पहले 4.90 करोड़ रुपए से सम्राट विक्रमादित्य के प्राचीन टीले का सौंदर्यीकरण करवाया था, तब यहां सम्राट विक्रमादित्य की विशाल प्रतिमा के साथ परिसर में बत्तीस पुतलियां, नौ रत्न की प्रतिमाएं स्थापित करवाई थी। आठ साल में परिसर का रखरखाव तक नहीं किया गया। यही कारण है कि पुतलियों के अलावा टीला परिसर में स्थापित अन्य प्रतिमाएं भी जर्जर होने लगी हैं। उनकी ऊपरी परत उखड़ने लगी है।
नौ रत्न की प्रतिमाओं में से 4 के स्टैंड टूटे बड़ा गणेश मंदिर और हरसिद्धि माता मंदिर के बीच स्थित रुद्रसागर में विक्रम टीले तक नगर निगम ने सम्राट विक्रमादित्य सहित बत्तीस पुतलियों का निर्माण करवाया था। नवंबर 2015 से मूर्तियों की स्थापना शुरू हो गई थी। इसके अलावा टीले तक पहुंचने के लिए 65 मीटर लंबा आर्च ब्रिज बनाया था।
गोलाकार में बत्तीस पुतलियां स्थापित की गई थी। सम्राट विक्रमादित्य की 25 फीट ऊंची प्रतिमा सिंहासन बत्तीसी पर विराजमान की गई है। प्रतिमा के सामने विक्रमादित्य के नौ रत्नों की मूर्तियां भी स्थापित करवाई थी, जिनमें से चार रत्नों के स्टैंड के पत्थर भी टूटकर गिर गए हैं।