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मध्यप्रदेश सरकार देगी सम्राट विक्रमादित्य राष्ट्रीय सम्मान


मध्यप्रदेश सरकार देगी सम्राट विक्रमादित्य राष्ट्रीय सम्मान

11 लाख होगी राष्ट्रीय सम्मान राशि

तीन श्रेणियों में दिया जायेगा सम्राट‍ विक्रमादित्य शिखर सम्मान

भोपाल, 20 दिसंबर 2024। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सम्राट विक्रमादित्य के बहुविध गुणों न्याय, दानशीलता, वीरता, सुशासन, खगोल एवं ज्योतिष विज्ञान, कला, शौर्य, प्राच्य वांग्मय, राजनय, आध्यात्मिक क्षेत्र, रचनात्मक एवं जनकल्याणकारी कार्य के क्षेत्र में श्रेष्ठतम उपलब्धियों एवं उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्राट विक्रमादित्य राष्ट्रीय सम्मान दिया जायेगा। जिसकी सम्मान राशि 11 लाख रूपये होगी, प्रशस्ति पत्र एवं सम्मान पट्टिका भी प्रदान की जायेगी। इसके अलावा तीन श्रेणियों में सम्राट विक्रमादित्य शिखर सम्मान भी दिया जायेगा। जिसमें प्रत्येक व्यक्ति या संस्था को 2 लाख रूपये सम्मान राशि, प्रशस्ति पत्र एवं सम्मान पट्टिका प्रदान की जायेगी। उल्लेखिनीय है कि यह अलंकरण मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग अंतर्गत महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा स्थापित किया गया है। 
महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि उज्जयिनी के सार्वभौम सम्राट विक्रमादित्य भारतीय अस्मिता के उज्जवल प्रतीक हैं। वे शकारि तथा साहसांक हैं। वे शक विजेता, सम्वत् प्रवर्तक, वीर, दानी, न्यायप्रिय, प्रजावत्सल, स्तत्व सम्पन्न थे। वे साहित्य, संस्कृति और विज्ञान के उत्प्रेरक रहे। सम्राट विक्रमादित्य ने विदेशी शकों को पराजित कर विक्रम संवत् आरंभ किया। भारतीय काल गणना को विश्व में प्रतिष्ठित किया। विक्रमादित्य और विक्रम संवत् की जैसी लोकख्याति और लोकमान्यता है वैसी किसी दूसरे राजा की या सम्वत् की नहीं है। अपने गुण गौरव के कारण ही उनका नाम परवर्ती राजाओं के पराक्रम की उपाधि बनता रहा। उन्होंने बताया कि भारत के इतिहास में रामराज्य के बाद विक्रमादित्य के सुशासन का स्मरण किया जाता है। यह जानकर बहुत से लोगों को आश्चर्य होता है कि हमारे आराध्य और जन-जन के श्रीराम के जिस मंदिर को‍ विदेशी आक्रांता बाबर ने ध्वस्त करने का पाप किया था उस मंदिर का निर्माण दो हजार वर्ष पहले उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने ही करवाया था। विक्रमादित्य भारतीय सांस्कृतिक प्रभामंडल के आदर्श एवं लोकमान्यय प्रतीक हैं। इन्हींन सबको ध्यान में रखकर माननीय मुख्यमंत्री जी डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में सम्राट विक्रमादित्य राष्‍ट्रीय सम्मान की स्थापना की गयी है।
शोधपीठ के निदेशक ने बताया कि यह सम्मान सम्राट विक्रमादित्य के बहुविध गुणों न्याय, दानशीलता, वीरता, सुशासन, खगोल एवं ज्योतिष विज्ञान, कला, शौर्य, प्राच्य वांग्मय, राजनय, आध्यात्मिक क्षेत्र, रचनात्मक एवं जनकल्याणकारी कार्य के क्षेत्र में कार्य करने वाले विभिन्न व्यक्तियों, संस्थाओं, समाजशास्त्रियों, बुद्धिजीवियों, लेखकों, समीक्षकों, पत्रकारों से सम्मान हेतु अनुशंसा/नामांकन की प्रविष्टियाँ आमंत्रित की जायेगी। सम्मान का चयन प्रतिवर्ष उच्च स्तरीय निर्णायक समिति के माध्यम से किया जायेगा। उन्होंने यह भी बताया कि चयन समिति में देश-प्रदेश के प्रतिष्ठित समाजसेवी, बुद्धिजीवियों, समाजशास्त्रियों, लेखकों, पत्रकारों एवं विशेषज्ञों को शामिल किया जायेगा। 

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