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सरोकार - छत्तीसगढ़ में पर्यटन का नया आकर्षण का केन्द्र धुड़मारास ,आदिवासियों के स्वावलम्बन का अनुपम उदाहरण


डॉ. चन्दर सोनाने
                      देश का छत्तीसगढ़ राज्य आदिवासी बहुल प्रदेश है। यूं तो छत्तीसगढ़ नक्सलियों के आतंक के केन्द्र के रूप में देशभर में ज्यादा प्रसिद्ध है। किन्तु, कुछ महीनों से छत्तीसगढ़ के वनों से आच्छादित क्षेत्र में आदिवासियों की ही ग्राम सभा धुड़मारास की सामुदायिक वन संसाधन समिति द्वारा बनाए गए एक नए पर्यटन केन्द्र के रूप में यह ज्यादा ख्याति प्राप्त कर रहा है। 
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा से करीब 70 किलोमीटर दूर सघन वन में ग्रामसभा धुड़मारास है। इस ग्रामसभा ने अपनी सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति गठित की है। इस समिति में ग्राम के सभी 45 घरों से 2-2 सदस्य लिए गए हैं। इन 2 सदस्यों में से एक पुरूष और एक महिला है। इन सभी की जिम्मेदारी यह है कि ये 24 घंटे अपने क्षेत्र के वन और जल की सुरक्षा के लिए पहरेदारी करते हैं। सबकी ड्यूटी लगती है। जो व्यक्ति पहरेदारी में नहीं पाया जाता है, उस पर अर्थदंड लगाया जाता है। जो उसको देना अनिवार्य होता है।
                    ग्राम सभा धुड़मारास के युवा अध्यक्ष श्री सोनादार बघेल अपनी ग्राम सभा के गठन की जानकारी देते हुए उत्साह से बताते हैं कि हमारे गाँव में केवल 45 घर हैं। ग्राम सभा के गठन के लिए प्रत्येक घर से एक पुरूष और एक महिला को लिया गया है। इस प्रकार कुल 90 सदस्य हैं। सभी आदिवासी हैं। ये सब अपने गाँव के जल और जंगल की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। 
                  केवल 5 वीं तक पड़े युवा अध्यक्ष श्री बघेल बताते हैं कि पहले घर चलाना बड़ा मुश्किल होता था। सब जैसे-तैसे अपना परिवार चला रहे थे। एक दिन ऐसे ही उन्हें ध्यान आया कि सरकार या किसी भरोसे रहने की जरूरत नहीं। हमें खुद को इतना सक्षम बनाना पड़ेगा कि खुद इतना कमा सके कि अपना परिवार अच्छी तरह से चला सके। इसके लिए उसने अपने जैसे मित्रों का सहयोग लेकर अपने ग्राम में ग्राम सभा का गठन किया। फिर इसके बाद सामुदायिक वन प्रबंधक समिति और इको विकास समिति का गठन किया।
                 ग्राम सभा धुड़मारास के अध्यक्ष श्री बघेल ने इस गाँव को पर्यटन के आकर्षण का केन्द्र कैसे बनाया ? इसकी कहानी बताते हुए वे कहते हैं कि उन्हांने बाहर से बांस बुलाकर उससे नाँव बनाई। इस नाँव को ग्राम के बीच से बहने वाली नदी में चलाया। इसका उन्होंने बाम्बु राफ्टिंग नाम दिया। ग्राम सभा द्वारा नदी में बांस की नाँव चलाकर बाम्बु राफ्टिंग का आनंद लेने के लिए प्रति व्यक्ति से 200 रूपए शुल्क लेना तय किया गया। प्रत्येक नाँव में 4 लोगों के बैठने के लिए बाँस से ही आमने-सामने बैंच बनाई गई। इसमें अनिवार्य रूप से पर्यटकों को लाइफ जैकेट भी पहनाई जाती है।
बाम्बु राफ्टिंग के अतिरिक्त एक नाँव में एक व्यक्ति को घुमाने ले जाने की भी व्यवस्था की गई है, जिसका नाम उन्होंने दिया है, कायाकिंग। ग्राम सभा ने प्रति व्यक्ति इसका शुल्क 100 रूपए तय किया है। श्री बघेल को यह सब जानकारी कहाँ से और कैसे मिली ? यह सब पूछने पर वे उत्साह से बताते हैं, कि हम कुछ करना चाहते थे, किन्तु क्या करें ? यह समझ में नहीं आ रहा था। तब हमारे यहाँ के वनमंडलाधिकारी महोदय ने हमें अपना पूरा सहयोग और मार्गदर्शन दिया। उन्हीं के मार्गदर्शन के कारण हम यह सब कर सके हैं। 
                    युवा अध्यक्ष बघेल बताते हैं कि बाम्बु राफ्टिंग और कायाकिंग के अलावा उन्होंने गाँव में पर्यटकों को रहने और छत्तीसगढ़ का भोजन उपलब्ध कराने के लिए होम स्टे भी बनाएँ हैं। यहाँ पर्यटकों को छत्तीसगढ़ का भोजन और रहने की सुविधा रियायती दर पर उपलब्ध कराते हैं।
                   यदि आदिवासियों को सही मार्गदर्शन और सहयोग मिल जाए तो वे आत्मनिर्भरता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं। इसका ज्वलंत उदाहरण हैं, ग्राम सभा धुड़मारास। कुछ महीनों पहले ही श्ुरू हुई इस पहल के कारण आज गाँव के 45 घरों के सभी परिवारजन सुख पूर्वक अपना जीवन निर्वाह कर रहे हैं। आज ग्राम सभा धुड़मारास द्वारा पर्यटकों के लिए दी गई सुविधा बाम्बु राफ्टिंग और कायाकिंग देशभर में प्रसिद्ध हो चुकी है। कोई भी इसे गूगल पर देख कर आ सकता है। ग्राम सभा धुड़मारास हर पर्यटक के स्वागत के लिए तैयार है। 
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