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उगते सूरज वाली हकीकत-कही-सुनी/कीर्ति राणा वरिष्ठ पत्रकार


कही-सुनी/कीर्ति राणा

उगते सूरज वाली हकीकत !
सुमित्रा महाजन के समर्थकों को भी समझ आ गया होगा कि जमाने की तरह पुलिस प्रशासन भी उगते सूरज को ही नमस्कार करने में विश्वास करता है। बेटे मिलिंद के कार शो रूम में तोड़फोड़ करने वाले करोसियाजनों पर पुलिस ने कार्रवाई में तत्परता नहीं दिखाई।महाजन समर्थकों ने भोपाल को और भोपाल ने पुलिस अधिकारियों को याद दिलाया कि फरियादी पक्ष पूर्व लोकसभा अध्यक्ष से जुड़ा है।
इस पूरे मामले ने यह भी साबित कर दिया कि पुलिस तब ही अपने होने का अहसास कराती है जब उसे ऊपर वाले याद दिलाएं ? यही मामला किसी सामान्य दुकानदार से जुड़ा होता तो एससी, एसटी की धारा लगा कर उसका ही जुलूस निकाल देती पुलिस।पुलिस अधिकारियों की यह ढिलाई तब है जब मुख्यमंत्री ने इंदौर को ठीक करने के लिये दबंग पुलिस कमिश्नर को कमान सौंप रखी है। 
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करोसिया के प्रभाव का ऐसा प्रताप ! 
स्वच्छता में इंदौर को नंबर वन का ख़िताब दिलाने में सफ़ाईकर्मियों की भूमिका सबसे अहम थी। और उन्हें ऐक्टिव करने में प्रताप करोसिया की भूमिका उससे भी अहम। ऐसे में करोसिया को खुश करने में निगम ने भी कोई कसर बाक़ी नहीं छोड़ी थी।
स्वच्छता में इंदौर को नंबर वन का खिताब दिलाने वाले तत्कालीन निगम कमिश्नर मनीष सिंह ने सफाईकर्मियों को वश में करने के लिये प्रताप करोसिया का प्रभाव बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।उन्हें भी कहां पता था कि वह सारा प्रभाव ऐसे कांड का माहौल बनाने में मददगार हो जाएगा।मिलिंद महाजन के शोरुम पर हुई तोड़फोड़ के बाद कैलाश विजयवर्गीय ने नाराजी और सीएम ने सख्ती का ही नतीजा है कि अब बाकी भाजपा नेता और करोसिया विरोधियों को भी करोसिया से जुड़े कारनामे, अवैध गतिविधि संचालित करने वालों को संरक्षण आदि की याद आने लगी है।इस पूरे मामले में यह तथ्य गौर करने लायक हैं कि केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त करोसिया परिवार पर पहली बार पुलिस ने सख्ती दिखाई, यह भी पता नहीं चलता कि इनके रिश्तेदारों के नाम से दो दर्जन से अधिक टैंकर निगम में अटैच हैं।यह भी पता नहीं चलता कि अकेले इस शो रुम से नगर निगम ने सौ गाड़ियां परचेस की हैं।ऐसी मेहरबानी शायद ही अन्य किसी शोरूम पर हुई हो।
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धनखड़ ने सिखाया डेमेज कंट्रोल करना
कम से कम मप्र के सभी दलों के नेताओं को सीख लेना चाहिये कि अपनी गलती को कैसे सुधारें या डेमेज कंट्रोल कैसे करें। 
मुंबई में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (CIRCOT) के शताब्दी समारोह के मंच से ही शिवराज सिंह से पूछ लिया था कृषि मंत्री जी, भारत के संविधान के तहत दूसरे पद पर विराजमान व्यक्ति आपसे अनुरोध कर रहा है कि कृपया करके मुझे बताइए कि किसान से क्या वादा किया गया था? और जो वादा किया गया था, वह क्यों नहीं निभाया गया? वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं? बीते साल भी आंदोलन था, इस साल भी आंदोलन है। कालचक्र घूम रहा है। हम कुछ नहीं कर रहे हैं।
राज्यसभा की कार्रवाई के दौरान कांग्रेस के जयराम रमेश के एक प्रश्न के जवाब में सभापति धनखड़ कह रहे थे ये कुछ भी रिकॉर्ड नहीं होगा। कृषि मंत्री चौहान को लेकर उनका कहना था-मंत्री जी आते-जाते समय मेरे साथ थे। मैंने मंत्री जी से कहा और मैं आश्वस्त हुआ, जिस आदमी की पहचान देश में लाड़ली के नाम से थी वो किसान का लाड़ला होगा। मैं पूरी तरह आशावान हूं कि ऊर्जावान मंत्री अपने नाम शिवराज के अनुरूप, ये करके दिखाएंगे। आज मैंने आपका नामांकन कर दिया है किसान के लाड़ले।
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निगम अधिकारियों पर दृष्टि दोष का असर ! 
महापौर ही जब आदेश नहीं दे सकें तो नगर निगम अधिकारियों पर दृष्टि दोष का असर  होना स्वाभाविक है।एमआईसी के एक सदस्य के जन्मदिन के होर्डिंग्ज सारे शहर में नहीं लगे होते तो लोगों को पता ही नहीं चलता कि उनका जन्म भी हुआ है। 
सड़कों को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिये गैंग के साथ मौके पर पहुंचने वाले निगमायुक्त गर्दन ऊंची कर के घूमें ही नहीं तो उन्हें ऐसे विशालकाय होर्डिंग्ज कैसे नजर आते। सफाई के खिताब के लिये हर बार इंदौर के नागरिकों को श्रेय देने वाले मंत्री-महापौर की जन्मदिन-नियुक्ति वाले होर्डिंग्ज पर चुप्पी का आमजन स्वागत तो कतई नहीं करेगा। 
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बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में डॉग सेंचुरी बनेगी ? 
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज मेडिकल टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. सर्वेश जैन के प्रस्ताव को केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव मंजूरी दे दें तो कैंपस में कुत्तों के लिये डॉग सेंचुरी बन जाएगी, और यदि मंत्री डॉ जैन के इस प्रस्ताव से नाराज हो जाएं तो डॉ जैन की परेशानी बढ़ जाएगी। दरअसल इस मेडिकल कॉलेज में स्ट्रीट डॉग की बढ़ती तादाद से कॉलेज स्टॉफ से लेकर छात्र परेशान हो गये हैं।संबंधित विभागों ने भी जब कोई तत्परता नहीं दिखाई तो तंग आकर केंद्रीय वन मंत्री को डॉग सेंचुरी बनाने वाला प्रस्ताव पत्र डॉ सर्वेश जैन ने लिख दिया है।
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चौबीस घंटे की सनसनी ….!
बागेश्वरधाम वाले पं धीरेंद्र शास्त्री के छोटे भाई सौरव गर्ग ने भाई से रिश्ता तोड़ने का वीडियो जारी कर सनसनी मचा दी थी। न्यूज चैनल जुगाली करने के मूड में आएं उससे पहले ही दूसरा वीडियो जारी कर छोटे भाई ने गरम तवे पर पानी डाल दिया कि सब कुछ ठीकठाक है। पहले वाले वीडियो पर जरा भी विश्वास ना करें। यह दूसरे वाला वीडियो सही है। मान लेते हैं सब ठीक है लेकिन धुआं तो तब ही उठता है जब कहीं आग सुलग रही हो।
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संजय मल्होत्रा के लिये शुभंकर यूरेशियन ग्रुप 
केंद्रीय वित्त सचिव संजय मल्होत्रा के लिये इंदौर में हुई यूरेशियन ग्रुप की मीटिंग शुभंकर साबित हुई है।सरकार का खजाना भरने वाले मल्होत्रा दिसंबर 2022 में वित्त सचिव बने थे। राजस्थान कैडर 1990 बैच के आईएएस मल्होत्रा को सरकार ने तीन साल के लिये आरबीआई का 26 वां गवर्नर नियुक्त किया है। 
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मांडू को होटलों की सौगात 
इस बार सिंहस्थ-28 के पहले पर्यटन स्थल मांडू (धार) को भी होटलों की सौगात मिल जाएगी। चूंकि मांडू उज्जैन-इंदौर-ओंकारेश्वर से जुड़ा है तो यहां भी सिंहस्थ अवधि में पर्यटकों का दबाव रहेगा। इसे समझते हुए दिल्ली, भोपाल, उदयपुर की होटलों ने मांडू में भी दिलचस्पी दिखाई है। पर्यटन विभाग ने इन्हें जमीन भी आवंटित कर दी है।इन बड़ी होटलों के शुरु होने के बाद हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार भी तो मिल जाएगा। 
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अदालत पर बोझ बना खंडवा प्रशासन 
खंडवा जिला प्रशासन यदि स्व विवेक से काम लेता तो राजेंद्र तिवारी को 17 साल कोर्ट के चक्कर नहीं लगाने पड़ते।प्रशासन से भरोसाा लेकिन हाइकोर्ट के फैसले से आम आदमी का न्याय व्यवस्था पर विश्वास मजबूत हुआ है। घर के पास अवैध तरीके से लगाए गए मोबाइल टॉवर से अपनी बेटियों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव की चिंता करते हुए राजेंद्र तिवारी ने जिला प्रशासन में शिकायत पर शिकायत की, खंडवा कलेक्टर बदलते गए लेकिन उनकी शिकायत पर कोई निर्णय नहीं हुआ। कोर्ट की शरण ली और  और 17 साल बाद वहां से आदेश पारित हुआ कि तत्काल टॉवर हटाएं।इस फैसले के बाद प्रदेश के मुख्य सचिव को भी कलेक्टरों के लिये नये सिरे से गाइड लाइन जारी करने पर सोचना चाहिए। 
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कदम पीछे लेना ही पड़ा
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जिला अस्पतालों की व्यवस्था निजी संस्थानों को सौंपने का विचार अब त्याग दिया है।प्रमुख सचिव संदीप यादव ने कह दिया है पीपीपी मोड पर सिर्फ मेडिकल कॉलेज खुलेंगे। जिला अस्पतालों का संचालन शासन ही करेगा। इस निर्णय की वजह है मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पतालों के डॉक्टरों और विभिन्न संगठनों द्वारा सतत विरोध किया जाना।पीपीपी मोड पर जिला अस्पतालों का अपग्रेडेशन भी अब नहीं किया जा सकेगा। जुलाई में 12 जिलों अशोक नगर, गुना, खरगोन, कटनी, मुरैना, पन्ना, टीकमगढ़, बालाघाट, भिंड, बैतूल, सीधी धार में  पब्लिक-प्रायवेट-पार्टनरशिप मोड पर मेडिकल कॉलेज खोलने और जिला अस्पतालों के अपग्रेडेशन के लिये टेंडर जारी किये थे। तब से ही विरोध चल रहा था। जाहिर है इन 12 जिलों के बाद प्रदेश के सभी जिलों में इसे लागू कर दिया जाता और सरकार आमजन को स्वास्थ्य सुविधा देने के दायित्व से खुद को मुक्त कर लेती। 
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ये नवाचार अच्छा है
देवास के पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस कृष्णाजीराव पवार कॉलेज के प्रोफेसर्स की टीम ने कॉलेज कैंपस में एक लेक्चर रिकार्डिंग रूम तैयार किया है। कई बार स्टूडेंट महत्वपूर्ण लेक्चर अटैंड नहीं कर पाते, उनके लिये महत्वपूर्ण लेक्चर की वीडियो क्लिपिंग तैयार की जाएगी। ये क्लिपिंग कॉलेज की वेबसाइट पर भी उपलब्ध रहेगी।प्रदेश में अपने किस्म का यह पहला नवाचार है। ऐसा भी न हो कि इस नवाचार में स्टूडेंट गली निकाल लें और क्लास से गोल होने लग जाएं कि वीडियो क्लिपिंग तो तैयार हो ही रही है। 

आते साल में पीएम आएंगे एमपी में 
मुख्यमंत्री मोहन यादव के आमंत्रण को पीएम मोदी ने स्वीकार कर लिया है। 24 फरवरी को वे ग्लोबल इंवेस्टर समिट (जीआईएस) का उदघाटन करने भोपाल आ रहे हैं। समिट का समापन 25 को होगा। 17  दिसंबर को पीएम जयपुर में जिस पार्वती-कालीसिध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना की नींव रखने जाएंगे, इस योजना के पूरा होने पर पूर्व पीएम अटल जी का नदी जोड़ो परियोजना का सपना तो पूरा होगा ही, मप्र के 11 जिलों के 40 लाख परिवारों को पेयजल और सिंचाई का पानी भी मिलने लगेगा। 
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सबके लिये आधार, स्टूडेंट के लिये अपार 
केंद्र सरकार ने सब के लिये आधार कार्ड शुरु कर रखा है। उसी तर्ज पर अब पहली से आठवीं तक के स्टूडेंट के लिये ‘अपार’ आइडी बनाने के निर्देश मप्र स्कूली शिक्षा विभाग को भी दिये हैं। संचालक राज्य शिक्षा केंद्र हरजिंदर सिंह ने सभी सरकारी और निजी स्कूलों को इससआशय के निर्देश भी जारी कर दिये हैं। इस ‘अपार’ में छात्र की सभी कक्षाओं का परिणाम, समग्र रिपोर्ट कार्ड, हेल्थ, खेल, ओलिंपियाड के परिणाम आदि की जानकारी रहेगी। अनिवार्य यह है कि आधार और अपार में छात्र का नाम एक समान हो, अपार बनाने से पहले अभिभावक की स्वीकृति जरूरी है।

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