कोई अफ़सर आपकी सिफारिश करे तो काम आसान हो जाता है- आनंद शर्मा वरिष्ठ पूर्व आईएएस
रविवारीय गपशप ——————— कोई अफ़सर आपकी सिफारिश करे तो काम आसान हो जाता है , पर इससे मुसीबत भी हो सकती है इसका मुझे अंदाज़ा नहीं था । सीहोर से जब मेरा तबादला सागर हुआ तो मैं बड़ा प्रसन्न था , इसके दो कारण थे । पहला तो ये कि सागर मेरे गृह नगर कटनी से नज़दीक था , और दूसरा ये कि वहाँ नरेंद्र परमार और प्रकाश चंद्र प्रसाद पहले से ही पदस्थ थे , जो मेरी पिछली पदस्थापनाओं में मेरे साथ थे और मेरे अच्छे मित्रों में से थे । मैं सागर रवाना होने लगा तो सिहोर की कलेक्टर श्रीमती विजया श्रीवास्तव ने सागर कमिश्नर को फ़ोन पर मेरी पुरज़ोर सिफारिश की कि अच्छा आफ़िसर है , मेहनती है , आदि आदि । सागर पहुँचने पर कलेक्ट्रेट में ज्वाइनिंग देने के बाद मैं सीधा कमिश्नर से मिलने जा पहुँचा , उन्हें सिफारिश ध्यान थी , परिणामस्वरूप पहली ही मुलाक़ात में मुझे एफ टाइप मकान का आवंटन आदेश प्राप्त हो गया । मैं बड़ा प्रसन्न हुआ पर ज्वाइन किए एक हफ्ता हो जाने पर भी जब मुझे कोई कार्य आबंटित नहीं हुआ तो मैंने मेरे मित्र नरेंद्र परमार से इसका कारण पूछा जो वहाँ सीटी मजिस्ट्रेट थे । नरेंद्र ने कहा “ कलेक्टर साहब आपसे नाराज़ हैं “ । मुझे आश्चर्य हुआ ! मैंने कहा मेरे भाई मुझे तो अभी आए ही एक हफ्ता हुआ है और कोई काम भी नहीं मिला तो मुझसे कलेक्टर किस बात पे नाराज हो सकते हैं । परमार साहब से फुसफुसा कर कहा अरे आपको नहीं पता , यहाँ कलेक्टर और कमिश्नर में शीत युद्ध जैसा माहौल है , और आप कलेक्टर को बताए बिना कमिश्नर से मिल आए ? सागर में कलेक्टर थे , श्री ओंकारेश्वर तिवारी , जो बड़े धाँसू कलेक्टर गिने जाते थे और कमिश्नर बी.के.एस.रे से उनकी बिलकुल न बनती थी । मैंने मिल कर अपनी सफ़ाई भी दी कि मैं तो बस “कर्ट्सी विजिट” के लिए कमिश्नर से मिलने गया था पर बात बनी नहीं । जिले में खुरई और बंडा दो दो सब डिवीजन खाली थे पर मुझे अगले एक सप्ताह तक और कोई चार्ज नहीं मिला । एक पखवाड़े के बाद मुझे बंडा का एस.डी.एम. बनाया तो गया पर कामकाज़ में मुझे कलेक्टर की नाराज़गी महसूस होती रही , और अंततः मैंने सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव श्री ए.एन.तिवारी साहब को निवेदन कर लिया कि मौका लगे तो मुझे सागर से कहीं भी अन्यत्र पदस्थ कर दिया जावे । श्री ए.एन.तिवारी और कलेक्टर आपस में मित्र होंगे इसका मुझे गुमान नहीं था । भोपाल में निवेदन किए एक हफ्ता ही हुआ होगा , कि एक शाम को जब मैं अपने मित्र श्री पी.सी.प्रसाद के यहाँ गार्डन में बैठा हुआ था तो प्रसाद साहब के यहाँ फ़ोन बजा । प्रसाद फ़ोन सुनने गए और लौटते पाँव वापस कार्डलेस फ़ोन लेकर बाहर आए और बोले कलेक्टर साहब का फ़ोन है , आपसे बात करना चाहते हैं । मैंने फ़ोन उठा कर हेलो कहा तो दूसरी ओर से तिवारी साहब की आवाज़ आई “ क्यों शर्मा क्या बात है , क्यों सागर से जाना चाहते हो ?” मैं ख़ामोश रहा तो वो फिर बोले अच्छा बताओ कहाँ पोस्टिंग चाहते हो ? मैं चौंका , ये तो वरदान की तरह था । मैंने माउथ पीस पर हथेली रख कर प्रसाद से पूछा तुम कहीं पोस्टिंग चाहते हो ? प्रसाद बोले “मुझे खुरई पोस्ट करा दो “। खुरई सागर का सबसे अच्छा सब डिवीजन माना जाता था , और मुझे सागर हैड क्वार्टर का एस.डी.एम. बनना मुफ़ीद था , सो मैंने यही माँग लिया । दूसरे ही दिन ऑर्डर भी हो गए , और मैंने सागर सब-डिवीजन में बतौर एस.डी.एम. पदभार ग्रहण कर लिया पर मुझे लगा कि प्रसाद साहब के यहाँ जाने पर भाभी कुछ खिंचा खिंचा सा व्यवहार कर रही हैं । मैंने परमार साहब से अपने मन की बात की तो वे बोले अरे प्रसाद ने अपने घर में ये बताया है कि आपने उसको हटवा दिया है । मुझे बड़ा गुस्सा आया , शाम को ही मैंने प्रसाद को पकड़ा और कहा “ भाभी को क्या कह दिया आपने ? “ प्रसाद ने शर्मिंदगी भरे स्वर में कहा अरे यार चिकचिक ना हो इसलिए मैंने आपका नाम ले दिया था । मैंने कहा चलो मेरे सामने भाभी को सच्चाई बताओ , और तब कहीं जाकर बात साफ़ हुई और भाभी के मन से ग़लतफ़हमी दूर हुई ।