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बांग्लादेश हिंसा : राजनयिक प्रयासों की है जरूरत - डॉ. चन्दर सोनाने


सरोकार -
    बांग्लादेश हिंसा : राजनयिक प्रयासों की है जरूरत
                       डॉ. चन्दर सोनाने
                        पिछले दिनों देशभर में बांग्लादेश में हिन्दूओं पर हो रही हिंसा के खिलाफ धरना, प्रदर्शन, बंद, रैली, सभा आदि का सफल आयोजन किया गया। जगह-जगह हो रहे इन प्रदर्शनों में सकल हिन्दू समाज की प्रमुख माँग यह रही कि भारत सरकार द्वारा बांलादेश सरकार पर दबाव डाला जाए, ताकि वहाँ अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और धार्मिक स्वतंत्रता को कायम रखा जा सके। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र और अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के माध्यम से बांग्लादेश सरकार को इन अत्याचारों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए और अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को इस गंभीर मुद्दे की ओर आकर्षित किया जाए। अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की निष्पक्ष और स्वतंत्र जाँच कराई जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए, ताकि इस प्रकार के अपराधों की पुनरावृत्ति न हो सके। 
बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना सरकार के तख्ता पलट के बाद से ही वहाँ हिन्दूओं पर अत्याचारों की श्रृंखला शुरू हो गई थी, जो अब विकराल रूप ले चुकी है। देशभर में हो रहे प्रदर्शन यह बताने के लिए पर्याप्त है कि बांग्लादेश में हिन्दूओं पर हो रहे अत्याचार पर तुरंत रोक लगे। समय की माँग भी यही है। 
                         केन्द्र सरकार द्वारा अभी तक बांग्लादेश में हिन्दूओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाना आश्चर्यजनक और दुखद है। केन्द्र सरकार द्वारा 5 अगस्त के बाद से पिछले चार माह के दौरान बांग्लादेश को सख्त कार्रवाई करने के संकेत दे देने चाहिए थे। किन्तु अभी तक यह नहीं हो सका है। युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है, यह सब जानते है। युद्ध से किसी का भला नहीं होता। पिछले एक साल से अधिक समय से रूस और यूक्रेन में चल रहा युद्ध इसका ज्वलंत उदाहरण है। 
केन्द्र सरकार को चाहिए था कि वह सबसे पहले विदेश मंत्री को बांग्लादेश भेजते और वहाँ की सरकार से बांग्लादेश में हिन्दूओं के खिलाफ हो रहे हिंसा के बारे में भारत की चिंता से अवगत कराते। किन्तु यह नहीं हुआ। इसके साथ ही देश के गृहमंत्री को बांग्लादेश के गृहमंत्री से चर्चा कर वहाँ हो रही हिंसा पर तुरंत नियंत्रण के प्रयासों के बारे में भी चर्चा करनी थी, किन्तु यह भी नहीं हो सका। यह दुखद और आश्चर्यजनक है।
                         प्रधानमंत्री जी को अब इस संबंध में राजनैतिक और राजनयिक प्रयासों को तेज करने की जरूरत है। इसके लिए उन्हें बांग्लादेश के प्रधानमंत्री से बात करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही भारत के मित्र देशों अमेरिका, रूस आदि देशों के प्रमुखों से भी चर्चा कर बांग्लादेश पर दबाव डालने की आवश्यकता है। आज इस सबकी बहुत जरूरत है।
                        जब बांग्लादेश पर चारों ओर से राजनयिक दबाव पडेंगे तो उसे हिन्दूओं की सुरक्षा के लिए न केवल बाध्य होना पड़ेगा, बल्कि उसे हिन्दूओं पर लगातार हो रहे अत्याचारों और हमलों पर नियंत्रण के प्रयास करने ही हांंगे।  कोई देश अलग-थलग नहीं रहना चाहता। मजबूरी में ही सही उसे वो सब करना जरूरी होगा, जो वह अभी तक नहीं कर रहा है। 
                        बांग्लादेश में हिन्दूओं पर हो रहे अत्याचार की घटनाएँ दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। यह पूरे देशवासियों के लिए चिंता की बात है। देश के कांग्रेस सहित प्रतिपक्ष के सभी राजनैतिक दलों की बांग्लादेश में हिन्दूओं पर हो रहे अत्याचार पर चुप्पी भी दुखद और आश्चर्यजनक है। प्रतिपक्ष को चाहिए था कि वे संसद में बांग्लादेश में हिन्दूओं पर हो रहे अत्याचार पर भारत सरकार द्वारा कार्रवाई करने की मांग करें। किन्तु यह भी नहीं हुआ। 
                         आज समय की माँग है कि भारत सरकार बांग्लादेश में हिन्दूओं पर हो रहे अत्याचार पर सभी राजनैतिक और राजनयिक प्रयासों को तेज करें। इसमें उन्हें प्रतिपक्ष का भी सहयोग लेना चाहिए। जब पूरा देश एक होकर बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों पर आवाज बुलन्द करेगा तो बांग्लादेश को वहाँ के हिन्दूओं पर हो रहे अत्याचार पर ठोस कार्रवाई करने के लिए बाध्य होना ही पड़ेगा।
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