शिप्रा नदी के स्वच्छ होने की आस जगी
संदीप कुलश्रेष्ठ
उज्जैन में अनेक तीज त्यौहार ऐसे होते ह,ैं जिसमें पतित पावन शिप्रा नदी में डुबकी लगाना श्रद्धालु पुण्य समझता है। किन्तु जब वो पूरी आस्था के साथ उज्जैन आता है तो शिप्रा नदी को मैली और प्रदूषित देखकर हताश और निराश हो जाता है। उसका मन शिप्रा नदी में डुबकी लगाने से उचट जाता है। मन मारकर या तो वह शिप्रा नदी में डुबकी लगाता है या छींटे लगाकर उदास हो वापस लौट जाता है। किन्तु मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रयासों से अब शिप्रा में स्नान के लिए साफ पानी उपलब्ध रहने की आस जगी है।
खान डायवर्सन क्लोज डक्ट योजना -
करीब 600 करोड़ रूपयों की खान डायवर्सन क्लोज डक्ट योजना के जरिए खान नदी के दूषित पानी को उपचार कर उसका साफ पानी गंभीर डाउन स्ट्रीम में छोड़ा जायेगा। सिलारखेड़ी-सेवरखेड़ी बेराज से शिप्रा में पानी की आपूर्ति होती रहेगी। इससे शिप्रा प्रवाहमान बनी रहेगी। इसके साथ ही हरियाखेड़ी परियोजना त्रिवेणी की अपस्ट्रीम में होने के कारण यहाँ से शिप्रा को शुद्ध पानी मिलेगा। इससे उज्जैन को निरंतर पीने का पानी सप्लाय किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने ली उज्जैन में बैठक -
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में उज्जैन में सिंहस्थ 2028 की जल आपूर्ति कार्य योजना और शिप्रा स्वच्छ रहने के कार्य की प्रगति की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने आगामी सिंहस्थ 2028 में संत, महंत और श्रद्धालु शिप्रा के जल से ही स्नान करेंगे, इसकी सुनिश्चित व्यवस्था करने के लिए कहा। इस संबंध में उन्होंने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए कि सभी कार्य समय सीमा में पूर्ण किए जाए।
एकीकृत योजना -
बैठक में बताया गया कि खान डायवर्सन क्लोज डक्ट परियोजना, सेवरखेड़ी- सेलारखेड़ी मध्यम परियोजना और हरियाखेड़ी परियोजना का कार्य पूर्ण होने पर सभी एकीकृत रूप से कार्य करेंगे। इसमें खास बात यह है कि यह एकीकृत परियोजना की कार्ययोजना 2055 तक की जनसंख्या को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इससे शिप्रा में स्नान के लिए स्वच्छ जल मिल सकेगा और उज्जैन को वर्षभर पेयजल भी प्रदाय हो सकेगा।
सभी कार्य समय सीमा में पूर्ण हो -
यूं तो समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उक्त सभी परियोजनाओं के कार्य समय सीमा में पूर्ण करने के निर्देष दिए है, किन्तु उज्जैन को सही लाभ तभी मिल सकेगा जब उन समस्त परियोजनाओं पर सतत निगरानी तंत्र विकसित हो। विभिन्न परियोजनाओं के समन्वय से ही कार्य होने पर समय सीमा में परियोजनाएं पूर्ण हो सकेगी। इसके लिए संभागायुक्त और कलेक्टर को सतत निगरानी करते रहना होगा, तभी वांछित लाभ मिल सकेगा।
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