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आप भी सोते रहो - सुरेन्द्र अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार


आप भी सोते रहो
   - सुरेन्द्र अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार
       छतरपुर के आडिटोरियम में पांच दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव के दूसरे दिन 27 नवंबर को जो नाटक प्रस्तुत किया गया था उसका शीर्षक था "सोते रहो'' नाटक के कथानक और प्रस्तुति ने ऐसे लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जिनकी आंखें तो खुली हुई हैं पर फिर भी सो रहे हैं।
    इसी तरह हिन्दुओं को जगाने और जातिगत भेदभाव मिटाने को लेकर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने जब पदयात्रा का शंखनाद किया तो यहां के हिन्दू समाज को जागरूक करने के लिए हिंदू संगठन भी जाग उठे और उन्होंने छतरपुर बंद का आव्हान कर दशकों से हिन्दू समाज को चुनौती देने वाले मुद्दों पर आवाज बुलंद की।
      परंतु नगर की ज्वलंत समस्याओं को लेकर हम आज़ भी सोते आ रहें हैं। आखिर क्यों? याद कीजिए यदि छतरपुर में मेडिकल कॉलेज के लिए जन आंदोलन नहीं किया जाता तो क्या हमें मेडिकल कॉलेज की सौगात मिलती। सौगात मिली तो बजट नहीं। निर्माण कार्य ठप्प हो गया था। जब पुनः आंदोलन की चेतावनी दी गई तब तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने 2 जून को छतरपुर स्टेडियम में बताया कि मेडिकल कॉलेज के लिए बजट स्वीकृत कर दोबारा टेंडर जारी कर दिया गया है।
     सरकारी आंकड़े कुछ भी हों। छतरपुर नगर की आबादी तीन लाख के करीब पहुंच रही है। लेकिन हमारे भाग्यविधाताओं के पास नगर नियोजन की कोई योजना नहीं है।
      1- आइएसबीटी बस स्टैंड फाइलों में दफन हो गया है।
       2 - सातों दिन हाइवे पर लगने वाले हाट बाजार शहरवासियों को हादसों की चुनौती दे रहे हैं।
       3- तमाम सरकारी भूमि खाली पड़ी है, लेकिन एक पार्किंग स्थल हम नहीं दे सकते।
       4- शहर में स्ट्रीट लाइट 24 घंटे जल रही है। सब सो रहे हैं।
        5- मुख्यमंत्री ने कहा था कि सड़कों से जानवरों को बेदखल किया जाए। लेकिन रोजाना दो चार लोगों की हड्डी पसली टूट रही हैं, हम सो रहे हैं।
        6- पुलिस और परिवहन विभाग बस मालिकों को हिदायत दे चुका है कि बस स्टैंड से आकाशवाणी तिराहे तथा छत्रसाल चौक तक बसों को रोककर सवारियां न चढ़ाएं। लेकिन बीच सड़क पर बस को रोककर सवारियां लादी और उतारी जा रही हैं।
       7- गांधी चौक से चारों तरफ की सड़कों पर पैदल चलना दुश्वार हो गया है। न यहां के दुकानदार सुधरना चाहते हैं और न नगरवासी।
       8 - खाद की कमी, कालाबाजारी के साथ नकली खाद की भारी मात्रा में खपत हो रही है। चंद एफआईआर के बाद भी वो मुनाफाखोर सामने नहीं आए जो खेतों में जहर घोल रहे हैं। क्योंकि हम सो रहे हैं। मुनाफाखोरों को सिर्फ अपनी तिजोरी भरने से मतलब है फिर चाहे कोई जिए या मरे। काला पानी में एक ट्रक नक़ली खाद बरामद की गई। परन्तु यह माल किसने मंगाया था उसकी खोज नहीं की गई। क्या वह किसी दूसरे लोक का रहने वाला था। खाद के अवैध भंडारण और नकली खाद विक्रेताओं पर आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया गया है। जबकि ऐसे लोगों पर रासुका लगाए जाने की आवश्यकता है।
         जागिए। आखिर कब तक सोते रहोगे। लेकिन केवल अपने अधिकारों के लिए नहीं। समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के साथ। एक जिम्मेदार नागरिक बनिए।
       और अंत में  शांति पूर्वक नगर बंद के लिए आयोजक संगठन और नगर के सभी दुकानदारों को हृदय से साधुवाद।

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