विश्व के देशों को लुभाने का श्रेय इंदौर को है इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है: विवेक अग्रवाल -कीर्ति राणा वरिषठ पत्रकार
तब बीआरटीएस सही था, अब शहर के लिये जरूरी है मेट्रो
••• विश्व के देशों को लुभाने का श्रेय इंदौर को है इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है: विवेक अग्रवाल
कीर्ति राणा वरिषठ पत्रकारइंदौर।विश्व के विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों (यूरेशियन ग्रुप) की बैठक के लिये इंदौर का चयन करने के लिए जब इंदौर में कलेक्टर रहे विवेक अग्रवाल को शहर के नागरिकों की ओर से बधाई देना चाही तो उन्होंने श्रेय लेने से इंकार करने के साथ ही यह भी कहा कि जो विदेशी प्रतिनिधि आए हैं उन देशों को लुभाने का श्रेय तो इंदौर और यहां के नागरिकों को ही है।
यूरेशियन ग्रुप बैठक के ग्रुप लीडर विवेक अग्रवाल का कहना था लगातार सात बार इंदौर का स्वच्छता सर्वेक्षण में नंबर वन रहना, यहां की मेहमांवाजी, यहां का खानपान और जीवंतता जैसे कारण रहे कि बैठक के लिये इंदौर के चयन पर सहमति बनी। इंदौर से अच्छी जगह भारत में है भी नहीं, बड़ा मीठा शहर है। हमें बैठक के लिये निर्णय करना था, इससे पहले मुख्यमंत्री मोहन यादव को यूरेशियन ग्रुप मीटिंग इंदौर में आयोजित करने के लिये सहमति मांगी। उन्होंने सहर्ष स्वीकृति के साथ ही जिला प्रशासन सहित सभी विभागों को व्यवस्था संबंधी निर्देश भी दिए। उनकी विदेश यात्रा पूर्व निर्धारित थी नहीं तो वे भी एक सत्र में शामिल होते।
इस संयोग पर क्या कहेंगे कि आप जब कलेक्टर थे तब बीआरटीएस इस शहर को मिला और अब जब इस बैठक के चलते सतत आप इंदौर में बने हुए हैं तब बीआरटीएस हटाने का निर्णय हो गया है।
अग्रवाल का कहना था तब बीआरटीएस की बेटल मेरे हाथ में थी, मैं उसको लेकर जमकर दौड़ा और रेस में अपनी टीम को आगे रखने का काम किया। बाद में मैंने अपना बेटल किसी और के हाथों में दे दिया, बीआरटीएस जिम्मेदारी तब किसी और अधिकारी पास पहुंच गई।तब के जनप्रतिनिधियों का उस वक्त के हिसाब से सही निर्णय था। डेवलपमेंट की प्रोसेस चलती रहती है। तब यदि बीआरटीएस जरूरी था तो उस पर काम किया गया। बाद में मैं नगरीय प्रशासन विभाग का पीएस रहा लेकिन यदि योजना पूरी नहीं हो पाई तो फंडिंग की समस्या थी, फिर मेट्रो की जरूरत महसूस हुई इसके लिये केंद्र से फंड भी मंजूर हो गया तो इंदौर में बढ़ते ट्रैफिक के दबाव को देखते हुए मेट्रो अधिक उपयोगी हो गई।
तब बीआरटीएस कितना सही था कि इंदौर को टेंपो-प्रदूषण से मुक्ति मिली। साढ़े 11 किमी वाले बीआरटीएस से अतिक्रमण हटे, सड़क चौड़ी हुई, सड़कों पर लटकते तार से मुक्ति मिली, भूमिगत नाली निर्माण हुआ।जब बीआरटीएस प्लान किया तब मुझे जरासंध तक कहा गया था। प्रशासन और डेवलपमेंट में इमोशनल होना नहीं चलता। इंदौर मेरा प्रिय शहर है। 2018 तक स्वच्छता, सीवरेज, स्मार्ट सिटी आदि योजनाओं के कारण इंदौर की विकास योजनाओं में मेरी भागीदारी रही है। मैंने जो उस समय किया, उस वक्त की जरूरत के हिसाब से सही था। अब जो कर रहे हैं वो इसलिये सही कर रहे हैं कि इंदौर की जिस तेजी से ग्रोथ हो रही है, शहर की जरूरतों, लोगों की सुविधा के लिये जनप्रतिनिधि जो निर्णय ले रहे हैं वो सही हैं क्यों कि इंदौर मध्य प्रदेश ही नहीं विश्व में अपनी खास पहचान बना चुका है।
अब शहर के विकास की बेटल जिन लोगों के हाथ में है, उनको निर्णय करना है शहर के विकास और हित में क्या जरूरी है, उसी आधार पर निर्णय लेना होगा। इसके लिए मैं कमेंट करूं यह शोभा नहीं देता क्योंकि मैं अपनी रेस दौड़ चुका हूं अब वर्तमान में जो प्रशासक है मैं उनको प्रोत्साहन दे सकता हूं।
भारत के यूपीआई को अन्य देशों में भी मिल रही मान्यता
यूरेशियन ग्रुप की इस बैठक का भारत ग्रुप लीडर है और भारत की पोजिशन स्ट्रांग है। डिजिटल पेमेंट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट करने संबंधी भारत की पहल को दुबई, सिंगापुर के बाद अन्य देशों में भी मान्यता मिल रही है।देश ही नहीं विश्व में भी मनी लॉंड्रिंग, टेरर फंडिंग जैसी अवैध गतिविधियों को रोकने में यूपीआई कारगर साबित होगा यूरेशियन ग्रुप की इस बैठक में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने भी इसे माना है।
भारतीय प्रतिनिधि संघ के प्रमुख विवेक अग्रवाल ने चर्चा में कहा फॉरेन करेंसी को कम करने के लिए यूपीआई का बड़ा रोल रहेगा । भारत सरकार इसके लिए प्रयासरत है। भारत में डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर जो बना है, वह विश्व में एक उदाहरण है। इससे साइबर क्राइम कंट्रोल करने में भी मदद मिलेगा। इसमें भारत का रोल विश्व में अग्रणी है। आने वाले समय में डिजिटल पेमेंट और फिन टेक का जबरदस्त ग्रोथ होगा। फिन टेक के जरिए क्राइम की आशंका न रहे यह एक बड़ा चैलेंज है। इसके लिए क्या रेगुलेटरी सिस्टम होना चाहिए और क्या कंप्लायंस सिस्टम है, इसके लिए एक सेशन कल बुधवार को रखा गया है। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और टेररिस्ट फंडिंग को रोकने के लिए गहन चर्चा होगी।
अग्रवाल ने कहा भारत ही नहीं ग्रुप के अन्य देश भी मनी लॉंड्रिंग, टेरर फंडिंग, ड्रग कारोबार से प्रभावित होने वाली अर्थ व्यवस्था और अपराध सहित अन्य बढ़ती चुनौतियों से परेशान तो हैं ही इन पर नियंत्रण के लिए आपसी एकजुटता के साथ सहयोग को भी तत्पर हैं।ग्रुप देशों की बैठक में होने वाले निर्णयों पर अमल फायनेंशियल टॉस्क फोर्स के माध्यम से होता है। भारत में ईडी, एफआई, एनआईए, सीबीआई, सेबी आदि संस्थाओं के प्रतिनिधि भी इस टॉस्क फोर्स में इसमें शामिल हैं।
भारत को 2010 में ईएजी की मान्यता मिली
यूरेशियन ग्रुप (ईएजी) वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) शैली का क्षेत्रीय निकाय है। भारत को दिसंबर 2010 में ईएजी में सदस्यता प्रदान की गई थी। इसमें भारत के साथ रूस और चीन सहित 9 सदस्य और 40 पर्यवेक्षक हैं, जिनमें से 16 देश और 24 अंतरराष्ट्रीय संगठन हैं। वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसकी स्थापना 1989 में मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी फंडिंग और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिए अन्य संबंधित खतरों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था के रूप में की गई थी। भारत 2010 में एफएटीएफ का सदस्य बना।