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पुराने जमाने में जब सरकारी गाड़ियों में लाल बत्ती लगाने की व्यवस्था रहती थी-आनंद कुमार शर्मा वरिष्ठ पूर्व आईएएस


रविवारीय गपशप
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                    अब तो ख़ैर वो बात रही नहीं , पर पुराने जमाने में जब सरकारी गाड़ियों में लाल बत्ती लगाने की व्यवस्था रहती थी , तब कुछ लोगों ने इसी कारण प्रशासन और पुलिस की नौकरी ज्वाइन की थी , कि इसमें लाल बत्ती वाली गाड़ी में घूमने मिलेगा । संयोग से मैं जब नौकरी लगा तो वही समय था जब एस.डी.एम. और कलेक्टर की गाड़ी में लाल बत्ती लगा करती थी । तहसीलदार भी कार्यपालक मजिस्ट्रेट होने के नाते लाल बत्ती के हक़दार थे , पर तब जीप एस.डी.एम. को भी बमुश्किल ही नसीब होती थी तो तहसीलदार क्या करे । उपाय ढूँढा गया और मोटरसाइकल के आगे लालबत्ती लगाई जाने लगी । डोंगरगढ़ में मेरे तहसीलदार श्री कतरोलिया अपनी बुलेट मोटर साइकल में आगे के मडगार्ड में लालबत्ती लगाया करते थे । 
                  राजनांदगाँव ज़िले की डोंगरगढ़ तहसील में माँ बमलेश्वरी देवी के मंदिर के कारण व्ही.आय.पी. मूवमेंट बना रहता था , जिनमें शासन के मंत्री और बड़े अधिकारी दोनों ही शामिल थे । उन दिनों रायपुर संभाग के सभी ज़िलों के लिए केवल दो शासकीय कार इन मेहमानों के लिए ज़रूरत पड़ने पर भेजने के लिए कमिश्नर के अधीन रिज़र्व थीं जिन्हें पूल कार कहा करते थे । हालाँकि तब रायपुर में ही इतने कार्यक्रम हुआ करते थे , जिसमें तमाम मंत्री गणों का आना-जाना बना रहता कि पूल वाहन वहीं के लिए कम पड़ते , इसलिए कलेक्टर ने हमें अधिकृत कर रखा था कि , आवश्यकता पड़ने पर स्थानीय स्तर पर टैक्सी के लिए उपलब्ध कार लेकर , उस पर लाल बत्ती लगा कर व्ही.आई.पी. के लिए उपयोग हेतु उपलब्ध करा दी जाय । पर हर व्यवस्था में पेंच होता है , ये मुझे तब पता लगा , जब डोंगरगढ़ में प्रदेश शासन की मंत्री जमुना देवी पधारीं । हमने परंपरा के अनुसार टैक्सी लगा दी , वे सुबह की ट्रेन से भोपाल से पधारी थीं और आगे किसी कार्यक्रम में उन्हें जाना था । सुबह सुबह मुझे रेस्ट हाउस से बुलावा आया कि मंत्री जी याद कर रही हैं । मैं उपस्थित हुआ तो उन्होंने कहा आप लोगों ने ये कौन सी कार लगा दी है , मैं प्रदेश सरकार की मंत्री हूँ प्राइवेट कार में थोड़े बैठूँगी । मैंने उन्हें सारी परेशानियां बयाँ कीं , पर वे तो मानी ही नहीं । मुझसे कहने लगीं आप लोगों के पास यदि लालबत्ती लगी कार नहीं है तो कलेक्टर की कार बुलाइए , मैं कलेक्टर की कार में आगे जाऊँगी । मैंने कलेक्टर साहब को फ़ोन किया तो पता लगा वे तो मोहला-मानपुर के दौरे पर हैं । मैडम को फिर निवेदन किया तो उन्होंने पूछा आप किस गाड़ी में चलते हैं ? मैंने कहा मेरे पास तो कोई शासकीय वाहन नहीं है , ज़रूरत पड़े तो ब्लॉक में उपलब्ध राजदूत मोटर साइकिल इस्तेमाल करता हूँ । वे पूछने लगीं एस.डी.ओ. पुलिस किस गाड़ी में चलते हैं ? एस.डी.ओ. साहब साथ ही थे कहने लगे “ मैडम मेरे पास तो पुलिस का डग्गा है “। मैडम ने थोड़ी देर सोचा फिर कहा उस पर लाल बत्ती है ? उन्होंने जवाब दिया , जी हाँ । मैडम बोलीं , तो फिर वही लगवाइये । हमने बड़ी गुज़ारिशें कीं पर वे नहीं मानीं और अंततः हमें एस.डी.ओ.पी. साहब की डग्गानुमा मिनी ट्रक लगवाना पड़ा जिस पर मैडम बैठ कर आगे रवाना हुईं । थोड़े दिन बाद मेरी शिकायत मंत्रालय में हुई और हमने अपनी मासूम सफ़ाई उसके जवाब में भिजवाई । कलेक्टर श्री अजयनाथ थे , सो उन्होंने भरपूर सिफ़ारिश के साथ हमारी गलती न होने की वकालत की और हम बेदाग़ बच निकले ।

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