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सरकार नजर फेर ले तो फाईन आर्ट वाले स्टूडेंट के फजीते हो जाएं !-कीर्ति राणा वरिष्ठ पत्रकार


सरकार नजर फेर ले तो फाईन आर्ट 
वाले स्टूडेंट के फजीते हो जाएं !
•••मेहरबान हो जाए तो प्रतियोगी परीक्षा वाले छात्रों की लॉटरी लग जाए
कीर्ति राणा वरिष्ठ पत्रकार इंदौर। सरकार जब मेहरबान हो जाए तो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों की लॉटरी लग जाती है और जब सरकार अपने कलाकर्म से विश्व में इंदौर का नाम रोशन करने वाले चित्रकारों के साधनास्थल फाईन आर्ट कॉलेज के गौरवशाली अतीत से नजरें फेर लेती है तो भविष्य के कलाकार-इस कॉलेज के स्टूडेंट के फजीते हो जाते हैं। सरकार को इनकी  दिक्कतें भी नजर नहीं आती है। देवलालीकर कला वीथिका के पीछे जिस स्कूल भवन की पहली मंजिल पर फाईन आर्ट कॉलेज लगता था, सवा साल पहले वह जर्जर भवन जमींदोज करने और इस कॉलेज को स्कीम नंबर 54 में इंदौर विकास प्राधिकरण के भवन में स्थानांतरित करने के बाद से फाईन आर्ट के स्टूडेंट समस्याओं से जूझ रहे हैं। 
शहर के सांसद से लेकर विधायकों तक को तो याद भी नहीं होगा कि इस किराये के भवन में संचालित फाईन आर्ट कॉलेज के क्या हाल हैं।वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को भी फुरसत नहीं है। इस शहर से दो अकादमी निदेशक भी सरकार में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ विकास दवे, संगीत कला अकादमी के निदेशक जयंत भिसे इंदौर के कलाकारोंकी भावनाओं से सरकार को अवगत कराने की तत्परता दिखाएं तो फाईन आर्ट कॉलेज का पुनरुद्धार हो सकता है। 
गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व ही इंदौर जिला प्रशासन ने एक अनूठा नवाचार करते हुए प्रतियोगीपरीक्षा की तैयारी करनेवाले युवाओं के लिये भंवर कुआ क्षेत्र में आधुनिक लायब्रेरी तैयार कराई है ।यहां लगभग दो सौ स्टूडेंट पढ़ाई कर सकेंगे । यहां वाईफाई, टेबल लेम्प चार्जिंग पॉइंट के अलावा एनसीईआरटी की पुस्तकों के साथ पत्र - पत्रिकाए-समाचार पत्रों की सुविधा भी है। सुबह 6 से दोपहर 2 और 2 से रात 10 बजे तक दो चरणों में युवा अध्ययन कर सकेंगे । इस लायब्रेरी का शुभारंम्भ मुख्यमंत्री के हाथों ही हुआ है । शहर के अन्य इलाकों में भी युवाओं को जल्द ही ऐसी सुविधा मिलनेवाली है। 
कलामनीषी दत्तात्रय दामोदर देवालालीकर  ने 97 वर्ष (वर्ष 1927)पूर्व इंदौर में प्रदेश के इस पहले चित्रकला विद्यालय की नींव रखी थी। जो अब  फाईन आर्ट कॉलेज में तब्दील हो चुका है / 
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चितेरे एमएफ हुसैन,एनएस बेंद्रे, एमएस जोशी, डीजे जोशी, सोलेगांवकर, एमजी किरकिरे, चंद्रेश सक्सेना, विष्णु चिंचालकर और उज्जैन के डॉ.विष्णु श्रीधर वाकणकर आदि इसी कला केंद्र में (स्व)देवलालीकर के शागिर्द रहे हैं, जो अपने जीवन काल में ही किवदंती बन चुके थे।कला महर्षि देवलालीकर भारतीय कला जगत की  सर्वकालिक चुनिंदा महान कलाकारों की फेहरिस्त में शामिल हैं।
इन्हीं मशहूर कलाकारों ने जहां कला की तालीम पायी उसी कला केंद्र के विद्यार्थी आज कल्पना से परे हालात में हैं।निर्धारित शुल्क अदा करके कला साधना कर रहे है ।1927 से लेकर 2023 तक यह चित्रकला महाविद्यालय  महात्मा गांधी मार्ग पर स्थित प्रसिद्ध देवलालीकर आर्ट गैलेरी के पीछे बहुत पुराने स्कूल भवन की पहली मंजिल पर संचालित होता रहा । इस इमारत की हालत बेहद जर्जर हो जाने से उसे सवा साल पहले जमींदोज कर दिया गया और इस कॉलेज को स्कीम 78 विजय नगर क्षेत्र में इंदौर विकास प्राधिकरण के बेहद खस्ता हाल बाल भवन में शिफ्ट कर दिया गया है। जिसका मासिक किराया एक लाख रु शासन को इंदौर विकास प्राधिकरण को देना पड़ रहा है।
विद्यार्थियों के अनुकूल नहीं 
इस भवन में कॉलेज स्थानांतरित तो कर दिया गया लेकिन यह कला के विद्यार्थियों के दृष्टि से अनुकूल नहीं हैं।स्टूडेंट्स कहते हैं कोई एक समस्या हो तो बताएं, ढेरों समस्याए हैं ।कॉमन वार्ड रूम, किचन और  खुले गलियारे में कक्षाएं संचालित हो रही हैं।कक्षाओं में व्यवस्थित लाईट तक नहीं है। विद्यार्थियों की संख्या के मुकाबले क्लास रूम का आकार बहुत छोटा है । कुछ कमरों में एक से ज्यादा कक्षाऐं लगानी पड रही हैं।बीए द्वितीय वर्ष से लेकर एमएफए अंतिम वर्ष की कक्षाएं एक ही किचन कक्ष में संचालित की जा रही है । छात्र-छात्राओं के लिये कॉमन सुविधा गृह है, यहां भी सर्वत्र गंदगी फैली रहती है ।पीने के पानी का अभाव रहता है ।विपरीत माहौल और इन समस्याओं से जूझते युवा-उभरते कलाकार तालीम पा रहे हैं । बरसों से शासकीय संगीत महाविद्यालय का प्राचार्य ही इस कॉलेज का भी प्रभारी रहता है।
वाहन सुविधा भी उचित नहीं है। भविष्य के ये कलाकार-छात्रों का कहना है जिस तरह मुख्यमंत्री ने प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिये सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं, वैसी कला छात्र-छात्राऑ के लिये उपलब्ध करानी चाहिये।
सरकार की नजरों में उपेक्षित देवलालीकर 
अमीर खां उस्ताद की स्मृति में हर साल इंदौर में होने वाले तीन दिनी उत्सव की चित्र प्रदर्शनी देवलालीकर कला वीथिका में लगती है।फाईन आर्ट कॉलेज के संस्थापक देवलालीकर की स्मृति में शासन की तरफ से इंदौर में कोई कार्यक्रम, उनकी स्मृति में पेटिंग स्पर्धा आदि की आज तक पहल नहीं की गई।पर्यटन-संस्कृति-अध्यात्म मंत्री रहीं उषा ठाकुर को इंदौर सहित प्रदेश के डेढ़ सौ से अधिक आर्टिस्ट ने ज्ञापन भी दिया था।2027 में फाईन आर्ट कॉलेज का शताब्दी स्थापना वर्ष होगा लेकिन इस दिशा में भी सरकार की कोई पहल नजर नहीं आती।
देवलालीकर कला वीथिका के बाहर की सारी जमीन फाईन आर्ट कॉलेज की है, मुख्यमंत्री यादव चाहें तो इस जमीन पर ही फाईन आर्ट कॉलेज भवन के निर्माण की पहल कर के शताब्दी वर्ष की सौगात दे सकते हैं।अभी किराये के भवन का प्रति माह एक लाख रु प्राधिकरण को चुकाना पड़ रहा है। 
☑️फोटो है
तब आमरण अनशन किया था धड़वईवाले ने 
इसी कॉलेज के छात्र अनिल कुमार 
धडवईवाले ने 54 साल पहले समस्याओं को लेकर  देवलालीकर आर्ट गैलेरी (तब वह कॉलेज का हिस्सा था) के समक्ष अमरण अनशन किया था। उस आंदोलन का असर ही था कि आर्ट गैलरी भवन के मुख्य दरवाज़े पर लगा ताला खोला गया था और अन्य मांगे मंजूर की गई थी।
सरकार की नजरों में उपेक्षित देवलालीकर 
अमीर खां उस्ताद की स्मृति में हर साल इंदौर में होने वाले तीन दिनी उत्सव की चित्र प्रदर्शनी देवलालीकर कला वीथिका में लगती है।फाईन आर्ट कॉलेज के संस्थापक देवलालीकर की स्मृति में शासन की तरफ से इंदौर में कोई कार्यक्रम, उनकी स्मृति में पेटिंग स्पर्धा आदि की आज तक पहल नहीं की गई।पर्यटन-संस्कृति-अध्यात्म मंत्री रहीं उषा ठाकुर को इंदौर सहित प्रदेश के डेढ़ सौ से अधिक आर्टिस्ट ने ज्ञापन भी दिया था।2027 में फाईन आर्ट कॉलेज का शताब्दी स्थापना वर्ष होगा लेकिन इस दिशा में भी सरकार की कोई पहल नजर नहीं आती।
देवलालीकर कला वीथिका के बाहर की सारी जमीन फाईन आर्ट कॉलेज की है, मुख्यमंत्री यादव चाहें तो इस जमीन पर ही फाईन आर्ट कॉलेज भवन के निर्माण की पहल कर के शताब्दी वर्ष की सौगात दे सकते हैं।अभी किराये के भवन का प्रति माह एक लाख रु प्राधिकरण को चुकाना पड़ रहा है। 

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