सबके साथ एकात्म की स्थिति में जीना ही योग है
उज्जैन | योग सनातन है। सृष्टि की उत्पत्ति ही योग से हुई है। योग सिर्फ इस शरीर को स्वस्थ रखने के लिए की जानी वाली कोई भौतिक क्रिया नहीं है, योग के प्रणेता तो स्वयं आदि योगी भगवान शिव हैं, जिन्होंने संसार में सबके विकास और कल्याण के लिए सबके साथ एकात्म की स्थिति में जीना ही योग है। यही बात अलग-अलग कालखंड में गोरखनाथ महाराज और महर्षि पतंजलि द्वारा बताई गई।
यह बात राज्यसभा सदस्य बालयोगी उमेशनाथ महाराज ने शुक्रवार को कही। वे रूपांतरण सामाजिक एवं जनकल्याण संस्था दो माह से कौशल विकास मिशन अंतर्गत आयोजित योग प्रशिक्षण शिविर के प्रमाण-पत्र वितरण अवसर पर बतौर अतिथि मौजूद थे। शिविर में 40 से ज्यादा लोगों ने नियमित प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसमें आदिमजाति कन्या छात्रावास की ग्रामीण बालिकाओं ने भी प्रशिक्षण लिया। बालिकाएं अपने गुरुओं के माध्यम से संस्था द्वारा पीजीबीटी कॉलेज कैंपस में विकसित किए जा रहे राम वन के पौधों के संरक्षण संवर्धन में भी सहयोग कर रही हैं। संस्था अध्यक्ष राजीव पाहवा ने बच्चों को बहुत ही सरल भाषा में योग का अर्थ बताया। इस दौरान बालिकाओं ने संकल्प लिया कि योग शिक्षा से वे अपने गावों से जुड़ेंगी और सबको जोड़ेंगी। संस्था सदस्य आनंदीलाल जोशी ने भी बच्चों का मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम में संस्था के सदस्य डॉ. प्रमोद वर्मा, डॉ. सखा पाहवा, बरखा कुरील, पुष्पेंद्र शर्मा मौजूद थे।