सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा में छठे दिन मंगलवार को श्रीकृष्ण-रूक्मिणी विवाह हुआ।
सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा में छठे दिन मंगलवार को श्रीकृष्ण-रूक्मिणी विवाह हुआ। आकर्षक वेश-भूषा में श्रीकृष्ण व रुक्मिणी विवाह की झांकी प्रस्तुत कर विवाह संस्कार की रस्मों को पूरा किया गया। भक्त भजनों पर जमकर झूमे, फूलों की होली खेली।
डॉ. रश्मि जैन ने बताया कि कथा के बाद अनिल फिरोजिया, पार्षद कैलाश प्रजापति सहित बड़ी संख्या में मौजूद भक्त ने महाआरती संध्या की। कथावाचक जगन्नाथजी रामायणी अयोध्या वाले ने उधव चरित्र, महारासलीला व रुक्मिणी विवाह का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया। अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान ने महारास का आयोजन किया। माना जाता है कि वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई थी, जितनी गोपियां उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए। सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य व प्रेमानंद शुरू हुआ। रुक्मिणी विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सभी राजाओं को हराकर विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी को द्वारका में लाकर उनका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया। डॉ. जैन ने बताया कि प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक परिहार धर्मशाला, शांतिनगर चौराहा पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा की बुधवार को पूर्णाहुति होगी। इस दौरान प्रसादी का आयोजन होगा।