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लोगों को ताज्जुब होता है कि सरदारजी सुंदर कांड का पाठ कर रहे…!


कीर्ति राणा,वरिष्ठ पत्रकार
                    मुझे यह कहने में संकोच नहीं कि सुंदर कांड के पाठ करते रहने से मुझे गुरुवाणी (गुरुग्रंथ) को समझने में मदद मिली। गुरुवाणी में भोजपुरी-अवधि भाषा में भी गुणगान किया गया है और सुंदरकांड में भी इन्हीं भाषाओं की प्रधानता है।
                  एक बात यह भी कि मुझे सुंदर कांड पाठ करते हुए लोगों को ताज्जुब लगता है कि अरे ! सरदारजी इसका पाठ कर रहे हैं, कई तो यह प्रश्न भी करते है कि गुरुवाणी आती है या नहीं। करीब डेढ़ दशक से अमेरिका के विभिन्न शहरों में यह पाठ कर रहा हूं लेकिन इंदौर में पहली बार किया है। यह बात इंदरजीत सिंह गुरुदत्ता ने कही। कोकिलाबेन अंबानी हॉस्पिटल के पीछे निपानिया स्थित आसियोसा (आध्यात्मिक  सिद्ध योग साधना आश्रम) में उन्होंने पत्नी रानी के साथ सामूहिक पाठ किया। 
हनुमान भक्त सरदार गुरुदत्ता का कहना था राम की कृपा प्राप्त करना है तो हनुमान को प्रसन्न करना जरूरी है।उनकी निराभिमानी भक्ति से हर समस्या का समाधान संभव है बस उनसे बच्चे की तरह व्यवहार करें और यह भी कहते रहें कि मेरी परेशानी दूर नहीं की तो रामजी से शिकायत कर दूंगा। 
                  सुंदर कांड की प्रेरणा के संबंध में उनका कहना था इंदौर में दोस्त मनीष भसीन के यहां रात में पढ़ाई करते थे। उनकी मां क उसे सुबह हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए कहती थी।मैं सुनता जरूर था पर एक लाईन मुझे याद रही कि श्री गुरु चरण सरोज रज…बाद में अमेरिका में रामानंद द्विवेदी को यह पाठ करते सुना तो ऐसा असर हुआ कि साथ में दोहराने लगा।बस प्रभु राम की कृपा है कि टेक महेंद्रा कंपनी में मेरे बॉस जो बोहरा हैं उनके यहां भी पाठ किया।तब से विदेश के अनेक शहरों में पाठ का सिलसिला चल रहा है।

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