ख़ूब सारे प्रेम पुष्प उगाता हैं ये इंदौरी बाग़बान ….
लक्ष्मण पार्वती पटेल , कहानी वाला
[ पता नहीं आने वाले लोगों को दुनिया कैसी चाहिए , कैसी हवा , कैसा पानी चाहिए …?
पर इतना तो तय हैं कि इस समय दुनिया को
ढेर सारी करुणा चाहिए …! ! ] - भगवत रावत
मंगलवार को भोपाल के रास्ते डोडी रेस्ट्रॉं पर कचौरी मुँह में थी ओर अचानक देखा “ प्रेम अनमोल है “ पुस्तक थामे
“ द पोस्ट कार्ड मेन ऑफ़ इंदौर “ श्री मोहन अग्रवाल जी मुस्कुराते हुए सामने खड़े थे।
उन्होंने कहाँ आपको देखा #kahaniwala तो कार से जाकर अग्रवाल स्वीट की प्रसिद्ध मिठाई ओर उससे भी अमूल्य मीठी पुस्तक “ प्रेम अनमोल हैं “ ले आया ।
2024 का ही प्रकाशन है , आपके पढ़ने के लिए ।.
ऐसा प्रेम पुष्प उगाने वाला बागवान आपने भी इससे पहले न देखा होगा न सुना होगा । जहाँ मिले प्रेम , अपनत्व , मुस्कुराहट का पौधा लगा दे , वो भी तुरंत ।
पता नही किस विधा से उन्होंने फूलों से सिर्फ़ सुगंध फैलाना सीख लिया जो वो अब काँटे के बिना ..
प्रेम , ख़ुशी , मुस्कुराहट की जमकर बागबानी कर रहे है रोज़ दैनिक जीवन में , सफ़र में ओर राह चलते हुए भी ।
ये पोस्ट कार्ड मेन ऑफ़ इंदौर मोहन अग्रवाल जी है जो …..रोज़ अपनी बेटी के ससुर को ओर अन्य परिजनों को शुभेच्छा , ख़ुशी के पोस्ट कार्ड ( Post Card ) लिख कर पोस्ट करते है सालो से इसलिए की किसी के चेहरे पर तो एक प्रेम पूर्ण मुस्कुराहट आएगी ही उस सुबह उस ख़त को पढ़कर ..|
उनके द्वारा संकलित पुस्तक “ प्रेम अनमोल है “
में वो कहते है सबके मन में यह प्रश्न उठता ही होगा की रोज़ पोस्टकार्ड शुभेच्छा वाले या ऐसे प्रकाशनों को वितरित कर मुझे क्या फ़ायदा हासिल होता होगा ? क्योंकि व्यापारी पर जल्दी कोई विश्वास करता भी तो नही की वो बिना लाभ के कुछ करे ।
वो अपनी मीठी आवाज़ में कहते है हाँ मुझे बड़ा फ़ायदा है ….Big Profit ..व्यापारी जो हूँ .. बिना लाभ के क्यों कुछ करूँगा … आपकी आँख में भी यह ही सवाल तो है …? #kahaniwala जी ….
हाँ कैसे कहता …मैं भी. ...
पर उन्होंने खुद ही जवाब दिया …
जो ख़ुशी , सुख इन अच्छी …प्रेम पूर्ण बातों को पहुँचाने से मिलता है ना #kahaniwala वो आनंद ही मेरी असली ऊर्जा है । सकारात्मक सोच का ईंधन है । मेरे परिवार की एकता , नेकी वाली एनर्जी का राज हैं । क्योंकि हमारा परिवेश और सम्बंध प्रेम के इस ख़ूबसूरत ताने -बाने से ही तो बंधा हुआ है । जैसे आपसे मिला वजह प्रेम ही तो है ।
वो भी भोपाल जा रहे थे ओर नमस्कार करके जाते जाते बोले #kahaniwala जी प्रेम बाँटे , प्रेम को पवित्र ह्रदय से स्वीकारे ओर जो आपके लिए प्रेम प्रकट करे तो उसके प्रति अनुग्रह से भरे रहे मेरी यही एक मात्र कोशिश है । मिशन हैं |
मैंने ईश्वर को नहीं देखा लेकिन मेरी दृढ़ मान्यता हैं कि जहाँ प्रेम की बानी बोली जाती हैं , प्रेम की अभिव्यक्ति की जाती है ; वहीं ईश्वर की उपस्थिति होती हैं ...कहकर वो चले गए अपनी राह में ।
चाय पीते हुए मैंने किताब के अंतिम पृष्ठ पर देखा लिखा था …
प्रेम का वजूद दोनों के “ हम “
हो जाने में है !
एक भी “ मैं “ हुआ ,
तो प्रेम गया ! !
मैं , Ego , घमंड ….सबसे बड़ा शत्रु मनुष्य का …प्रेम के टूटने का. .ख़राब होने का...कितना गहरा लिखा है , वाह निकल ही गया ।
किताब के बैक कवर पर इंदौर के प्रसिद्ध समीक्षक एवं संस्कृतिकर्मी संजय पटेल लिखते है कम पढ़ाई लिखाई करने वाले इस मोहन अग्रवाल के प्रेम के आगे मिठाई फीकी है । संबंधों के प्रबंध पर वे एक व्यक्ति नही सिर्फ़ ..एक विश्वविद्यालय हैं। एक प्रिय मित्र से बेहतर कोई किसी को क्या ही जान सकता है , एकदम सो टका सच लिखा ।
अंत में रास्ते में प्रेम अनमोल हैं .. को पढ़ते हुए
संजय पटेल जी की शर्त से सहमत होकर #kahaniwala भी यह बात कह सकता हैं कि मोहन अग्रवाल जैसा प्रेमल इंसान , प्रेम की बगियाँ का ऐसा बाग़बान , Love Messenger …The Post Card Man of Indore … ईश्वर बरसों में बनाता हैं ।
मतलब हमारी शर्त हारना मुश्किल है अगर आपको कोई ऐसा प्रेम पूर्ण इंसान मिले तो , कभी ।
मौक़ा मिले तो उनकी इंदौर , मध्य प्रदेश में अग्रवाल स्वीट्स , छप्पन दुकान पर आप उनसे एक बार ज़रूर मिलकर आइएगा ( फ़ोन लगाकर - 98270 - 67004 ) ….आपको यकीनन ये प्रेम के बाग का बागवान मिठाई से भी मीठा लगेगा मेरा विश्वास कीजिए।