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रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव 2024 : 169 उद्योगपतियों को 6774 करोड़ की भूमि की जाएगी आवंटित


उज्जैन। मध्यप्रदेश में औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। जिसे आकार देने के लिए वृहद स्तर पर उज्जैन में 1 एवं 2 मार्च को रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव 2024 का आयोजन किया जा रहा है। जिससे उज्जैन, इंदौर सहित प्रदेश के अन्य जिलों में औद्योगिक विकास के द्वार खुलेंगे। विशेष बात यह है कि इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में मौके पर ही 169 उद्योगपतियों को 6774 करोड़ की भूमि आवंटित की जाएगी। जिसके सहित कुल 8000 करोड़ से अधिक के कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास होगा। जिससे 12000 से अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त हो सकेगा। साथ ही साथ प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र में भी भूमिपूजन के कार्यक्रम आयोजित होंगे। उज्जैन कलेक्टर श्री नीरज कुमार सिंह ने बताया कि रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में अभी तक 662 बायर द्वारा और 2551 सेलर द्वारा रजिस्ट्रेशन कराया गया है। जो जारी हैं।
कलेक्टर श्री सिंह ने बताया कि बायर और सैलर में प्रमुख रूप से फूड और एग्रो प्रोडक्ट्स, सर्विस सेक्टर, इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स, केमिकल एंड एलाइड प्रोडक्ट्स, टेक्सटाइल, प्लास्टिक , हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट, इलेक्ट्रिकल ,जेम एंड ज्वेलरी, रियल एस्टेट, लेदर, स्पोर्ट्स, फिश एंड मरीन प्रोडक्ट्स के सेक्टर शामिल है। देश में आईटी सेक्टर्स के प्रमुख उद्योगपतियों के साथ इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में यूएसए, फिजी, मंगोलिया के गवर्मेंट डेलीगेशन और जापान, जर्मनी के बिजनेस डिलेग्शन शामिल होंगे।
भगवान महाकाल को विशेष भोग
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प्रदेश के सर्वांगीण विकास और इंडस्ट्री कांक्लेव के सफल आयोजन के लिए सर्वप्रथम भगवान महाकाल का आशीर्वाद लिया जाएगा। भगवान महाकाल को 6.25 क्विंटल लड्डू का भोग लगाया जाएगा। यह विशेष प्रसाद इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में शामिल उद्योगपतियों को भी दिया जाएगा।
उज्जैन के समृद्ध धार्मिक, वैज्ञानिक और ऐतिहासिक महत्व से रूबरू होंगे उद्योगपति
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मध्यप्रदेश में औद्योगिक निवेश के लिए अनुकूल वातावरण के साथ उज्जैन के समृद्ध धार्मिक, वैज्ञानिक और ऐतिहासिक महत्व से भी उद्योगपतियों रूबरू होंगे। कालिदास, वराहमिहिर, बाणभट्ट, राजशेखर, पुष्पदंत, शंकराचार्य, वल्लभाचार्य, भर्तृहरि, दिवाकर, कात्यायन और बाण जैसे विविध क्षेत्रों के महान विद्वानों का उज्जैन से जुड़ाव रहा है। राजा विक्रमादित्य ने इस शहर को अपनी राजधानी बनाया। महान विद्वान संस्कृतक कालिदास राजा विक्रमादित्य के दरबार में थे। उज्जैन का वर्णन स्कंदपुराण में मिलता है और इसे मंगल गृह की उत्पत्ति का स्थान माना जाता है। उज्जैन का एक बड़ा महत्व वैज्ञानिक रूप से इसका केंद्रीय स्थान है। महाकाल के इस केंद्र में स्थित शहर में ज्योतिष की शुरुआत और विकास हुआ। उज्जैन ने भारत और विदेशी देशों को समय की गणना की प्रणाली प्रदान की है। उज्जैन के इस प्रकार के प्राकृतिक, भौगोलिक और ज्योतिषीय महत्व को समझने की आवश्यकता है।
उद्योगपति और प्रतिभागियों को दी जाएगी किट

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