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जिले में नरवाई जलाना प्रतिबंधित


उज्जैन 23 फरवरी। जिले के कृषकों से अपील की जाती है कि गेहूं एवं अन्य फसलों को काटने के
बाद बचे हुए फसल अवशेष (नरवाई) जलाना खेती के लिये आत्मघाती कदम है। वर्तमान में जिले में
लगभग गेहूं फसल की कटाई प्रारम्भ हो गई है। गेहूं फसल की कटाई के पश्चात् सामान्य तौर पर किसान
नरवाई में आग लगा देते हैं, जिससे पर्यावरण में प्रदूषण के साथ-साथ मिट्टी की संरचना भी प्रभावित
होती है। इस संबंध में म.प्र. शासन के नोटिफिकेशन 15.05.2017 में निषेधात्मक निर्देश दिये गये उनके
पालन की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाना है। निर्देशों के उल्लंघन किये जाने पर व्यक्ति/निकाय को
नोटिफिकेशन प्रावधान तथा निर्देशानुसार- दो एकड़ से कम भूमि रखने वाले को 2500 रु. प्रति घटना
पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देय होगी। दो एकड से अधिक किन्तु 05 एकड से कम भूमि रखने वाले को
5000 रु. प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देय होगी। पांच एकड से अधिक भूमि रखने वाले को
15000 रु. प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देय होगी। कम्बाईन हार्वेस्टर से कटाई के उपरांत फसल
अवशेषों में आग लगाने की घटनाओं को देखते हुए रबी की कटाई में कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रॉ
मेंनेजमेंट सिस्टम को लगाने की अनिवार्यता सुनिश्चित करने के निर्देश संबंधित अनुविभागीय अधिकारी
(राजस्व) को दिए गए है। यदि कृषक स्ट्राॅ मेनेजमेंट सिस्टम का उपयोग नहीं करना चाहते है तो उन्हें स्ट्राॅ
रीपर का उपयोग करके फसल अवशेषों से भूसा प्राप्त करना अनिवार्य होगा।

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