2हजार साल बाद भी विक्रमादित्य के नाम आने पर गर्व-सीएम
गुरूवार को उज्जैन पहुंचे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कालिदास अकादमी के संकुल में विकास कार्यो का भूमि पूजन व शिलान्यास कार्यक्रम के साथ ही दीपोत्सव की समीक्षा बैठक में भाग लेते हुए कहा कि सम्राट विक्रमादित्य हमारी श्रद्धा और आस्था के साथ सनातन संस्कृति के संवाहक बनकर निकले है, वह भी उस कठिन काल में जिस काल की कल्पना करना भी आज कठिन है। विक्रमादित्य ने संकल्प लेने के बाद अपने पराक्रम और पुरुषार्थ से एक अद्भुत इतिहास लिख दिया।
कालिदास अकादमी में विभिन्न संत, समाज प्रमुख, विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों व अधिकारियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि काल के प्रवाह में एक ऐसी शक विभत्स जाति ने रोम से आकर धीरे-धीरे पूरे देश को गुलाम बनाया। थल मार्ग से हिमालय से कश्मीर की ओर निकलकर पूरे देश को अपने आगोश में ले लिया था। उस समय उज्जैन के राजा गंधर्व सेन थे, उनका राजपाट चला गया। राजा गंधर्व सेन छोटे बालक को लेकर सिंधु के पार जाकर निर्वासित जीवन जीने लगे। समय बीतने पर वह निर्वाचित जीवन जीने वाला बालक संकल्प करता है और अपने यौवन काल तक पहुंचते पहुंचते अपने पराक्रम और पुरूषार्थ से एक नया इतिहास लिख देता है। आज से 2 हजार साल बाद भी अगर विक्रमादित्य का नाम आता है तो गर्व होता है। डॉ. यादव ने कहा कि विक्रमादित्य का असली नाम नाम शशांक था। भगवान ने उन्हें यश दिया था कि विपरीत परिस्थिति को भी वह अपने अनुकूल बना लेते थे। विक्रमादित्य का यदि संधि विच्छेद करो तो आदित्य का मतलब सूर्य के समान और विक्रम का अर्थ होता है जो सुक्रम में बदल दें। अर्थात उल्टे क्रम को सुधार दें। मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि 1000 साल पहले उज्जैन के राजा भोज भी थे। वे भी इतने प्रतापी की विक्रमादित्य के समान उन्होंने भी कई युद्ध किए थे।