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सिंहस्थ-2028 को दृष्टिगत रखकर बनाए जाने वाले फोरलेन व टू-लेन के निर्माण में जमीन अधिग्रहण


सिंहस्थ-2028 को दृष्टिगत रखकर बनाए जाने वाले फोरलेन व टू-लेन के निर्माण में जमीन अधिग्रहण का पेंच आ गया है। निर्माण विभाग के अफसर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया से डरे हुए हैं। जमीन अधिग्रहण किए जाने से लागत बढ़ने और जमीन के विवाद सामने आने की संभावना के चलते सड़कों की चौड़ाई कम किए जाने के प्रयास किए जा रहे है। इसमें प्रस्तावित फोरलेन को टू-लेन व टू-लेन को इंटरमीडिएट लेन या 5 मीटर तथा 7 मीटर की सड़कों में तब्दील करने पर आमादा है। इसके पीछे तर्क दिए जा रहे हैं कि जमीन मिलना मुश्किल होगी।

जमीन अधिग्रहण किए जाने से सड़कों के निर्माण की लागत बढ़ जाएगी। जमीन अधिग्रहण में विवाद भी होंगे। श्री महाकाल लोक के शुरू होने व सिंहस्थ-2028 में करीब 15 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। ऐसे में सड़कों का चौड़ीकरण नहीं किया यानी सिंहस्थ क्षेत्र को कनेक्ट करने वाली सड़कों को फोरलेन नहीं किया गया या टू-लेन नहीं किया तो श्रद्धालुओं को आवागमन मुश्किल होगा। सिंहस्थ 2016 की तरह लोग जाम में फंसेंगे और श्रद्धालुओं का पैदल चलना भी मुश्किल हो जाएगा। ट्रैफिक लोड के चलते दुर्घटना का अंदेशा भी बना रहेगा। ऐसे में सरकार द्वारा प्रस्तावित सड़कों के स्वरूप में फेरबदल किया गया तो मुश्किल आ सकती है। पीडब्ल्यूडी के अफसरों का तर्क है कि शासन स्तर से जो प्रस्ताव मांगे गए हैं, उन्हें तैयार किया जाकर भोपाल भेजा जा रहा है। शासन स्तर पर जो निर्णय होगा, उसके तहत सड़कों का निर्माण किया जाएगा।

1- वाकणकर ब्रिज से सिंहस्थ बायपास होते हुए दाउदखेड़ी तक फोरलेन का निर्माण, जिसमें शिप्रा पर टू-लेन अतिरिक्त ब्रिज बनेगा। यह मार्ग करीब 4 किमी का होगा। सिंहस्थ-2028 के लिए यह मार्ग साधु-संतों व देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के आवागमन के लिए उपयोगी रहेगा। यह मार्ग करीब 7500.00 लाख से बनाया जाएगा। 2- धरमबड़ला से लेकर आगर रोड को क्रास करते हुए पंचक्रोशी मार्ग को कनेक्ट करते हुए एक्सप्रेस-वे की तर्ज पर करीब 1800 करोड़ की लागत से बनाए जा रहे उज्जैन-गरोठ फोरलेन को जोड़ेगा, जिससे उज्जैन के आसपास में सर्कल फोरलेन बन सकेगा।

 

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