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छतरपुर जिले के तालाबों की तकदीर भी संवर जाए


सुरेन्द्र अग्रवाल,वरिष्ठ पत्रकार
                        राज्य सरकार प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत पेयजल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए पुराने तालाबों की मरम्मत और गहरीकरण का कार्य शुरू करने जा रही है। यदि छतरपुर जिले के भाग्यविधाता चाहेंगे तो नगर के गटर बन गए तालाबों की किस्मत भी संवर सकती है। इसके लिए जज्बे और संकल्प की जरूरत है। क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि सरकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार ज्यादा होता है। जबकि हकीकत कोसों दूर होती है। आखिरकार नगर एवं जिला तो आपका भी है। ये योजना वैसे तो तालाबों के लिए ही है, लेकिन मकसद पेयजल और निस्तारी जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। नगर की एकमात्र सिंघाडी नदी का भी कायाकल्प कराया जा सकता है। क्योंकि नदी के किनारे मुक्तिधाम स्थित है और दाह संस्कार के पश्चात हिंदू धर्म में तिलांजलि देने के बाद ही घर लौटने का विधान है। नदी का जल स्वच्छ रहेगा तो निसंदेह तिलांजलि देने वाले लोग आपको दुआएं देंगे।
                        मध्यप्रदेश के जल संसाधन विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग दोनों मिलकर "जल -हठ '' अभियान चलाएंगे।जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल को इस अभियान का प्रस्ताव दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार करते हुए साथ-साथ काम करने का आश्वासन दिया। सिलावट ने कहा कि इस अभियान में सरकार और समाज की सहभागिता से हर गांव और नगरीय क्षेत्र के प्राचीन तालाबों सहित दूसरे जल स्त्रोतों का विकास, सौंदर्यकरण और गहरीकरण के काम किए जाएंगे। जहां अतिक्रमण होगा, उसे हटाकर पानी सहेजने वाले पौधे लगाए जाएंगे।
      यह यहां के जनप्रतिनिधियों पर निर्भर करता है कि जगत सागर तालाब, धुबेला तालाब जिनका पानी बरसात के दौरान सड़कों पर बहता देखा गया है, ईशानगर के तालाब के साथ ही नगर के तालाबों की किस्मत संवर जाए तो पेयजल के न सही फ़सल की पैदावार में सहायक हो सकता है।

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