top header advertisement
Home - आपका ब्लॉग << छतरपुर की असुरक्षित सड़कें

छतरपुर की असुरक्षित सड़कें


सुरेन्द्र अग्रवाल,वरिष्ठ पत्रकार
                    वर्तमान मौसम अठखेलियां कर रहा है। कभी सर्दी, कभी शीतलहर तो कभी बारिश। एक अंतराल के बाद सरकारें बदल जाती हैं, जनप्रतिनिधि भी बदल जाते हैं। लेकिन छतरपुर नगर के हालात नहीं बदलते। छतरपुर नगर की प्रमुख सड़कों पर बेजा अतिक्रमण तो है ही। बाकी कसर आवारा पशुओं, आवारा कुत्तों और प्रत्येक आधा किमी की दूरी पर कचड़े की ठिए हमारे छोटे से शहर की खूबसूरती और सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं। वर्तमान कलेक्टर ने नगर की सड़कों को साइकिल चला कर नापा। उन्होंने निर्देश दिए कि सड़कों से आवारा पशुओं को हटाया जाए, नहीं हटे दुकानदार लक्ष्मण रेखा के अंदर रहें, नहीं रहते सड़कों पर कचरा फेंकने वाले दुकानदारों के चालान किए जाएं, नहीं काटे जा रहे वर्तमान में जल जीवन को लेकर रथयात्रा निकाली जा रही है। जिसमें पेयजल की एक एक बूंद पानी बचाओ का संदेश दिया जा रहा है। स्वयं कलेक्टर संदीप जी आर ग्रामीण क्षेत्रों में जा जा कर यह संदेश दे रहे हैं।
                  टीएल की बैठकों में आवारा पशुओं, सफाई, पेयजल की बरबादी रोकने के नियमित तौर पर निर्देश दिए जाते हैं। जिन्हें अधिनस्थ अमला हवा में उडा देता है।
    प्रमुख सड़कों और गलियों में आवारा पशुओं एवं कुत्तों ने सामान्य नागरिकों का जीना हराम कर दिया है।सांड के हमले से सैकड़ों लोग अपनी हड्डियां तुड़वा चुके हैं। अब कुत्ते भी हमला करने लगे हैं। पेयजल की बरबादी के सारे रिकॉर्ड टूट गये हैं। हजारों गैलन पानी सड़कों पर बह रहा है। नगर पालिका अधिकारियों को इतनी भी समझ नहीं है कि जिन लोगों द्वारा पेयजल की बरबादी की जा रही है। उनके कनेक्शन काट दिए जाएं और उनसे जुर्माना वसूल किया जाए। प्रमुख सड़कों पर जो कचड़े के ठिए बने हुए हैं उन्हें खत्म किया जाए।
आरटीओ पर जुर्माना ठोका जाए
               सड़क सुरक्षा समिति में अनेक मर्तबा यह मुद्दा सामने आया है कि बस स्टैंड से रवाना होने वाली बसें बीच सड़क पर बस रोककर सवारियां नहीं बैठाएंगे। लेकिन हर दस कदम पर बसों को रोक कर सवारियां बैठाईं जा रही हैं। अचानक बीच सड़क पर बस रोकने के कारण पीछे आ रहे टू व्हीलर अथवा फ़ोर व्हीलर चालक को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ता है। इस अवस्था को सुधारने की कोई योजना नहीं है। इसकी जवाबदेही तय करते हुए आरटीओ को जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए। यदि व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो फिर उन पर जुर्माना ठोकना ही विकल्प है। बाबा तुलसीदास जी लिखते हैं कि भय बिनु होय न प्रीति।
            इंदौर जैसे महानगर में जब व्यवस्थाएं दुरुस्त हो सकती हैं तो छतरपुर में क्यों नहीं। पूंछता है छतरपुर

                                                                ...000...

Leave a reply