मुख्यमंत्री के निर्णयों ने दिखाई प्रशासनिक दक्षता
संदीप कुलश्रेष्ठ
डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद जिस तरह से प्रशासनिक निर्णय लिए हैं, उससे उनकी प्रशासनिक दक्षता सिद्ध हो रही है। मुख्यमंत्री के अधिकांश निर्णय आमजन, किसान और मजदूरों के हित में लिए गए हैं। वहीं प्रशासन में विकेन्द्रीकरण का निर्णय भी उनकी अच्छी पहल में गिना जायेगा। इसके साथ ही सबसे पहले उन्होंने मुख्यमंत्री सचिवालय के प्रमुख सचिव को बदलकर अपने पसंद के अधिकारी की तैनात कर प्रशासनिक अमले को अपनी मंशा स्पष्ट कर दी। इसके बाद प्रशासन की मजबूत कड़ी जनसम्पर्क विभाग के आयुक्त को भी बदल दिया।
प्रशासन का विकेन्द्रीकरण -
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुरूआत में ही अपनी मंशा स्पष्ट करते हुए सबको बता दिया कि प्रशासन का विकेन्द्रीकरण उनका लक्ष्य है। उनका स्पष्ट मत है कि जो काम जिले में हो सकते हैं, उसके लिए किसी भी जरूरतमंद को संभाग या राजधानी के चक्कर नहीं लगाने पड़े। मुख्यमंत्री ने उज्जैन संभाग के मुख्यालय पर संभागीय समीक्षा बैठक लेकर अपनी मंशा भी स्पष्ट कर दी। इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश के सभी 10 संभागीय मुख्यालयों के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिवों को संभागीय प्रभारी के रूप में तैनाती कर उन्हें संभाग के सभी प्रशासनिक कार्यों के समन्वय प्रमुख की जिम्मेदारी दे दी। इसी प्रकार उन्होंने सभी संभागीय मुख्यालयों पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारियों को भी जिम्मेदारी दी। सभी प्रभारी अधिकारियों को प्रत्येक संभाग की दो माह में एक बार अनिवार्य रूप से समीक्षा बैठक लेने के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्हें प्रतिमाह अपने संभाग के जिलों के अधिकारियों से जीवन्त सम्पर्क रखने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने भोपाल में संभागीय समीक्षा बैठक लेकर भी अधिकारियों को फिल्ड में जाकर काम करने और रात्रि विश्राम करने की हिदायत दी। मुख्यमंत्री ने विकास और कानून व्यवस्था के क्षेत्र में मध्यप्रदेश को मिसाल बनाने का भी आव्हान अधिकारियों से किया।
इन्दौर के श्रमिकों को मिला उनका हक -
करीब तीन दशकों से इन्दौर के श्रमिकों को उनका वाजिब हक का भुगतान नहीं होने पर मुख्यमंत्री ने एक झटके में इन्दौर जाकर हजारों श्रमिकों को करोड़ो रूपए देकर उनका वाजिब हक दिलाया। इसके साथ ही उन्होंने उज्जैन और ग्वालियर के मजदूरों को भी शीघ्र उनका हक दिलाने की बात भी कही।
ग्वालियर और जबलपुर में भी पुलिस कमिश्नर प्रणाली -
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल और इन्दौर में वर्तमान में लागू पुलिस कमिश्नर प्रणाली को ग्वालियर और जबलपुर में भी लागू करने की बात कहकर प्रशासनिक अमले को स्पष्ट संकेत दे दिया है।
गुना हादसे में सभी वरिष्ठों को हटाया -
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का संवेदनशील व्यक्तित्व उस समय और तेजी से झलका जब उन्होंने गुना हादसे में 13 यात्रियों के जलकर भस्म हो जाने पर अपना रौद्र रूप दिखाया। उन्होंने तत्काल आरटीओ और सीएमओ को सस्पेंड कर दिया। मुख्यमंत्री यहीं नहीं रूके, बल्कि उन्होंने 24 घंटे के अंदर ही बड़ा एक्शन लेते हुए गुना हादसे के जिम्मेदार माने गए ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, कलेक्टर, एसपी और डिप्टी टीसी को हटा दिया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री गुना जाकर अस्पताल में जाकर घायलों से मिले और उन्हें सांत्वना देते हुए राहत राशि की घोषणा की। इतने वरिष्ठ अधिकारियों को एक साथ जिम्मेदार मानते हुए उन्हें हटाए जाने से प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। मुख्यमंत्री के इस एक्शन का बहुत सकारात्मक संदेश आमजन में गया है।
हटेगा बीआरटीएस कॉरिडोर -
भोपाल में बना बीआरटीएस अपने शुरूआत के समय से ही विवादास्पद रहा है। इसके कारण यातायात सुगम होने की बजाय और अधिक दिक्कतों वाला बन गया है। पूर्व में भी इसे हटाने की घोषणा की गई। किन्तु कोई इसे हटा नहीं पाया। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में समीक्षा बैठक लेकर इस अनुपयोगी बीआरटीएस कॉरिडोर को चरणबद्ध रूप से हटाने का निर्णय लेकर अपनी प्रशासनिक दृढ़ता का परिचय दिया है। निश्चित रूप से इससे भोपाल का यातायात सुगम हो सकेगा।
सिंहस्थ 2028 की सुध ली -
पिछला सिंहस्थ 2016 में आयोजित हुआ था। अब अगला सिंहस्थ 2028 में आ रहा है। इसका मतलब ये है कि अगले सिंहस्थ में साढ़े तीन साल से भी कम समय बचा है। अब मुख्यमंत्री बनते ही डॉ. मोहन यादव ने भोपाल में आयोजित एक बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों को सिंहस्थ 2028 की कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। चूँकि डॉ. मोहन यादव उज्जैन से ही विधायक है। इसलिए उनका सिंहस्थ के प्रति सुध लेना वाजिब भी है।
शिप्रा शुद्धिकरण की आस जगी -
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शिप्रा शुद्धिकरण के संबंध में सख्त निर्देश देते हुए योजना बनाने को कहा है। आपने यह भी निर्देश दिए कि शिप्रा नदी में खान नदी का पानी किसी भी हालत में मिलने नहीं पाए। अब नए सिरे से शिप्रा शुद्धिकरण की आस जगी है।
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