क्या यह पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज की मप्र से विदाई का संकेत !
- शिवराज के समय उमा को भी छोड़ना पड़ा था राज्य
* दिनेश निगम 'त्यागी',वरिष्ठ पत्रकार
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ वही होता दिख रहा है, जो कभी साध्वी उमा भारती के साथ हुआ था। तब शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे और उमा भारती को प्रदेश की राजनीति से अलग कर उप्र भेज दिया गया था। अब डॉ मोहन यादव मुख्यमंत्री हैं और दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद खुद शिवराज ने कहा कि अब वे दक्षिण के राज्यों का दौरा करेंगे। क्या यह पूर्व मुख्यमंत्री चौहान के मप्र की राजनीित से विदाई के संकेत हैं? हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि विकसित भारत संकल्प यात्रा में उन्हें जहां बुलाया जाएगा, वे वहां जाएंगे। वे मप्र में भी रहेंगे और केंद्र में भी।
यह भी बोले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज
नड्डा से मुलाकात के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि अगले काम के बारे में उन्होंने मुझसे चर्चा की है। मैंने पहल भीे कई बार कहा है कि भाजपा का काम मेरे लिए मिशन है। जब आप मिशन में काम करते हैं तो खुद तय नहीं करते है कि आप क्या करेंगे। इसलिए वह मेरे लिए काम तय करेंगे। फिलहाल विकसित भारत संकल्प यात्रा में मेरे कार्यक्रम बनेंगे, उनके लिए मैं दक्षिण के राज्यों में जाऊंगा। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के गठन के संबंध में भी उनके साथ चर्चा हुई है। सलाह मशविरा हुआ है। लोकसभा चुनाव के लिए भी जो मेरी भूमिका तय की जाएगी, उस पर मैं काम करूंगा।
फिर आऊंगा, आपसे बार-बार मिलता रहूंगा
नड्डा से मुलाकात के बाद मीडिया के सवालों से घिरे शिवराज ने यह भी कहा कि अभी तो मैं वापस जाऊंगा लेकिन फिर आऊंगा और आपसे बार-बार मिलता रहूंगा। उनके इस कथन का भी यही संकेत है कि उन्हें केंद्र की ओर से जवाबदारी मिल गई है और वे मप्र से बाहर दिल्ली एवं अन्य राज्यों में ज्यादा रहेंगे। हालांकि चौहान ने कहा कि अभी उन्हंे जवाबदारी नहीं मिली है। वे विकसित भारत संकल्प यात्रा के कार्यक्रमों में ही हिस्सा लेंगे।
उमा को लड़ना पड़ा था उप्र में चुनाव
पहले तो उमा भारती ने शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी अलग पार्टी भाजश बनाई थी। इसके बाद उन्हें भाजपा में इसी शर्त पर लाया गया था कि वे मप्र की राजनीित से दूर रहेंगी। लिहाजा उन्हें उप्र में चरखारी से विधानसभा और झांसी से लोकसभा का चुनाव लड़ना पड़ा था। दिली इच्छा होने के बावजूद उमा को मप्र से भाजपा का टिकट अब तक नहीं मिला। अब शिवराज सिंह के साथ भी ऐसा ही होता दिख रहा है। वे मप्र छोड़ना नहीं चाहते और पार्टी नेतृत्व ने तय कर दिया कि आपको दक्षिण के राज्यों में दौरे करना है।
समानांतर शक्ति केंद्र न बनने देना उद्देश्य
जब शिवराज सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब प्रदेश में उमा भारती का भी अच्छा दबदबा था। इसलिए प्रदेश में भाजपा में समानांतर कोई शक्ित का केंद्र न बने, इसलिए उमा को प्रदेश से बाहर किया गया था। अब वही नियम शिवराज के साथ लागू हो रहा है। मप्र में सत्ता के समानांतर कोई दूसरा शक्ति केंद्र न बने। डॉ मोहन यादव िनष्कंटक राज कर सकें, इसलिए शिवराज को बाहर के राज्यों में जवाबदारी सौैंपी जा रही है।
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