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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने एक मिथक तोड़कर अनेक संभावनाओं की उम्मीद जगाई


संदीप कुलश्रेष्ठ
                     मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उज्जैन दक्षिण से विधायक है। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद हाल ही में उज्जैन आगमन पर नगरवासियों ने उनके स्वागत के लिए पलक पावड़े बिछा दिए। एक हजार से अधिक स्वागत मंच उनके स्वागत के लिए नगर के विभिन्न स्वयंसेवी और सामाजिक संस्था द्वारा बनाए गए थे। सिंहस्थ के अलावा उज्जैन के इतिहास में पहली बार सड़कों पर ऐसा सैलाब उमड़ा था। करीब 7 किलोमीटर लंबे मार्ग के दोनों ओर नगरवासी उनकी एक झलक पाने के लिए इंतजार कर रहे थे। दशहरा मैदान से शाम करीब 5 बजे शुरू हुई यह स्वागत रैली नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई रात करीब 12 बजे गोपाल मंदिर पहुँची।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मिथक तोड़ा -
                  महाकाल की नगरी उज्जैन में दशकों से चल रहे एक मिथक को तोड़ने का काम मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया है। वह देश और प्रदेश के लोगों के लिए चौंकाने वाला है। जो डॉ. मोहन यादव की कार्यशैली को शुरू से जानते है वे निश्चित तौर पर इस बात को मानेंगे कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव राजनैतिक कार्यशैली में और मध्यप्रदेश के विकास में कई और भी मिथकों को तोड़ेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उज्जैन में एक मिथक को तोड़कर अनेक संभावनाओं की उम्मीदें जगाई है।
उज्जैन में होगी कैबिनेट की बैठक -
                 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने स्वागत में आयोजित रैली के समापन पर बोलते हुए यह घोषणा भी की कि मध्यप्रदेश की कैबिनेट की बैठक उज्जैन में होगी। एक तरह से उन्होंने यह कहकर प्रदेश के समस्त अधिकारियों और जन नेताओं को यह संदेश भी दे दिया है कि उनकी प्राथमिकता में उज्जैन है और रहेगा। कैबिनेट की बैठक संभवतः मकर संक्रान्ति 2024 को उज्जैन में होने की संभावना है।
संभागीय समीक्षा बैठक की शुरूआत उज्जैन से -
                  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यह भी ऐलान किया है कि मध्यप्रदेश के सभी संभागीय मुख्यालयों में योजनाओं को लेकर क्रमवार समीक्षा बैठक आयोजित की जायेगी और उन्होंने गत रविवार को उज्जैन में संभागीय बैठक लेकर इसकी शुरूआत भी कर दी। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को भविष्य की परियोजनाओं को देखते हुए सरकारी जमीन आरक्षित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने जनता के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की भी बात की। आपने कानून व्यवस्था को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने और साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति में प्रभावी कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने खुले में माँस और मछली बेचने वालों पर प्रभावी कार्रवाई के निर्देश दिए। किन्तु इसके साथ ही विक्रेताओं के लिए अलग मार्केट बनाने के भी निर्देश दिए, ताकि उन्हें सड़क पर कारोबार करने की नौबत न आए। आपने निर्धारित डेसीबल से ज्यादा स्पीकरों के चलाने पर कार्रवाई करने को भी कहा। 
अनन्त अपेक्षाएँ हैं मुख्यमंत्री से - 
                 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से उज्जैन और प्रदेशवासियों को अनेक अपेक्षाएँ हैं। अब उनके सामने यह एक गंभीर चुनौती है और उन्हें उस चुनौती को पार करते हुए सभी अपेक्षाओं पर खरा भी उतरना है। वर्ष 1972 में पहली बार उज्जैन उत्तर से विधायक चुने गए श्री प्रकाशचंन्द्र सेठी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। उसके बाद डॉ. मोहन यादव पहले ऐसे मुख्यमंत्री है, जो उज्जैन से चुने जाकर मुख्यमंत्री बने हैं। इसलिए भी जनता की उनसे अनेक अपेक्षाएँ हैं। केवल उज्जैन ही नहीं पूरा मालवा और प्रदेश उनकी ओर आशा भरी निगाह से देख रहा है।
उज्जैन में लगे बड़े उद्योग -
                 उल्लेखनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है कि उज्जैन एक उद्योगविहीन क्षेत्र है। यहाँ कोई बड़ा उद्योग नहीं है, जिसमें हजारों लोगों को रोजगार मिल सके। उज्जैन के कुछ अपवादों को छोड़ते हुए किसी जनप्रतिनिधि ने इस दिशा में गंभीर प्रयास नहीं किए हैं। डॉ. मोहन यादव को विकास पुरूष कहा जाता है। उन्हें अपने नाम के अनुरूप उज्जैन , मालवा और प्रदेश में बड़े उद्योगपतियों को आमंत्रित कर ऐसे उद्योग लगाने की आवश्यकता है जिससे सैकड़ो और हजारों लोगों को रोजगार मिल सके।  
उज्जैन धार्मिक नगरी घोषित हो -
                  उज्जैन में 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक प्रमुख दक्षिणमुखी महाकालेश्वर मंदिर है। देशभर से हजारों दर्शनार्थी प्रतिदिन उज्जैन दर्शन के लिए आते हैं। इसलिए उज्जैन को धार्मिक नगरी घोषित किया जाना चाहिए और उसके अनुसार नियमों का सख्ती से पालन भी किया जाना चाहिए। 
विक्रम संवत लागू हो -
                  अभी देश में शक संवत चल रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने करीब डेढ़ दशक पूर्व ही उज्जैन में शानदार और भव्य विक्रमोत्सव की शुरूआत की थी। जो आज राष्ट्रीय स्तर का गरीमामयी समारोह बन गया है। इसलिए उनसे अपेक्षाएँ है कि वे देशभर में विक्रम संवत लागू करने के लिए ठोस और निर्णायक पहल करें। इसके लिए उन्हें केन्द्र से जीवंत सम्पर्क स्थापित करते हुए प्रधानमंत्री से शक संवत की बजाय विक्रम संवत देशभर में लागू करने के लिए कार्य करने की जरूरत है। यह एक अच्छी बात है कि डॉ. मोहन यादव स्वयं विक्रमोत्सव समारोह के दौरान देश में विक्रम संवत लागू करने की बात अनेक बार कह चुके हैं। 
शिप्रा प्रदूषण मुक्त और प्रवाहमान बनें - 
                  पतित पावन शिप्रा नदी लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है। हर एक तीज त्यौहार और पर्वों पर लाखों श्रद्धालु शिप्रा मैया में पुण्य प्राप्त करने के लिए डुबकी लगाने के लिए आते हैं, किन्तु यह वर्तमान में अत्यन्त प्रदूषित और मैली हो चुकी है। इसे पूर्ण रूप से शुद्ध करने के तमाम प्रयास करने की सख्त आवश्यकता है। इसके साथ ही उसे सतत प्रवाहमान बनाने की भी जरूरत है, ताकि सिंहस्थ के दौरान शिप्रा के जल में ही श्रद्धालु स्नान का पुण्य प्राप्त कर सके। 
सिंहस्थ 2028 की तैयारी हो अभी से -
                    आगामी सिंहस्थ 2028 में उज्जैन में आयोजित होने वाला है। दिसम्बर माह समाप्त होने वाला है। अब मात्र 4 साल ही सिंहस्थ के लिए बचे हैं। किन्तु अभी तक यह दुर्भाग्य है कि सिंहस्थ के आयोजन की राज्य शासन स्तर से कोई रूपरेखा और तैयारी ही नहीं की गई है। इसलिए बहुत जरूरी है कि सिंहस्थ प्राधिकरण के गठन के साथ ही उसे जरूरी सभी प्रशासकीय और आर्थिक अधिकार दिए जाएँ। इसके साथ ही सिंहस्थ के आयोजन के लिए शीघ्र एक पृथक से बैठक आयोजित की जाए और विभिन्न विभागों को उसमें अपने-अपने विभाग के प्रस्ताव देने के लिए भी निर्देश दिए जाए। यह कार्य उज्जैन में  आगामी कैबिनेट बैठक से भी किया जा सकता है।  
जनसम्पर्क विभाग को चुस्त दुरूस्त करने की है आवश्यकता -
                   मध्यप्रदेश के समस्त विभागों में जनसम्पर्क विभाग की अपनी एक अलग महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जनता , प्रशासन और शासन के बीच यह महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करती है। राज्य शासन की योजनाओं को आमजन तक पहुँचाने में यह विभाग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, किन्तु सिंहस्थ 2016 से उज्जैन संभागीय जनसम्पर्क कार्यालय को जितना चुस्त दुरूस्त होकर कार्य करना चाहिए, दुर्भाग्य है कि वह वर्तमान में नहीं हो रहा है। उसे और चुस्त दुरूस्त करने और युवा एवं सक्रिय अधिकारियों को यहाँ पदस्थ करने की आवश्यकता है, महाकाल लोक और उज्जैन की छवि दुनिया में सही रूप में पहुंच सके। सरकार के विकास कार्यों की बात को आम जन तक पहुंचाया जा सके।  उज्जैन के साथ ही प्रदेश के अन्य सभी जिलों और संभागीय मुख्यालयों को भी और अधिक सक्रिय करने की आवश्यकता है। 
संभागीय मुख्यालयों पर मीडिया सेंटर बने -
               मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से अपेक्षा है कि प्रथम चरण में उज्जैन सहित सभी संभागीय मुख्यालयों पर पत्रकारों की सुविधा के लिए सर्वसुविधायुक्त मीडिया सेंटर बने। इसमें प्रिन्ट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ ही सोशल मीडिया के लिए जरूरी सभी संसाधनों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। दूसरे चरण में सभी जिला मुख्यालयों पर भी ऐसे ही मीडिया सेंटर बनाने की आवश्यकता है।
प्रशासन का विकेन्द्रीकरण -
                 हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश विधानसभा परिसर में मीडिया के प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए कहा कि हमारा प्रयास है कि प्रशासन का विकेंद्रीकरण हो, अर्थात जिले पर जिला स्तरीय इकाई, संभाग पर संभाग स्तरीय इकाई और प्रदेश स्तर पर प्रदेश स्तरीय इकाई, विकास गतिविधियों के धरातल पर क्रियान्वयन में अपना श्रेष्ठतम योगदान दें। मुख्यमंत्री का यह कथन यह सिद्ध करता है कि उनका प्रयास रहेगा कि प्रशासन का विकेन्द्रीकरण हो और उनका यह प्रयास सराहनीय कहा जा सकता है। यह होने से जिले का आम आदमी जिले में ही अपनी समस्या का निराकरण प्राप्त कर सकेगा। 
प्रदेश का सांस्कृतिक कॉरिडोर बनेगा -
                  हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल में प्रेस से चर्चा के दौरान यह भी घोषणा की कि प्रदेश में शीघ्र ही सांस्कृतिक कॉरिडोर बनाया जायेगा। इसमें प्रदेश के सभी प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों को जोड़ा जायेगा। मुख्यमंत्री का यह प्रयास भी अभिनंदनीय है। 
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