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अनुच्छेद 370 : सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को सलाम


डॉ. चन्दर सोनाने

                    और एक बार फिर देश के सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले दिनों एक ऐतिहासिक फैसला दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला सही ठहराया। सर्वोच्च न्यायालय की 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने 5 अगस्त 2019 को केन्द्र सरकार द्वारा लिये गए फैसले पर अपनी मुहर लगा दी। उस समय केन्द्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू कश्मीर को मिला विशेष दर्जा खत्म कर दिया था। इस फैसले के बाद फैसले के खिलाफ 23 याचिकाएँ लगी थी, जिन पर संविधान पीठ ने अपना फैसला दिया है। 
                      चीफ जस्टिस श्री डीवाई चन्द्रचूड़, जस्टिस श्री बीआर गवई, जस्टिस श्री सूर्यकांत, जस्टिस श्री संजय किशन कौल और जस्टिस श्री संजीव खन्ना की पीठ ने तीन अलग- अलग फैसले देने के बावजूद एकमत होकर उक्त संयुक्त फैसला किया। इस फैसले से फिर यह बात स्पष्ट हो गई है कि जम्मू कश्मीर के हर नागरिक पर भारतीय कानून लागू होंगे। इसके साथ ही हर भारतीय को जम्मू कश्मीर में भी वे सभी हक मिलेंगे, जो उन्हें देशभर में मिलते हैं।
                         सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि 1947 में जुलाई के बाद जम्मू कश्मीर के पास संप्रभुता का कोई तत्व नहीं है, इसलिए कोर्ट केन्द्र के फैसले में दखल नहीं देगी। कोर्ट ने केन्द्र सरकार को यह भी आदेश दिया कि वह सितम्बर 2024 तक जम्मू कश्मीर में चुनाव कराएँ और उसे पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करें। जस्टिस श्री संजय किशन कौल ने अपने फैसले में यह भी लिखा कि 1980 के दशक में कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़नी पड़ी थी। उस दौरान हुए मानवाधिकार उल्लंघन की जाँच के लिए केन्द्र सत्य और सुलभ आयोग बनाएँ। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास हो गया है।
                         सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने तीन फैसले दिए है, किन्तु धारा 370 पर पाँचों जज एकमत है। पहला फैसला 352 पृष्ठ का है। इसमें सीजेआई श्री डीवाई चन्द्रचूड़, जस्टिस श्री बीआर गवई और जस्टिस श्री सूर्यकांत का मत है। दूसरा फैसला 121 पेज का है। इसमें जस्टिस संजय किशन कौल ने अपनी बात कही है। तीसरा फैसला तीन पृष्ठ का है। इसमें जस्टिस संजीव खन्ना ने अपना फैसला लिखा है। 
                         सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एक सबसे महत्वपूर्ण बात यह कही है कि विलय के साथ ही जम्मू कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई थी। 1949 में विलय पत्र पर हस्ताक्षर होने के बाद जम्मू कश्मीर के पास संप्रभुता का कोई तत्व नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले की यह सबसे महत्वपूर्ण बात है। 
                          सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एक और महत्वपूर्ण बात यह भी कही है कि जम्मू कश्मीर राज्य में 30 सितम्बर 2024 के पहले विधानसभा चुनाव कराएँ। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा भी मुहैया किया जाए। ये दोनों फैसले भी अत्यन्त महत्वपूर्ण कहे जा रहे हैं। सीमांकन के बाद जम्मू कश्मीर में कुल 90 सीटें है। इनमें से 47 कश्मीर और 43 जम्मू की है। उप राज्यपाल भी 5 सदस्य नामांकित करेंगे, जिन्हें वोट देने का अधिकार भी होगा। ऐसे में जो पार्टी 46 सीटें जीतकर आयेगी, वह सरकार बना सकती है। 
                        सुप्रीम कोर्ट के उक्त फैसले में एक अन्य फैसला यह भी महत्वपूर्ण है कि कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार कि जाँच के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमिटी की जरूरत है। 1990 के बाद से कश्मीर में हुई हत्याओं के लिए 510 से अधिक मजिस्ट्रेट जाँच के आदेश हुए थे, लेकिन उनके नतीजे सामने नहीं आए। इसके साथ ही पिछले कुछ वर्षों में कम से कम 8 जाँच आयोग भी गठित किए गए थे। इनमें से अधिकांश के परिणाम आज तक किसी को पता नहीं है। उनकी सिफारिशों को कभी भी सार्वजनिक नहीं किया गया। 
                         सर्वोच्च न्यायालय की 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने अब स्थाई रूप से विशेष दर्जे वाला अनुच्छेद 370 को हटाने वाला जो फैसला लिया है, वह सही दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब हमेशा के लिए यह अध्याय समाप्त सा हो गया है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को उसके ऐतिहासिक फैसले के लिए हर भारतीय की ओर से सलाम। 
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