विजयवर्गीय खुद मंत्री बनेंगे या मेंदोला को बनवाएंगे ?
••• नये चेहरों को शामिल किया तो देपालपुर विधायक मनोज पटेल का नंबर लग सकता है
कीर्ति राणा,वरिष्ठ पत्रकार
इंदौर। मुख्यमंत्री मोहन यादव के शपथ समारोह में शामिल होने के बाद दो दिन दिल्ली में रहे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय खाली हाथ लौट आए हैं। जिन तीन कद्दावर नेताओं को मुख्यमंत्री पद की दौड़ में माना जा रहा था, उनमें नरेंद्र सिंह तोमर को तो फिर भी विधानसभा अध्यक्ष का दायित्व मिल गया लेकिन विजयवर्गीय और प्रह्लाद पटेल फिलहाल पॉवरलेस माने जा रहे हैं।एक अन्य केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते जिन्हें आदिवासी चेहरा होने से नेक्स्ट सीएम की नजर से देखा जा रहा था वो तो चुनाव ही हार गए।
केंद्रीय नेतृत्व का प्रेशर रहा तो सीएम मोहन यादव के मातहत विजयवर्गीय और पटेल मंत्री को न चाहते हुए भी मंत्री पद स्वीकारना ही होगा।चर्चा यह भी है कि ये दोनों यादव केबिनेट में न रहने की मंशा जाहिर कर चुके हैं। विजयवर्गीय नहीं तो फिर मंत्रिमंडल में इंदौर से कौन? जाहिर है वे मंत्रिमंडल के लिए इंदौर से पहला नाम प्रदेश में सर्वाधिक मतों से जीते-अपने साथी रमेश मेंदोला का ही सुझाएंगे।
देखना यह भी है कि विजयवर्गीय के इस सुझाव को केंद्रीय नेतृत्व कितनी तवज्तो देता है।मेंदोला के पक्ष में यह भी है कि शिवराज सरकार के रहते उन्हें मंत्री पद इसलिए भी नहीं मिल पाया क्योंकि विजयवर्गीय की शिवराज से कभी पटरी नहीं बैठी। इसी वजह से कभी हार्डिया तो कभी उषा ठाकुर मंत्री बने तो कभी विधायक रहीं मालिनी गौड़ को ही महापौर का चुनाव भी लड़ाया गया। पहली बार जीते मधु वर्मा, गोलू शुक्ला की संभावना तो कम है लेकिन केबिनेट विस्तार में यह देखना भी दिलचस्प होगा कि इंदौर जिले से एकाधिक बार जीत चुके विधायकों में मेंदोला, मनोज पटेल, मालिनी गौड़ हार्डिया, तुलसी सिलावट में से किसके नाम लाटरी खुलती है।इन में कुछ विधायकों को शिवराज सिंह के अधिक नजदीक माना जाता है जबकि तुलसी सिलावट केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक हैं और पिछली बार भी उन्हें जल संसाधन मंत्रालय सिंधिया कोटे से ही मिला था।सिंधिया फेक्टर के चलते इंदौर जिले से उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। यदि मोहन यादव की तरह मंत्रिमंडल में भी नये चेहरों को शामिल करना प्राथमिकता रहती है तो देपालपुर से विधायक मनोज पटेल का नाम सबसे ऊपर रह सकता है। वे लगातार जीतते रहे हैं लेकिन मंत्री पद से वंचित रहे हैं।
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